Move to Jagran APP

सपा के गढ़ में अखिलेश की बढ़ी टेंशन! भाजपा ने यादव बाहुल्य सीटों पर चला ये बड़ा दांव

अबकी बार 400 पार और यूपी की सभी 80 सीटों पर जीतने का दावा करने वाली भाजपा के सामने यादव बाहुल्य लोकसभा सीटें बड़ी चुनौती है लेकिन वह इन चुनौतियों से निपटने के लिए सपा के गढ़ मैनपुरी एटा और फिरोजाबाद में घात लगा रही है। वहीं सपा-कांग्रेस के साथ गठबंधन कर पीडीए के भरोसे चुनावी मैदान में है। यादव मतदाताओं को लेकर दैनिक जागरण की खास रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 18 Apr 2024 08:43 AM (IST)
Hero Image
सपा के गढ़ में अखिलेश की बढ़ी टेंशन! भाजपा ने यादव बाहुल्य सीटों पर चला ये बड़ा दांव
Lok Sabha Election 2024:अबकी बार 400 पार और यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही भाजपा के सामने बड़ी चुनौती उन लोकसभा सीटों पर होगी जहां यादव मतदाताओं का संख्या बल अधिक है। इनमें सपा का गढ़ कही जाने वाली मैनपुरी, फिरोजाबाद और एटा सीट भी है।

इस बार भाजपा यहां नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी है। पूर्व के चुनावों में भाजपा की कोशिश गैर यादव मतदाताओं को लामबंद करने की रही। इस बार, वह यादव मतदाताओं में भी सेंध को ताकत लगा रही है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को चुनाव प्रचार में उतारकर वह इसका संकेत दे चुकी है। साथ ही, यादव समाज के नेताओं को पाले में लाने की कसरत हो रही है।

मैनपुरी सीट पर तो बसपा ने भी यादव चेहरा उतार सेंधमारी का इरादा साफ कर दिया है। विरोधियों की इस रणनीति से सपा भी बेखबर नहीं। वह अपने वोट बैंक को सहेजने में जुट गई है। यादव मतदाताओं को लेकर छिड़े घमासान पर दिलीप शर्मा की रिपोर्ट...

मैनपुरी में पिछले 28 सालों से सपा का कब्जा

मैनपुरी लोकसभा सीट पर बीते 28 सालों से समाजवादी पार्टी का कब्जा है। आठ बार मुलायम व परिवार के सदस्य ही सांसद बने। मुलायम सिंह के निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने बड़ी जीत हासिल की थी।

इस वर्चस्व की बड़ी वजह यादव मतदाताओं की बहुलता को माना जाता है। वर्तमान में 17.87 लाख मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या चार लाख बताई जाती है। दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता हैं जो ढाई लाख के आसपास हैं।

समाजवादी पार्टी को यादव के साथ अन्य जातियों का वोट भी मिलता रहा है। पूर्व के चुनावों में सपा के विपक्षी दलों ने अन्य जातियों को गोलबंद करने की रणनीति पर काम किया। यादव मतदाताओं में सेंधमारी पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इस बार भाजपा ने इस कोशिश को ही सबसे आगे रखा है।

भाजपा ने जयवीर सिंह को मैदान में उतारा

भाजपा प्रत्याशी स्थानीय विधायक पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के नामांकन में मध्यप्रदेश के मोहन यादव को इसी रणनीति के तहत बुलाया गया था। अब मतदान से पहले तक मोहन यादव के कई दौरे कराने की रूपरेखा बन रही है। साथ ही, सपा से असंतुष्ट यादव नेता व प्रधानों से संपर्क साधा जा रहा है।

नामांकन से एक दिन पहले ही भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु रहे चौ. नत्थू सिंह के पौत्र धीरज यादव को पार्टी में शामिल कर सुर्खियां बटोरी थीं। अब, करहल और जसवंत नगर से यादव समाज के चेहरों को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश हो रही है।

