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Mainpuri: सपा का दुर्ग जीतना बड़ी चुनौती, 10 चुनावों से लगा है हार का ग्रहण, पढ़िए पिछले नतीजों का हाल

Mainpuri By Poll भाजपा के लिए अब तक सपना ही बना हुआ है मैनपुरी लोकसभा सीट पर जीत हासिल करना। 10 चुनावों से लगातार पराजित हो रहे हैं प्रत्याशी। बीते चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ने पर भी मिली थी हार। सपा का दुर्ग भेदना बड़ी चुनौती।

By Dileep SharmaEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 20 Nov 2022 03:58 PM (IST)
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Mainpuri By Poll: मैनपुरी में भाजपा को दस चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है।

मैनपुरी, जागरण टीम (दिलीप शर्मा)। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़े सपाई दुर्ग को जीतना अब तक भाजपा के लिए स्वप्न ही बना हुआ है। पिछले 10 चुनावी युद्धाें में केसरिया खेमे ने अपने सिपहसालारों के साथ ताकत दिखाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन विजय का मुकुट हर बार समाजवादी पार्टी के लड़ाके ही ले जाते रहे। यहां तक कि जब वर्ष 2014 और 2019 में जब मोदी लहर के चलते पूरे देश में पूरी शान से केसरिया लहरा रहा था।

तब भी मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी ध्वज ने अपनी ताकत दिखाई थी। अब फिर भाजपा नए जोश और नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने जा रही है, हालांकि इस सपाई दुर्ग पर केसरिया फहराने के लिए उसे नया इतिहास बनाने का चमत्कार ही करना पड़ेगा।

दस चुनावों में मिली है हार

भाजपा ने पहली बार वर्ष 1991 में रामनरेश अग्निहोत्री (वर्तमान में भाजपा से भोगांव विधायक) को मैदान में उतारा था। सामने थे सपा के उदयप्रताप सिंह। उस चुनाव में भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी। इसके बाद से भाजपा के भाग्य को पराजय का ग्रहण लगा हुआ है। वर्ष 1996, 1998 और 1999 के चुनावों में दूसरे नंबर पर रहने वाली भाजपा, वर्ष 2004 और 2009 के चुनावों में तीसरे स्थान तक खिसक गई थी। हालांकि इसके बाद भाजपा ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया, फिर भी जीत की देहरी तक नहीं पहुंच पाई। इस बार भाजपाई खेमा पूरे जोश में नजर आ रहा है।

तीन लोकसभा चुनावों में भी नहीं मिली जीत

बीते तीन लोकसभा उपचुनावों में मिली जीत को दोहराने के लगातार दावे किए जा रहे हैं। इसकी वजह यह भी है कि बीते कुछ सालों भाजपा का संगठन भी पहले से मजबूत हुआ है। परंतु सपा के गढ़ को ढहाने के लिए भाजपा के सामने मत प्रतिशत के बड़े अंतर को पाटने की चुनौती है। इसलिए उत्साह में है भाजपापूर्व के चुनावों में भाजपा जब-जब मैदान में उतरी उसका संगठन बहुत मजबूत नहीं था।

करहल, किशनी और जसवंतनगर विधानसभाओं के तो सैकड़ों बूथ ऐसे रह जाते थे, जहां पार्टी के बस्ते तक नहीं लग पाते थे। लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र की सरकार और फिर 2017 में प्रदेश में सरकार बनने के बाद संगठन का जबर्दस्त विस्तार हुआ है। वर्तमान में हर बूथ पर भाजपा अपनी समितियां गठित कर चुकी है। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के जीत को अंतर को 94 हजार मतों तक समेट दिया था। फिर बीते विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की चार विधानसभा सीटों में से दो पर जीत हासिल की। इससे भाजपा का उत्साह बढ़ा हुआ है।

इसलिए बड़ी है सपा को हराने की चुनौती

  • सपा इस बार मुलायम की विरासत और गढ़ को बचाने के लिए पसीना बहा रही है
  • सपा को सबसे बड़ी उम्मीद मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में सहानुभूति वोट मिलने की है
  • इस बार नेताजी की पुत्रवधु डिंपल यादव प्रत्याशी हैं
  • सपा मुखिया अखिलेश यादव सहित पूरा परिवार दिन-रात प्रचार में लगा है
  • शिवपाल सिंह यादव भी अब पूरी तरह परिवार के साथ आ चुके हैं और खुलकर डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं

इस सबके चलते ही सपा रिकार्ड जीत मिलने के दावे कर रही है।

ऐसा रहा है अब भाजपा का चुनावी सफर

  • 1991 के चुनाव में रामनरेश अग्निहोत्री 114298 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 1996 के चुनाव में उपदेश सिंह चौहान 221345 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 1998 के चुनाव में अशोक यादव 254368 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 1999 के चुनाव में दर्शन सिंह यादव 216087 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 2004 के चुनाव में बलराम सिंह यादव 111153 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे
  • 2004 उप चुनाव में रामबाबू कुशवाह 14544 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे
  • 2009 के चुनाव में तृप्ति शाक्य 56265 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं
  • 2014 के चुनाव में शत्रुघ्न सिंह चौहान 231252 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 2014 उपचुनाव में प्रेम सिंह शाक्य 332537 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे
  • 2019 के चुनाव में प्रेम सिंह शाक्य 430537 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे

2.6 से 44 प्रतिशत वोट तक पहुंच गई भाजपा

अब तक लड़े नौ चुनावों में भाजपा अधिकतम 44.01 प्रतिशत वोट तक पहुंच चुकी है। वर्ष 1991 के चुनाव में भाजपा को 26.57 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद 1998 में 40.06 फीसद वोट मिले। 2004 के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी 2.6 फीसद वोटों तक ही सिमट गया था। वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा को 8.10 प्रतिशत वो प्राप्त हुए थे। परंतु इसे बाद मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई। 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 14.29 प्रतिशत वोट मिले। 2014 के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा 33 प्रतिशत वोट तक पहुंची और 2019 के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को अब तक के सर्वाधिक 44.01 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। 

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