यहां के किसान अब दिल्ली-मुंबई नहीं जाते, घर में ही रहकर कमाते हैं लाखों
कंपनी अपने शेयरधारक किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षित कराती है। गांव स्थित कंपनी के कार्यालय में प्रत्येक माह बोर्ड आफ डायरेक्टर व सदस्यों की बैठक होती है जिसमें फसल की खरीद बिक्री उत्पादन आदि को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय होते हैं। सभी शेयरधारक किसानों को छह माह में एक बार मुख्यालय बुलाया जता है। जहां खेती की विभिन्न तकनीकी व कृषि उत्पादों के बारे में जानकारी दी जाती है।
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज। खेती में कम आमदनी के कारण दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में पलायन को विवश तराई बेल्ट के किसान अब अपने गांव में ही कंपनी चला रहे हैं। परंपरागत खेती से किनारा कर चुके यह किसान स्ट्राबेरी, खीरा और लौकी जैसी नगदी फसल का अपने खेत में उत्पादन कर स्वयं ही न केवल शहर तक पहुंचा रहे हैं बल्कि बिचौलियों के बीच बंट जाने वाले मुनाफे को भी बचा ले रहे हैं।
इस बदलाव के सूत्रधार प्रगतिशील किसान वीरेंद्र चौरसिया हैं, जो मां पाटेश्वरी वेजिटेबल फूड प्रोडयूसर कंपनी (एफपीओ) से अब तक 517 किसानों को जोड़ चुके हैं। उत्तर प्रदेश के महराजगंज में संचालित इस एफपीओ का वार्षिक टर्नओवर 23 लाख रुपये पहुंच गया है।
दो हजार की आबादी वाले मठिया ईदू गांव के अधिकांश लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। परंपरागत फसलों की खेती में अधिक लागत और अपेक्षाकृत कम उत्पादन के चलते खेती में घाटे के कारण गांव के युवा पलायन को मजबूर थे।
महराजगंज के मठिया ईदू गांव में बाहर भेजने के लिए स्ट्राबेरी की पैकिंंग कराते किसान व कंपनी निदेशक वीरेंद्र चौरसिया। जागरण
इस समस्या से निजात के लिए प्रगतिशील किसान वीरेंद्र चौरसिया ने अगस्त 2021 में नाबार्ड के सहयोग से कंपनी का गठन किया। किसानों को नगदी फसल का फायदा समझ में आया तो 500 से लेकर 2000 तक का शेयर खरीदकर किसानों ने कंपनी को खड़ा किया।शेयर के माध्यम से कंपनी में छह लाख रुपये की पूंजी इकट्ठा हो गई तो केंद्र सरकार ने सेक्टर स्कीम के तहत 4.07 लाख की इक्विटी ग्रांट जारी कर दी। वर्तमान में कंपनी से जुड़े किसान तीन हेक्टेयर में स्ट्राबेरी, तीन हेक्टेयर में खीरा व चार हेक्टेयर में लौकी की खेती कर रहे हैं।
स्ट्राबेरी 90 रुपये किलो के हिसाब से स्थानीय बाजार के अलावा गोरखपुर, लखनऊ व बनारस की मंडियों में जा रही है। लौकी व खीरा थोक में ही 20 रुपये किलो तक महराजगंज व गोरखपुर की मंडी में ही खप जा रहा है।
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कंपनी अपने शेयरधारक किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षित कराती है। गांव स्थित कंपनी के कार्यालय में प्रत्येक माह बोर्ड आफ डायरेक्टर व सदस्यों की बैठक होती है, जिसमें फसल की खरीद, बिक्री, उत्पादन आदि को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय होते हैं। सभी शेयरधारक किसानों को छह माह में एक बार मुख्यालय बुलाया जता है। जहां खेती की विभिन्न तकनीकी व कृषि उत्पादों के बारे में जानकारी दी जाती है। कंपनी से सदस्य किसान रामचंद्र चौधरी, बालेदीन, रामनरेश बताते हैं कि पहले कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य न मिल पाने के कारण खेती घाटे का सौदा लगती थी।अब कंपनी के माध्यम से उचित मूल्य मिलने से लाभ हो रहा है। गांव के युवाओं का बड़े शहरों में पलायन भी रुक गया है।किसानों का जैविक खेती पर जोर
कंपनी के निदेशक वीरेंद्र चौरसिया ने बताया कि वह खेत में रासायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग से परहेज करते हैं। सभी किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जाता है कि वह जैविक खाद का प्रयोग कर ही बेहतर उत्पादन प्राप्त करें।अनुनय झा, जिलाधिकारी महराजगंजनिश्चित रूप से मठिया ईदू गांव के किसानों की पहल सराहनीय है। संगठित होकर किसान जहां बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं, वही दूसरे को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो और वह आधुनिक विधि से खेती कर बेहतर आय प्राप्त करें, इसके लिए प्रशासन द्वारा किसानों का सहयोग भी किया जा रहा है। अनुनय झा, जिलाधिकारी, महराजगंज