राजनीतिक कौशल ने विरोधियों को भी बनाया था दोस्त, करहल का दुर्ग भेदने वाले केसरिया क्षत्रप को ही ले उड़े थे मुलायम सिंह
Karhal Assembly By Election Mulayam Singh News बाबू दर्शन सिंह यादव के भाई सोबरन सिंह यादव को 2002 में भाजपा ने चुनाव लड़ाया था। कड़े मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। लेकिन करहल में पराजय के बाद मुलायम सिंह यादव ने सोबरन सिंह को सपा में शामिल कर लिया और तीन बार सपा से प्रत्याशी बनाकर करहल का गढ़ मजबूत किया।
दिलीप शर्मा, जागरण. मैनपुरी। करहल विधानसभा सीट को समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ बनाने में स्व. मुलायम सिंह यादव की सबसे बड़ी भूमिका था।
अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने क्षेत्र की जनता में तो गहरी पैठ बनाई ही, विरोधियों को भी दोस्त बनाकर पार्टी को मजबूत किया।करहल के सपाई दुर्ग को भाजपा ने एक बाद उनके विरोधियों का साथ लेकर ही ढहाया था। वर्ष 2002 में भाजपा ने बाबू दर्शन सिंह यादव के भाई सोबरन सिंह को प्रत्याशी बनाया और सपा को पराजित कर दिया था। तब मुलायम सिंह यादव ने दर्शन सिंह परिवार से फिर दोस्ती की और सोबरन सिंह को सपा में शामिल कर लिया। इसके बाद सपा ने सोबरन सिंह को लगातार तीन चुनावों में प्रत्याशी बनाया और गढ़ को मजबूत कर लिया।
सोबरन सिंह ने खुद किया था करहल से लड़ने का अनुरोध
वर्ष 2022 में सोबरन सिंह यादव ने खुद अखिलेश यादव से अनुरोध कर उनको यहां से लड़ाया था। मुलायम सिंह यादव करहल के जैन इंटर कॉलेज में पढ़े थे। बाद में वह इसी कॉलेज में ही शिक्षक रहे। करहल सीट पर मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले चौ. नत्थू सिंह तीन बार विधायक रहे थे। राजनीति में जैसे-जैसे मुलायम सिंह यादव का कद बढ़ा मैनपुरी के चुनाव पर उनका प्रभाव बढ़ता गया। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद उनकी पार्टी 1993 के विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरी थी। उस चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने तीन बार के विधायक बाबूराम यादव को प्रत्याशी बनाया था।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का फाइल फोटो।
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