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जूता सेवा करने वाली बनवा रही गोशाला

विपिन पाराशर, मथुरा, वृंदावन: ऐसी लागी लगन..। कृष्ण की भक्ति में मीरा की ही दीवानगी नहीं थी। वृंद

By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 May 2017 11:59 PM (IST)
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जूता सेवा करने वाली बनवा रही गोशाला
विपिन पाराशर, मथुरा, वृंदावन: ऐसी लागी लगन..। कृष्ण की भक्ति में मीरा की ही दीवानगी नहीं थी। वृंदावन की कृष्णा को भी ऐसी ही लगन लागी है। सांवरे से प्रीति में संपत्ति और परिवार सब छूट गया। करोड़पति होने के बावजूद कृष्णा बांकेबिहारी के भक्तों के जूतों की रखवाली करती हैं। अब वह 60 लाख रुपये से कृष्ण की प्रिय गायों के लिए गोशाला बनवा रही हैं।

यह कहानी है मूलरूप से कटनी निवासी 85 वर्षीय फूलमती की। लगभग 40 साल की उम्र थी, तो घर में संपन्नता थी। कटनी के हीरागंज इलाके में परिवार की तीन कोठियां, तीन रेस्टोरेंट और तीन मिठाई की दुकानें थीं। अचानक परिवार को झटके लगने शुरू हुए। उनका 18 साल का बेटा बीमारी से गुजर गया, फिर 22 साल की शादीशुदा बेटी भी चल बसी। इसके बाद वह 45 साल की उम्र में ही घर-परिवार छोड़ बांकेबिहारी की शरण में आ गईं, परिजनों ने बहुत वापस ले जाने की कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुईं। यहां फूलमती से कृष्णा दासी हो गईं। वृंदावन में शुरुआत के 15 साल वह सेठ हरगुलाल की हवेली पर ठाकुरजी के प्रसाद तैयार करने में अपनी सेवा देती रहीं। वहां से हटने के बाद उनके सामने सवाल था कि बांकेबिहारी के नजदीक कैसे रहा जाए। ऐसे में मंदिर के गेट पर श्रद्धालुओं के जूतों की रखवाली शुरू कर दी। कुछ साल पहले उनके भी नहीं रहे। इसके बाद कटनी की करोड़ों की संपत्ति कृष्णा दासी के नाम ही आ गई। इसके बावजूद उन्होंने जूता रखवाली का काम बंद नहीं किया, उनका कहना है कि यह तो बिहारी जी की साक्षात सेवा है। जूता रखवाली के लिए श्रद्धालु कुछ देकर जाते हैं, इससे हर रोज लगभग सात-आठ सौ रुपये मिल जाते हैं। इसमें से जो भी धन जीवनयापन के बाद बचता है, उसे ठाकुर जी की सेवा में ही समर्पित कर देती हैं। यही नहीं कृष्णा दासी की कटनी में जो संपत्ति है, उसमें से एक साल पहले दो कोठियां बेच दीं। इससे मिली रकम में से 60 लाख रुपए से गायों के लिए गोशाला बनवाना शुरू कर चुकी हैं।

अन्नक्षेत्र को तलाश रहीं जमीन

कृष्णा दासी कहती हैं कि जीवन का भरोसा नहीं। इसलिए वे बचे पैसों से जल्द एक अन्न क्षेत्र शुरू करना चाहती हैं। इसमें बांकेबिहारी के भक्तों को प्रसाद की सुविधा होगी। इसके लिए वह उचित भूमि अथवा किसी धर्मशाला की तलाश में हैं।

-कइयों ने दिया धोखा

जब कुछ लोगों को पता चला कि कृष्णा दासी के पास पैसा है, तो बातों में फंसाकर लाखों रुपए की ठगी कर ली। इसलिए अब हर किसी पर भरोसा भी नहीं होता।

बांकेबिहारी का दर न छूटे

कृष्णा की इच्छा है कि जूता सेवा उन्होंने इसलिए शुरू की, जिससे बांकेबिहारी का दर न छूटे, किसी दिन इसी तरह सेवा करते हुए तन से प्राण निकल जाएं।

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