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नेपाल में चीन के बढ़ते दखल से गरमाई मधेश की राजनीति, नेता बोले, रोटी-बेटी के रिश्ते को नहीं तोड़ सकती कोई ताकत

प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में चीन ने सक्रियता बढ़ा दी है। वहीं चीन के बढ़ते दखल को लेकर मधेश क्षेत्र में सियासत गरमा गई है। मधेशी नेताओं का कहना है कि सरकार को अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 09 Jan 2023 12:07 PM (IST)
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नेपाल के भैरहवा में चीन की ओर से बनाया गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा। -जागरण

महराजगंज, विश्वदीपक त्रिपाठी। पुष्प कमल दहल प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाल में चीन के बढ़ते दखल का मधेश क्षेत्र में विरोध शुरू हो गया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) परियोजना के जरिये नेपाल में अपना आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने में लगे चीन की गतिविधियों पर सवाल उठाते हुए मधेशी नेताओं ने घेराबंदी तेज कर दी है। नेताओं का कहना है कि भारत-नेपाल के रोटी-बेटी के रिश्ते को दुनियां की कोई भी ताकत नहीं तोड़ सकती है।

भारत के साथ ही सुरक्षित है नेपाल का हित

नेपाल के पूर्व गृह राज्यमंत्री का कहना है कि भारतीय सीमा से सटे नेपाल में एयरपोर्ट, सड़क, व्यावसायिक माल जैसी बुनियादी जरूरतों से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं में निवेश के जरिये चीन, भारतीय सीमा तक पहुंचने कोशिश कर रहा है, जो गलत है। सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि नेपाल का हित भारत के साथ ही सुरक्षित है।

भारत के साथ नेपाल का है रोटी-बेटी का रिश्ता

नेपाल के मधेश क्षेत्र में उठ रहे सरकार विरोधी सुर पर नेपाल के पूर्व गृह राज्यमंत्री व नवलपरासी के पूर्व सांसद देवेंद्र राज कंडेल का कहना है कि चीन बीआरआइ परियोजना के माध्यम से नेपाल में अपनी दखल बढ़ा रहा है। लुंबिनी प्रदेश के क्षेत्र संख्या एक से विधायक देवकरन कलवार ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद चीन की बढ़ती गतिविधियां नेपाल के लिए ठीक नहीं हैं। सरकार को अपनी नीति पर विचार करना चाहिए, क्योंकि भारत के साथ नेपाल का रोटी-बेटी का रिश्ता है।

भारत के साथ जुड़ी रहेगी नेपाली जनता

जनता समाजवादी पार्टी के केंद्रीय सदस्य महेंद्र यादव ने कहा कि चीन भरोसे के लायक नहीं है, यह बात सरकार को हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए। चीनी गतिविधियों का विरोध कर रहे नवलपरासी के कुसमा गांव पालिका के रामेश्वर यादव, गोपीगंज के केशव चौधरी, अमानीगंज के जीतेंद्र गुप्ता व राजू ने कहा कि चीन चाहे जितनी कोशिश कर ले, नेपाली जनता भारत के साथ जुड़ी रहेगी।

कमजोर अर्थव्यवस्था कारण

नेपाली नेताओं का कहना है कि कोरोना के बाद से ही नेपाल की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है। यहां अर्थव्यवस्था का आकार 3500 करोड़ डालर है। वित्त वर्ष 2022-23 में नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार महज 975 करोड़ डालर रह गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1175 करोड़ डालर था।

बीआरआइ बना जरिया

चीन अपने देश को सड़क, रेल व जलमार्ग के जरिये यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ने की परियोजना पर काम कर रहा है। बीआरआइ परियोजना के तहत नेपाल में केरुंग-काठमांडू रेल मार्ग का निर्माण, रैटमेट-केरुंग 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन, कोसी-गंडकी-कर्नाली इकोनामिक कारिडोर, मदन भंडारी टेक्निकल कालेज, किमाथंका-हिले रोड, तमोर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट, फुकोट हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट, गलची-रसुवागढ़ी रोड अपग्रेडेशन और दिप्याल-चीन बार्डर रोड जैसी निर्माण परियोजनाओं पर काम चल रहा है।