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UP News: भगवान ने 20 साल की मुराद पूरी कर दी...मैनपुरी में लापता बेटा लौटा तो माता-पिता की आंखों से बहे आंसू

Mainpuri News केके खेत पर जाने के लिए निकले और फिर घर नहीं लौटे थे। गांव और परिवार के लोग कौशलेंद्र को भूलने लगे थे लेकिन उनकी मां शकुंतला देवी एक क्षण अपने पुत्र को भूल नहीं पा रही थी। रोजाना मंदिर जाकर कौशलेंद्र की कुशलता और उनके घर लौटने के लिए प्रार्थना करती थी। पुत्र के सकुशल वापसी के लिए प्रसाद भी बोला था।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 02 Oct 2024 10:06 AM (IST)
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Mainpuri News: कौशलेंद्र के घर लौटने पर खुश हो गए माता−पिता।

संसू, जागरण. औछा/मैनपुरी। 20 साल पहले लापता हुआ बेटा, घर लौटा तो पहचान को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। पहचान की पुष्टि हुई तो मां दहाड़े मारकर रोने लगी। खोए बेटे को सीने से लगा लिया। बोली 20 साल की तपस्या के बाद भगवान ने आज मुराद पूरी की है। युवक के घर लौटने पर परिवार में खुशी छा गई। माता-पिता ने मंदिर में प्रसाद चढ़कर गांव में लड्डू बंटवाए।

थाना औंछा के गांव बल्लमपुर निवासी राजेंद्र सिंह के तीन पुत्र धीरेंद्र कुमार, कौशलेंद्र कुमार और सुधीर कुमार है। कौशलेंद्र मानसिक रूप से कमजोर थे। दिसंबर 2003 में उनकी उम्र 17 वर्ष थी।

खेत पर जाने के लिए निकले थे

कौशलेंद्र खेत पर जाने के लिए घर से निकले थे, फिर लौटकर नहीं आए। स्वजन ने काफी तलाश किया। अलग-अलग होटल, ढाबों, भट्ठों व अन्य स्थानों पर खोजा, लेकिन कोई पता नहीं चला। निराश होकर स्वजन ने खोज बंद कर दी। परिवार ने कौशलेंद्र के बिना जीना शुरू कर दिया। कौशलेंद्र के बड़े भाई ट्रक चालक बन गए। छोटा भाई दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने लगा। दोनों का विवाह हो गया। उनका परिवार गांव में ही रहता है।

कौशलेंद्र को केके कहकर बुलाते थे

शुक्रवार सुबह 38 साल का एक युवक गांव बल्लमपुर पहुंचा और राजेंद्र सिंह के घर के पास बैठ गया। पहले तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया। बाद में गौर से देखा तो लगा ये कौशलेंद्र है। गांव और परिवार के लोग कौशलेंद्र को केके नाम से बुलाते थे। ग्रामीणों ने पूछा कि तुम केके हो, तो युवक ने हामी भरते हुए सिर हिला दिया। गांव के लोगों ने शकुंतला और राजेंद्र को सूचना दी तो वे भी मौके पर पहुंच गए। केके की पहचान का प्रयास शुरू हुआ।

बेटे की पहचान होने पर खुशी से रोए माता−पिता

माता-पिता ने देखते ही अपने बेटे को पहचान लिया।इसके बावजूद ग्रामीण संदेह जताते रहे। शकुंतला देवी ने बताया कि कौशलेंद्र की कलाई की हड्डी निकली हुई थी। हड्डी की जांच हुई तो युवक के कौशलेंद्र होने की पुष्टि हो गई। ग्रामीणों ने युवक से कहा कि इतने लोगों में जो तुम्हारे पिता हो तो उनके पैर छुओ। इस पर युवक ने राजेंद्र सिंह के पैर छू लिए । राजेंद्र और शकुंतला ने कौशलेंद्र को सीने से लगा लिया। माता-पिता की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी।

बेटे के लौटने के लिए बोला था प्रसाद

शकुंतला देवी ने बताया कि वे एक क्षण अपने पुत्र को नहीं भूली थी। बेटे के लौटने का प्रसाद बोला था, जो अब चढ़ाऊंगी। शकुंतला देवी और राजेंद्र अपने पुत्र कौशलेंद्र को घर के अंदर ले गए। उन्हें नहला कर अच्छे कपड़े पहनाएं। उस समय कौशलेंद्र के दोनों भाई घर पर नहीं थे। कौशलेंद्र की भाभी और भतीजे उत्साहित थे।

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शकुंतला देवी और राजेंद्र, कौशलेंद्र को लेकर ग्रामीणों के साथ प्राचीन शिव आश्रम वनकटी मंदिर पहुंचे। यहां प्रसाद चढ़ाने के बाद पूरे गांव में लड्डू बंटवाए गए। कौशलेंद्र के लौटने की सूचना पर बड़े भाई धीरेंद्र गांव पहुंच गए। स्वजन ने बताया कि छोटा भाई सुधीर भी कौशलेंद्र से मिलने के लिए गांव आने वाला है। 

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