ट्रेन की संख्या कम होने से बढ़ रही परेशानी
कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए यात्रा की अनुमति तो दी गई।
महराजगंज: कोविड 19 महामारी के बाद सरकार द्वारा ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। बाद में कुछ स्पेशल ट्रेनों में आरक्षित टिकट पर कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए यात्रा की अनुमति तो दी गई। कितु ट्रेनों की सीमित संख्या व फेरों में लंबा अंतराल यात्रियों की परेशानी का सबब बन रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदकों को हो रही है। प्रदेश के बाहर वाले शहरों में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने के लिए परीक्षार्थी हलकान हो रहे हैं। आगामी सात फरवरी को होने वाली बिहार एपीओ प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने वाले क्षेत्र के परीक्षार्थी भागलपुर, गया, दरभंगा व अन्य शहरों में जाने के लिए ट्रेनों में आरक्षण करवाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन रविवार की परीक्षा के लिए मंगलवार या बुधवार को ही ट्रेन मिल पा रही है। जिससे परीक्षार्थी विवश हो कर परीक्षा छोड़ने का मन बना रहे हैं। सिविल कोर्ट फरेंदा में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी सात फरवरी को बिहार एपीओ की परीक्षा के लिए दरभंगा के लिए रिजर्वेशन नहीं हो पा रहा है। अधिवक्ता राममनोहर मिश्र ने कहा कि उनके परीक्षा केंद्र गया के लिए सीधी ट्रेन न होने से वाराणसी से दूसरे लिक में आरक्षण नहीं मिल पा रहा है। रत्नेश उपाध्याय ने कहा कि उनका केन्द्र भागलपुर में है। जहां के लिए केवल बुधवार को ही सीधी ट्रेन सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में उन्हें तीन से चार दिन पहले ही निकलने की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में मजबूरन परीक्षा में शामिल होने पर पुनर्विचार करने की जरूरत पड़ रही है। ऋषि चौरसिया ने कहा कि सरकार को चाहिए कि ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही जनरल कोचों में भी सामाजिक दूरी के आधार पर यात्रा की शुरुआत करें। जिससे परीक्षार्थियों के साथ ही आम जनता को भी सहूलियत होगी।