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सीएमएस ने कसे डाक्टरों के पेच, गुरुवार को न दिखे बाहर के पर्चे

जागरण असर जागरण ने उजागर किया था ब्रांडेड दवाएं लिखने का खेल सीएमएस ने बैठक बुलाकर डाक्टरों को दी कार्रवाई की चेतावनी

By JagranEdited By: Updated: Fri, 24 Jun 2022 06:10 AM (IST)
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सीएमएस ने कसे डाक्टरों के पेच, गुरुवार को न दिखे बाहर के पर्चे

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: सरकारी अस्पताल में जन औषधि केंद्र खुलने के बाद भी ब्रांडेड दवाएं लिखने का खेल चल रहा है। जागरण ने गुरुवार को मरीजों का यह दर्द प्रमुखता से उजागर किया तो अस्पताल प्रशासन हरकत में आ गया। सीएमएस ने सभी चिकित्सकों की बैठक बुलाकर पर्चों पर साल्ट लिखने की हिदायत दी। ब्रांडेड दवा लिखने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इसके चलते गुरुवार को मरीजों को जेनरिक दवाएं ही लिखी गईं।

जन औषधि केंद्रों की शुरुआत होने के बाद स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि चिकित्सक ब्रांडेड दवाओं के नाम की जगह साल्ट लिखकर दें, ताकि मरीज जन औषधि केंद्र से दवाएं खरीद सकें। परंतु कुछ चिकित्सक इसका पालन नहीं कर रहे। जागरण ने गुरुवार के अंक में जेनरिक के बजाय ब्रांडेड दवाएं लिखे जाने के मामले को प्रकाशित किया। इसके बाद जिला अस्पताल के सीएमएस डा. अरविद कुमार गर्ग ने सभी चिकित्सकों की बैठक बुलाई। सीएमएस ने नाराजगी जताते हुए सभी को हिदायत दी कि कोई भी मरीज के पर्चे पर ब्रांडेड दवाएं न लिखे। पर्चों पर साल्ट लिखने के निर्देश का सौ फीसद पालन किया जाए। यदि किसी चिकित्सक द्वारा ब्रांडेड दवा लिखने की बात सामने आई तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

सीएमएस की बैठक का गुरुवार को असर भी नजर आया। बुखार और डायरिया की दवा लेने आए आवास विकास कालोनी निवासी सुरेश सिह ने बताया कि उनको सारी दवाएं जन औषधि केंद्र से ही मिल गईं। इसी तरह किशनी निवासी तेंद्र पाल, भोगांव निवासी अमन यादव के पर्चों पर भी जेनरिक दवाएं लिखी हुई थीं।

सीएमएम ने बताया कि सभी को जेनरिक दवाएं लिखने के आदेश हैं। इसकी समय-समय पर क्रास चेकिग भी की जाती है। यदि कोई उल्लंघन करता पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी। पर्चियों के जरिए चलता है खेल

अस्पतालों में पर्चियों के जरिए महंगी दवाएं लिखने का खेल चल रहा है। एक-दो डाक्टर पर्चे के साथ अलग से पर्ची बनाकर देते हैं। इस पर्ची में जो दवाएं लिखी होती हैं, वो न तो अस्पताल में मिलती हैं और न ही जेनरिक स्टोर पर। मरीजों और तीमारदारों को ये दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोर्स से महंगी कीमत पर खरीदनी पड़ रही हैं। यह है सस्ते-महंगे का गणित

शुगर के मरीजों को मेटफार्मिन 500 एमजी की दवा लिखी जाती है। जेनरिक स्टोर पर इसके साल्ट की कीमत पांच से 11 रुपये तक है। जबकि मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली ब्रांडेड दवा 50 रुपये की आती है। वहीं जब मेटफार्मिन के साथ टेनीग्लिक्सिन का कांबीनेशन दिया जाता है तो जेनरिक दवा की कीमत 65 रुपये बैठती है, जबकि ब्रांडेड दवा की कीमत 280 रुपये है। बच्चों को दिया जाने वाला सीरप सेटिक्जिन जेनरिक स्टोर पर 20 रुपये का है, जो बाजार में 60 से 70 रुपये में मिलता है। इसी तरह सैफरोक्जिन की कीमत जेनरिक स्टोर में 60 रुपये है और ब्रांडेड दवा 150 रुपये में मिली है। सर्जिकल में क्रैप बैंडेज की बात करें तो छह की बैंडेज जेनरिक स्टोर पर 55 रुपये की है, जबकि ब्रांडेड 250 रुपये तक की मिलती है।

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