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Banke Bihari Corridor: कॉरिडोर बनने से अस्तित्व खो देंगी वृंदावन की नौ गलियां, पौराणिकता और प्राचीनता पर भी संकट

वृंदावन की हर गली कुंज गली हैं। हर गली का अपना इतिहास है। भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं से ये गलियां जुड़ी हैं। गलियारा बनने पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के आसपास की नौ कुंज गलियों का अस्तित्व भी खत्म होगा। साथ ही इन गलियों की पौराणिकता और प्राचीनता पर भी संकट आएगा। द्वापर में वृंदावन का स्वरूप वन के रूप में था और बसावट नहीं थी।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Tue, 21 Nov 2023 11:22 PM (IST)
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मथुरा: राज्य सरकार द्वारा ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित माडल। फोटो- जिला प्रशासन

संवाद सहयोगी, वृंदावन। वृंदावन की हर गली कुंज गली हैं। हर गली का अपना इतिहास है। भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं से ये गलियां जुड़ी हैं। गलियारा बनने पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के आसपास की नौ कुंज गलियों का अस्तित्व भी खत्म होगा। साथ ही इन गलियों की पौराणिकता और प्राचीनता पर भी संकट आएगा।

वृंदावन शोध संस्थान में शोध अधिकारी डॉ. राजेश शर्मा बताते हैं भगवान श्री राधा कृष्ण वृंदावन में रास रचाते थे। तब नगर नहीं था और घनी वृक्षावलियों और लता-पताओं के मध्य के रास्ते को ही कुंज गली का रूप माना जाता था। 

कुंज गलियों का उल्लेख पुराणों में नहीं मिलता है, जबकि लता-कुंजों का ही उल्लेख पुराणों में मिलता है। द्वापर में वृंदावन का स्वरूप वन के रूप में था और बसावट नहीं थी। गलियों का नाम बाद में पड़ा।

गलियां ही वृंदावन की पहचान

ऐसे में वृंदावन की हर गली कुंज गली है। ठाकुर बांके बिहारी के लिए बनने वाले गलियारे की जद में करीब नौ गलियां आएंगी। ये गलियां ही वृंदावन की पहचान है। ऐसे में ये गलियां टूटेंगी तो निश्चित ही वृंदावन की पौराणिकता पर संकट आएगा। इनमें सनेह बिहारी, होली गली, दुसायत गली, अष्टसखी गली, मोहन बाग गली, हवेली वाली गली, दाऊजी मंदिर गली, बाजार गली, पुलिस चौकी गली प्रमुख हैं। 

इन्होंने कहा…

सेवायत दिनेश गोस्वामी कहते हैं कि कुंज गलियां ही वृंदावन की पहचान हैं और हम इन गलियों का उजाड़ देंगे, तो वृंदावन अपना अस्तित्व खो देगा। इसके लिए भी अधिकारियों को मंथन करना होगा।

श्रद्धालुओं का आमना-सामना होने पर लगता था जाम

अब तक भक्तों की भीड़ मंदिर आने और जाने में इन नौ गलियों में बंटी रहती थी। तो एक रास्ता बंद होने पर सनेह बिहारी और मनीपाड़ा के सामने गली से श्रद्धालुओं को प्रवेश दिलवा दिया जाता था, लेकिन दिक्कत जब खड़ी हो जाती थी कि चारों ओर से श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़ते थे। तो मंदिर से बाहर निकलने वाले श्रद्धालुओं का आमना-सामना होते ही जाम और दबाव के हालात बन जाते थे।

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