करहल में फूफा और भतीजा आमने-सामने, एक मुलायम का दामाद, दूसरा लालू यादव का- भाजपाई दांव से दिलचस्प हुआ मुकाबला
अनुजेश यादव के परिवार और सैफई परिवार के बीच रिश्तेदारी होते हुए भी पुरानी खटास चली आ रही है। पूर्व में दोनों परिवारों के बीच गहरा रिश्ता रहा है। मुलायम सिंह यादव के समय में अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव को सपा ने कई बार चुनाव लड़ाया। वह 1993 और 97 में विधायक बनीं परंतु इसके बाद चुनाव नहीं जीत सकीं।
दिलीप शर्मा, मैनपुरी। करहल विधानसभा सीट के उपचुनाव की बिसात को भाजपा के दांव ने दिलचस्प बना दिया है। भाजपा ने बुधवार को अनुजेश यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं, जबकि सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव उनके भतीजे हैं। इस लिहाज से सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच मुकाबला होगा।
अनुजेश यादव की मां घिरोर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुकी हैं और पत्नी संध्या यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। करहल सीट पर चुनावों में भाजपा ने दूसरी बार यादव चेहरे पर दांव लगाया है। इससे पहले वर्ष 2002 में भाजपा ने सोबरन सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था और सपा को पराजित किया था। ऐसे में कड़ी टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है।
दोनों प्रत्याशी दाखिल कर चुके हैं नामांकन
करहल विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सबसे पहले सपा ने तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी घोषित किया था। इसके बाद बसपा ने डा. अवनीश शाक्य को मैदान में उतारा। ये दोनों प्रत्याशी अपने नामांकन भी दाखिल कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा के प्रत्याशी पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं। जागरण ने पूर्व में ही भाजपा द्वारा यादव चेहरे को मैदान उतारने की संभावना जता दी थी। बुधवार को प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही जागरण के समाचार पर मुहर लग गई।अनुजेश यादव की मां भी रह चुकी हैं विधायक
भाजपा के प्रत्याशी अनुजेश यादव भारौल, फिरोजाबाद के रहने वाले हैं। वह वर्ष 2015 से 2020 तक फिरोजाबाद से जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। उनकी पत्नी संध्या यादव भी इसी अवधि में मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। वह स्व. मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव (सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के पिता) की पुत्री हैं। वहीं अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव वर्ष 1993 और 1997 में तत्कालीन घिरोर विधानसभा सीट से दो बार सपा की टिकट पर विधायक रह चुकी हैं।
पूरे परिवार की क्षेत्र में खासी पकड़ मानी जाती है। करहल विधानसभा सीट पर यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं। उनकी संख्या सवा लाख बताई जाती है। ऐसे में भाजपा ने यादव चेहरे को उतार इन मतों में सेंधमारी के साथ अन्य जातियों की गोलबंदी का दांव चला है। विधानसभा क्षेत्र में दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता आते हैं और बसपा ने शाक्य प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में चुनावी समीकरण दिलचस्प हो गए हैं।
पुरानी है परिवारों के बीच की खटास
अनुजेश यादव के परिवार और सैफई परिवार के बीच रिश्तेदारी होते हुए भी पुरानी खटास चली आ रही है। पूर्व में दोनों परिवारों के बीच गहरा रिश्ता रहा है। मुलायम सिंह यादव के समय में अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव को सपा ने कई बार चुनाव लड़ाया। वह 1993 और 97 में विधायक बनीं, परंतु इसके बाद चुनाव नहीं जीत सकीं। वर्ष 2011 में उन्होंने सपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, परंतु जीत हासिल नहीं कर पाई थीं। बाद में वह दोबारा सपा में शामिल हो गई। वहीं अनुजेश यादव की पत्नी संध्या यादव जनवरी 2015 में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के तौर पर मैनपुरी जिला पंचायत की अध्यक्ष चुनी गईं थीं।फिर परिवार के साथ कुछ अनबन हो गई और जुलाई 2015 को सपा का एक धड़ा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। उस वक्त संध्या यादव को भाजपा का सहयोग मिला था और उनके खिलाफ प्रस्ताव गिर गया था। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अनुजेश यादव भाजपा में शामिल हो गए थे, जबकि संध्या यादव वर्ष 2021 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं। हालांकि उस चुनाव में उनको पराजय का सामना करना पड़ा था।
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