हर सरकारी कार्यालय में दिखेगी 'तारकशी'
मैनपुरी: तारकशी मैनपुरी के हस्तशिल्पियों का एक नायाब हुनर। इसमें बेजान लकड़ी और पीतल के तारों से बनाई गई आकृति जीवंत हो उठती है।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:09 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मैनपुरी: तारकशी मैनपुरी के हस्तशिल्पियों का एक नायाब हुनर। इसमें बेजान लकड़ी और पीतल के तारों से बनाई गई आकृति जीवंत हो उठती है। जो भी इस कला को देखता है, वह देखता ही रह जाता है। तारकशी की इस बेजोड़ कला के प्रचार-प्रसार के लिए अब जिलेकके हर सरकारी कार्यालय में इसके कुछ नमूने देखने को मिलेंगे।
तारकशी एक बहुत प्राचीन हस्तशिल्प कला है। जो मैनपुरी में कई दशकों से फलती-फूलती आ रही है। अब तक सरकार की बेरुखी से ये कला गुमनाम थी। अब ऐसा नहीं है, प्रदेश सरकार ने इस कला का 'एक जनपद-एक उत्पाद' के तहत चयन होने के बाद इसके प्रचार-प्रसार की कवायद तेज कर दी है। पहले जहां लखनऊ के शिल्पग्राम में तारकशी के लिए एक दुकान आवंटित कर दी गई थी। वहीं अब जिले के प्रत्येक सरकारी कार्यालय में तारकशी हस्तशिल्प की आकृतियां लगाने की पहल की गई है। इसके लिए जिलाधिकारी प्रदीप कुमार ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। विदेशों में भी हैं कद्रदान तारकशी एक ऐसी कला है जिसमें शीशम की लकड़ी पर पीतल व चांदी के तार ठोंककर आकृतियां बनाई जाती हैं। एक आकृति बनाने में कम से कम दो से तीन दिन का समय लग जाता है। इसकी कीमत भी हजारों रुपये में होती है। केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस कला के कद्रदान हैं।
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