मैनपुरी सीट पर यादव मतों में हिस्सेदारी की इस होड़ में बसपा भी उतरी हुई है। बसपा ने इस सीट पर पहले गुलशन शाक्य को प्रत्याशी घोषित किया। मंगलवार को उनकी टिकट बदलकर भरथना के पूर्व विधायक शिवप्रसाद यादव को दे दी गई। शिव प्रसाद यादव कई महीने से मैनपुरी में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

उन्होंने यहां यादव बाहुल्य इलाकों में कई चौपाल भी की थीं। इस माहौल को देखते हुए सपा भी सतर्क हो गई है। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के साथ नामांकन में पूरे परिवार ने एक साथ आकर अपने मतदाताओं को बड़ा संदेश देने की कोशिश की। समर्थक नेताओं को भी सेंधमारी से सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है।

एटा में भी भाजपा ने चला दांव

एटा लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा इस दांव को आजमा रही है। क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या 2.75 लाख है। इस बार बड़ी पार्टियों से कोई भी यादव प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं हैं। भाजपा से कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं।

पिछले चुनावों में यादव सजातियों का समर्थन करते रहे हैं। सपा इस बार टिकट वितरण में इस सीट पर यादव मोह से बाहर निकल आई और देवेश शाक्य को टिकट दिया है। ऐसे में भाजपा अपनी चुनौती को ज्यादा कठिन मान रही है। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार यादव समीकरणों में बदलाव लाने के लिए भाजपा ने सपा के कई यादव नेताओं को पार्टी में शामिल किया है।

कुंवर देवेंद्र सिंह भाजपा में शामिल

दो बार सपा से सांसद रहे कद्दावर नेता कुंवर देवेंद्र सिंह यादव भी भाजपा में आए हैं। इसके अलावा बसपा छोड़कर पूर्व विधायक अजय यादव ने भी भाजपा का दामन थामा है। कुछ ब्लाक प्रमुख एवं पूर्व ब्लाक प्रमुख भी पार्टी में पहुंचे हैं। भाजपा ने यादव कुनबे में सेंध लगाकर यादव मतदाताओं को सोचने के लिए विवश कर दिया है कि भाजपा यादवों के लिए अछूत नहीं है। भाजपा की सेंधमारी से यादव मतदाताओं में हलचल है और अपना नफा-नुकसान तौल रहे हैं।

यादव मतदाताओं में सेंध की इस रणनीति के केंद्र में दूसरी लोकसभा सीट फिरोजाबाद है। फिरोजाबाद में भी यादव मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। जिले में कुल 18.87 लाख मतदाताओं में चार लाख यादव मतदाता है। वहीं, दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं। सपा इन्हीं छह लाख वोटों के दम पर अपनी स्थिति मजबूत मानती है। यहां, भाजपा ने सैफई परिवार के रिश्तेदार और पूर्व विधायक हरिओम यादव को पिछले जिला पंचायत के चुनाव में अपने पाले में कर लिया था।

विधानसभा चुनाव में उन्हें सिरसागंज सीट से प्रत्याशी बनाया, हालांकि वह जीत नहीं पाए थे। लोकसभा टिकट की दौड़ में भी वह तीन दिन पहले तक सबसे आगे थे। अब टिकट ठाकुर विश्वदीप सिंह को दिया गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि हरिओम यादव को यादव समाज को भाजपा के साथ जोड़ने में लगाया जाएगा।

यहां भी, मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव को नामांकन में बुलाने और उसके बार प्रचार को सभाएं कराने की रूपरेखा भी बनाई है। भाजपा ने एक सप्ताह पहले जसराना क्षेत्र के गांव इटाहरी में 100 से अधिक यादवों को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख डा. लक्ष्मी नारायण, वरिष्ठ नेता रामकैलाश यादव को भी सेंधमारी में लगाया गया है।

इसे भी पढ़ें: यूपी के इस जिले में कल रहेगा सार्वजनिक अवकाश, इन दो जगहों के बाजार खुले रहेंगे; आदेश जारी

इसे भी पढ़ें: Dimple Yadav Net Worth: 60 लाख के गहने, बेटी का लंदन में अकाउंट...; कितनी संपत्ति की मालकिन हैं डिंपल यादव?

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।