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World Bee Day 2021: लखनऊ में किसानों के साथ युवाओं को मधु मक्खी पालन का प्रशिक्षण, लॉकडाउन में भी दूर हो रही बेरोजगारी

किसानों के साथ युवाओं को मधु मक्खी पालन का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी निभा रहे चिनहट के डा.नितिन सिंह व डा.पाॅपी सिंह। इजराइल में बतौर वैज्ञानिक काम करने वाले डा.नितिन सिंह नौकरी छोड़कर चिनहट में माेबाइल मधुमक्खी पालन करते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Updated: Thu, 20 May 2021 02:26 PM (IST)
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मधु मक्खी पालन का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी निभा रहे लखनऊ के डा.नितिन सिंह व डा.पाॅपी सिंह।

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। कोरोना संक्रमण काल में जब सबकुछ रुक सा गया गया है तो मधुमक्खी का डंक  बेरोजगारी दूर करके लोगों के जीवन में मिठास घाेल रहा है। कई युवा आनलाइन जुड़कर जुड़कर अपने जीवन में समृद्धि का उजाला ला रहे हैं। किसानों के साथ युवाओं को मधु मक्खी पालन का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी निभा रहे चिनहट के डा.नितिन सिंह व डा.पाॅपी सिंह। इजराइल में बतौर वैज्ञानिक काम करने वाले डा.नितिन सिंह नौकरी छोड़कर चिनहट में माेबाइल मधुमक्खी पालन करते हैं। लॉकडाउन में मोबाइल सेवा भले ही बंद रही, लेकिन घर में रखे मोबाइल बॉक्स से शहद निकलता रहा। लाखों रूपये वेतन को छोड़कर वतन लौटे डा.नितिन और उनकी पत्नी डा.पाॅपी खुद मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। खुद के साथ किसानों और युवाओं को भी इससे जोड़कर उनके जीवन में समृद्धि की मिठास घाेल रहे हैं। नितिन वॉट्सएप के माध्यम से युवाओं को ट्रेनिंग देते हैं वह भी निश्शुल्क। उनका कहना है कि एक बॉक्स की कीमत चार हजार आती है और एक साल में पांच हजार का शहद निकलता है। 300 मोबाइल बॉक्स से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। अकेले नितिन ही नहीं लखनऊ के ही केएम वर्मा भी मधुमक्खी पालन कर युवाओं को इससे जोड़ रहे हैं।

कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है  शहद: मधुमक्खी न केवल जैव विविधता और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र व प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका निभाने वाली मधुमक्खी से निकला शहद विश्व के 33 फीसद खाद्य पदार्थों में प्रयोग होता है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ.एसबी शर्मा ने बताया कि कोविड-19 की त्रासदी से निपटने के लिए किसानों और युवाओं को मधुमक्खी पालन से जोड़ा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी में इम्युनिटी बढ़ाने में शहद की भूमिका की बात कही है। आलमबाग के राजकीय उद्यान के अधीक्षक डा.जेआर वर्मा ने बताया कि  संक्रमण के चलते कोई आयोजन नहीं होगा। विभाग की ओर से मधुमक्खी पालन के लिए लागत का 50 फीसद अनुदान दिया जाता है। रानी लक्ष्मी बाई संयुक्त चिकित्सालय की चिकित्साधिकारी डा.शशि वर्मा ने बताया कि शहद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। नींबू और शहद मोटापे को कम करने में भी कारगर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर होने की बात कही है।

इसलिए मनाया जाता है विश्व मधुमक्खी दिवस: 20 मई 1734 को मधुमक्खी पालन की आधुनिक तकनीक के जनक कहे जाने वाले एंटोन जान्सा का जन्म हुआ था। संयुक्तराष्ट्र संघ के सदस्यों ने 2017 में उनकी जयंती पर विश्व मधुमक्खी दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इसलिए 20 मई को हर साल दिवस मनाया जाता है।

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