फिरंगियों ने छलनी कर दिया था नौजवानों का सीना
26 अगस्त 1942 को पुलिस को खबर मिली कि सक्सेना महराजगंज से 15 किलोमीटर दूर विशुनपुर गबडुआ में हैं। बस क्या था पुलिस ने अंग्रेज समर्थक जमींदारों के सहयोग से विशुनपुर गबडुआ पर धावा बोल दिया। हालांकि सिपाहियों से आने के पूर्व शिब्बन लाल सक्सेना वहां से सुरक्षित निकल गए।
महराजगंज : जनपद का विशुनपुर गबडुआ गांव फिरंगियों की बबर्रता का साक्षी रहा है। यहां का जर्रा-जर्रा गांव के वीर सपूतों की बहादुरी को याद कर आज भी इठलाता है। 1942 के आंदोलन में गांव के दो नौजवानों का सीना ब्रितानी सैनिकों ने छलनी कर दिया था। दर्जनों लोग घायल हुए। पचास से अधिक ग्रामीण जेल के अंदर ठूस दिए गए। इस बर्बरता के बाद भी आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी, और वीरता की ऐसी दास्तां लिखी की आने वाली पीढ़ी बड़े अदब उन्हें नमन करतीं हैं। किसानों की फसलें नष्ट कर दी गई। पचास से अधिक ग्रामीण जेल के अंदर ठूस दिए गए थे। फिर भी हिम्मत न हारने वाले ग्रामीणों के मुंह से सिर्फ यही निकल रहा था अंग्रेजों भारत छोड़ें।
बात उस दौर की है जब 1942 में गांधीवादी शिब्बन लाल सक्सेना ने तराई के इस जनपद में स्वतंत्रता आंदोलन का बिगुल फूंका था। गांव-गांव घूम अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन की बुनियाद रखी जा रही थी। वहीं दूसरी ओर अंग्रेज भी उन्हें पकड़ने के लिए जी जान से लगे थे। 26 अगस्त 1942 को पुलिस को खबर मिली कि सक्सेना महराजगंज से 15 किलोमीटर दूर विशुनपुर गबडुआ में हैं। बस क्या था पुलिस ने अंग्रेज समर्थक जमींदारों के सहयोग से विशुनपुर गबडुआ पर धावा बोल दिया। हालांकि सिपाहियों से आने के पूर्व शिब्बन लाल सक्सेना वहां से सुरक्षित निकल गए। सक्सेना के न मिलने पर बौखलाए अंग्रेजों ने गांव पर हमला बोल दिया। अंग्रेजों ने ऐसा कहर ढाया की ब्रिटिश पुलिस का मुकाबला करने में गांव के दो सपूतों को शहादत देनी पड़ी। दर्जनों लोग लहूलुहान हुए और 11 लोगों को जेल की यातना झेलनी पड़ी। अंग्रेजों द्वारा मचाए गए। इस तांडव के बाद भी ग्रामीणों का हौसला नहीं डिगा। बल्कि दोगुने जोश के साथ ग्रामीण अपनी आजादी के यज्ञ में आहुत देने के लिए कूद पड़े । विशुनपुर गबड़ुआ निवासी मनोज चौधरी ने कहा कि विशुनपर गबडुआ का जिक्र छिड़ते ही गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। तराई के लाल ने इस बहदुरी के साथ फिरंगियों का मुकाबला किया उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती है। उपेक्षित है शहीद स्मारक