Lok Sabha Election: 28 साल में राजनीतिक ट्रैक की रेस में सबसे आगे रही है इस सीट पर साइकिल, BJP की बढ़ती ताकत से अब मिल रही चुनौती
Lok Sabha Election 2024 मैनपुरी लोकसभा सीट पर अब तक नहीं मिली है भाजपा को जीत। लोकसभा चुनाव की रेस में अब तक सबसे आगे रही है साइकिल। इस बार डिंपल यादव पर है गढ़ को बचाए रखने की जिम्मेदारी भाजपा की बढ़ती ताकत से मिल रही चुनौती। मुलायम सिंह यादव ने यहां से पांच बार हासिल की थी बड़ी जीत।
दिलीप शर्मा, मैनपुरी। देश की सत्ता को छिड़ी रेस में मैनपुरी सीट पर जीत का पुरस्कार पाने को हर दल ताकत झोंक रहा है। पूर्व के चुनावों में लोकसभा क्षेत्र के इस राजनीतिक ट्रैक पर रेस में सबसे आगे साइकिल ही दौड़ती रही।
28 साल पहले मुलायम सिंह यादव पर यहां मतदाता ऐसा फिदा हुआ कि साइकिल तेज रफ्तार बरकरार रही और विरोधियों को पछाड़ती रही। परंतु उसके सामने इस बार जीत को मंजिल तक पहुंचना आसान नहीं।
केसरिया खेमा इस बार साइकिल को पीछे छोड़ने के लिए पूरी ताकत से दौड़ रहा है। बीते कई चुनावों से कमल को मिलने वाला मताें का खाद-पानी भी लगातार बढ़ रहा है। दूसरी तरफ बीते चुनाव में गठबंधन के तहत सपा का साथ देने वाली बसपा भी पूरी ताकत से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
मुलायम सिंह यादव आए तो बदल गया पासा
मैनपुरी लोकसभा सीट पर वर्ष 1952 में हुए स्वतंत्र भारत के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर वर्ष 1991 तक किसी एक दल वर्चस्व नहीं रहा था। इस अवधि में सर्वाधिक बार कांग्रेस को विजय मिली, परंतु उसे पराजय का स्वाद भी चखना पड़ा था। इस सीट स्व. मुलायम सिंह यादव का प्रभाव तो उनके राजनीतिक उदय के बाद भी आरंभ हो गया था। परंतु वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन होने के बाद यह क्षेत्र सपा के रंग में रंगता चला गया।
वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यादव पहली बार इस सीट पर लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे। उस चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के उपदेश सिंह चौहान से था। चुनाव में कांटे की टक्कर हुई, कई हिंसक घटनाएं भी हुईं थी। हालांकि अंत में जीत मुलायम सिंह के हाथ लगी। इसके बाद से सपा ने यादव मतदाताओं की बहुलता वाली
इस सीट पर अन्य जातियों के मतों की बड़ी गोलबंदी की और वह हर चुनाव में जीतती चली गई और यह लोकसभा क्षेत्र सपा का गढ़ कहा जाने लगा।
वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा में जबर्दस्त लहर की बावजूद यहां मुलायम सिंह यादव सांसद बने। हालांकि 2019 के चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में बड़ी बढ़ोतरी हुई थी और मुलायम सिंह की जीत का अंतर 94 हजार वोटों तक सिमट गया था। परंतु वर्ष 2022 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव ने भाजपा को 2.88 लाख वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया था। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर ही दांव खेला है।
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हालांकि इस बार की चुनौती आसान नहीं मानी जा रही। पिछले लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा का यहां जबर्दस्त विस्तार हुआ है। उसके मत प्रतिशत की बढ़ोतरी को थामना भी सपा के लिए आसान नहीं होगा।
दूसरी तरफ वर्ष 2019 के चुनाव में सपा का बसपा के साथ गठबंधन था। ऐसे में सीधी भाजपा से लड़ाई थी, परंतु इस बार बसपा भी चुनाव मैदान में होगी। ऐसे में सपा गढ़ को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।
मुलायम सबसे बड़े पहलवान
मैनपुरी लोकसभा सीट की बात करें तो स्व. मुलायम सिंह यादव ही यहां के सियासी अखाड़े के सबसे बड़े पहलवान थे। मुलायम सिंह यादव इस लोकसभा सीट पर पांच बार मैदान में उतरे और हर बार विरोधित को पराजित किया। मुलायम के बाद सबसे ज्यादा जीत बलराम सिंह यादव मिलीं। वह एक बार कांग्रेस की टिकट पर और दो बार सपा की टिकट पर चुनाव जीते।
सपा की जीत का सफर
- 1996 में मुलायम सिंह जीते जीते।
- 1998 में बलराम सिंह यादव जीते।
- 1999 में बलराम सिंह यादव जीते।
- 2004 में मुलायम सिंह जीते।
- 2004 उप चुनाव में धर्मेंद्र यादव जीते।
- 2009 में मुलायम सिंह जीते।
- 2014 में मुलायम सिंह जीते।
- 2014 उप चुनाव में तेज प्रताप जीते।
- 2019 में मुलायम सिंह जीते।
- 2022 उपचुनाव में डिंपल यादव जीतीं।
खूब बढ़ी सपा की ताकत, अब बढ़ रही चुनौती
पहला चुनाव जीतने के बाद सपा ने यहां की जनता में अपने प्रति जबर्दस्त विश्वास जगाया। इसका अंदाजा चुनाव दर चुनाव सपा के मत प्रतिशत को लेकर लगाया जा सकता है।
- 1996 के चुनाव में सपा को 42.77 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद के चुनाव में यह आंकड़ा 41.69 फीसद रह गया।
- इसके बाद 99 के चुनाव में 63.96 फीसद, 2004 के चुनाव में 62.64 फीसद, 2004 उपचुनाव में 56.44, 2014 के उप चुनाव में 59.63 फीसद वोट मिले।
- परंतु 2014 के उप चुनाव में फिर उछाल आया और सपा को 64.89 फीसद वोट हासिल हुए।
- हालांकि वर्ष 2019 में सपा के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट आई और यह 53.66 तक सिमट गया।
- इसके बाद वर्ष 2022 के उपचुनाव में डिंपल यादव ने 64.06 प्रतिशत वोट पाकर सबको चौंकाया।
हालांकि उस चुनाव में सपा को मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण सहानुभूति लहर का लाभ मिलने की बात कही जाती है। ऐसे में सपा इस बार तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।