Happy Father's Day 2024: मां ने निभाया पिता का दायित्व, बेटे के हौसले को दी उड़ान, बनाया अफसर
बच्चों की सफलता के पीछे उनके माता-पिता के योगदान व संघर्ष को सभी जानते हैं। बात तब खास हो जाती है जब विपरीत परिस्थितियाें के चलते एक मां पिता की जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करते हुए बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कदम-कदम पर संघर्ष करती है। ऐसी ही एक कहानी महराजगंज जिले में एक महिला की है। इनकी कहानी जानकर आप भी करेंगे गर्व।
विश्वदीपक त्रिपाठी, जागरण, महराजगंज। बेटा-बेटी की शिक्षा व उनका करियर संवारने के लिए जूझने वाली एक माता के संघर्षों की कहानी महराजगंज जिले के राजपुर मुड़ली गांव में है। पति गौरीशंकर पटेल के आंखों की रोशनी चली जाने पर घर- बाहर दोनों की जिम्मेदारियों का निर्वहन राजेश्वरी देवी ने बखूबी किया। उनके कुशल मार्ग दर्शन का ही प्रतिफल है कि एक पुत्र जौनपुर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हैं, तो अन्य पुत्र भी बेहतर मुकाम हासिल कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं।
गौरी शंकर पटेल की बचपन में ही चोट लगने से दोनों आंखों की रोशनी चली गई। स्वजन ने बड़े अस्पतालों में इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। करीब 50 वर्ष पहले राजेश्वरी देवी से जब उनका विवाह हुआ तो ससुराल आकर वह पति का संबल बन गईं।इसे भी पढ़ें-गोरखपुर में हैवानियत की सभी हदें पार, दुष्कर्म के बाद महिला को जिंदा जलाने का प्रयास, मचा हड़कंप
समय के साथ बच्चों की परवरिश व शिक्षा भी राजेश्वरी देवी के दिशा निर्देशन में हुआ। बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर हर कार्य में उन्होंने पिता बन दायित्व निभाया। परिवार में कोई नौकरी नहीं थी, ऐसे में जीवन- यापन के लिए अपनी निगरानी में खेती कराना शुरू किया। कृषि से होने वाली आय से उन्होंने अपने बच्चाें की हर जरूरत पूरी की।
बच्चों को मिली सफलता तो छलक पड़े खुशी के आंसू
इंटर तक स्थानीय विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के बाद राजेश्वरी देवी ने उच्च शिक्षा के लिए अपने पुत्र गोरखनाथ पटेल, राजकुमार , रामनगीना व पुत्री अंजुला पटेल को गाेरखपुर भेजा। मां ने बच्चों की सभी जरूरतों को यथा संभव पूरा करने का प्रयास किया। उनकी फीस से लेकर भोजन तक की व्यवस्था की।मां के त्याग का प्रतिफल था कि बड़े पुत्र गोरखनाथ पटेल एमए, बीएड, पीएचडी करने के बाद 2012 में पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर बीएसए बन गए । दूसरे पुत्र रामकुमार एमए करने के बाद मनरेगा में एकाउंटेट हैं। तीसरे पुत्र रामनगीना पटेल एमबीए, एमए व बीएड तक की शिक्षा ग्रहण कर गोरखपुर में लेखपाल के पद पर कार्यरत हैं।
इसे भी पढ़ें-आगरा में आसमान से बरस रही आग, कानपुर बना सबसे गर्म शहर, जानिए आज कैसा रहेगा यूपी का मौसमपुत्री अंजुला पटेल ने भी स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की है। लंबे संघर्ष के बाद बेटों की सफलता से राजेश्वरी देवी काफी खुश हैं। उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
कहा कि मेरा शुरू से प्रयास था कि अपने खुद अभाव में रहूंगी, लेकिन बच्चों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं करूंगी। पारिवारिक समस्याओं के चलते मैं सिर्फ पांच तक पढ़ाई कर पाई। बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए पूरा प्रयास किया। आज इन्हें सफल देख खुशी हाेती है।
मां की प्रेरणा से मिली सफलताजौनपुर के बीएसए डा. गोरखनाथ पटेल ने बताया कि आज हम जिस मुकाम पर हैं, उसमें मां का बहुत बड़ा योगदान है। वहं बचपन से लेेकर आज तक हम भाई-बहन को संबल दे रहीं हैं। खुद अभाव में रह कर भी हमें कोई कष्ट नहीं होने दिया। बचपन में हमें भोर में चार बजे पढ़ने के लिए जगा देतीं थी।समय से तैयार कर स्कूल भेजने से लेकर होमवर्क पूरा करने की चिंता मां करती थी। हम सभी के लालन-पालन के लिए वह मां की तरह कोमल थी, तो पढ़ाई के मुद्दे पर पिता की तरह सख्त हो जाती थीं।
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