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Mulayam Singh Yadav Death News: वो कुश्ती भी थी खास, जिसने मुलायम सिंह यादव काे बनाया सियासत का सूरमा

Mulayam Singh Yadav Death News समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार सुबह अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से मैनपुरी में शाेक की लहर है। लोग उनके मैनपुरी से जुड़ाव और पुराने किस्से याद कर रहे हैं।

By Dileep SharmaEdited By: Prateek GuptaUpdated: Mon, 10 Oct 2022 09:59 AM (IST)
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Mulayam Singh Yadav Death News: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव। फाइल फाेटो
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। वर्ष 1962। जसवंतनगर की काशीपुर भदेही ग्राम पंचायत का गांव नगला अमर। खेत में बने अखाड़े में पहलवान दांव आजमा रहे थे। एक 23 साल का युवा पहलवान, एक के बाद एक कुश्ती रहा था। दूसरे पहलवान का हाथ पकड़कर पटकने का उसका चरखा दांव चलता तो तालियां गूंज उठती। युवा पहलवान की काबिलियत पर वाहवाही करने वालों में तत्कालीन विधायक मेंबर साहब (नत्थू सिंह) भी शामिल थे।विधायकजी, युवा से इतना प्रभावित हुए कि उसे अपना खास शिष्य बना लिया। फिर युवा ने राजनीति के ऐसे दांव दिखाएं कि सियासत के दंगल का सबसे बड़ा पहलवान बन गया। वह युवा और कोई नहीं, मुलायम सिंह यादव थे।

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नत्थू सिंह थे राजनीतिक गुरु

मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले नत्थू सिंह 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जसवंत नगर के विधायक थे। मुलायम सिंह यादव उस समय पहलवानी के शौकीन थे। उस कुश्ती के बाद नत्थू सिंह मुलायम सिंह यादव को गोद में उठा लिया।

अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह के साथ मुलायम सिंह यादव। फाइल फाेटो

अगले वर्ष 1963 में मुलायम सिंह करहल के जैन इंटर कालेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता बन गए। शिक्षा के साथ राजनीति में भी सक्रिय बने रहे। अपने समर्पण, मेहनत से मुलायम सिंह चंद दिनों में ही नत्थू सिंह के सबसे ज्यादा करीबी बन गए। इसके बाद नत्थू सिंह ने 1969 के चुनाव में अपनी जगह मुलायम सिंह यादव को ही जसवंत नगर से प्रत्याशी बना दिया। मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते और पहली बार विधायक बन गए। इसके बाद उनका सियासी सफर रफ्तार पकड़ता चला गया। वह छह बार और विधायक बने। 1996 से लेकर 2019 तक पांच बार मैनपुरी के सांसद रहे।

साथी कर रहे हैं पुराने दिनाें को याद

मुलायम सिंह यादव के शुरुआत से साथी रहे मेंबर साहब के पुत्र पूर्व एमएलसी सुभाष चंद्र यादव आज भी उन दिनों के याद करते हैं। बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव में गजब की नेतृत्व क्षमता थी। एक मुलाकात में ही लोग उनके मुरीद हो जाते थे। मुलायम सिंह यादव ने 13 वर्ष की उम्र में ही नहर आंदोलन में भाग लिया था। 1975 में आपातकाल के समय वह 19 महीने जेल में रहे थे। उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण था उनकी याददाश्त। वह हर व्यक्ति को नाम से जानते थे। भरी सभाओं में, रास्ता चलते में किसी को भी नाम से पुकार लेते थे। अपने लोगों का उन्हाेंने कभी साथ नहीं छोड़ा। अपने लोगों, कार्यकर्ताओं, क्षेत्र के जनता के लिए अपार स्नेह का भाव था।

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