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Mathura News: आस्था की डोर से भक्तों ने झुलाए ठाकुर बांकेबिहारी, रात में आराध्य ने सुख सेज पर किया विश्राम

Mathura News आस्था की डोर से भक्त आराध्य बांकेबिहारी को झोटे दे रहे थे। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का ठहराव भी हरियाली तीज पर पूरी तरह खत्म रहा। तो पीछे भी श्रद्धालुओं को रोकने की जरूरत नहीं पड़ी और हर श्रद्धालु बड़े ही आराम के साथ दर्शन करते हुए देखा गया। इस दिन आराध्य स्वर्ण रजत हिंडोले पर विराजमान होते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sat, 19 Aug 2023 11:50 PM (IST)
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Mathura News: आराध्य की एक झलक पाने को भोर से ही उमड़ा भक्तों का सैलाब।

संवाद सहयोगी, वृंदावन मथुरा हरियाली तीज पर शनिवार की सुबह वृंदावन की हर सड़क पर भक्तों का रेला बांकेबिहारी मंदिर की ओर बढ़ रहा था। भक्तों का एक ही ध्येय स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजित आराध्य बांकेबिहारी की एक झलक मिल जाए। आस्था भी ऐसी कि सुबह हल्की बारिश और फिर कभी तेज धूप तो भी छांव संग उमस भरी गर्मी का भी भक्तों पर असर नजर नहीं आया।

आराध्य की छवि देखकर सुधबुध खाे बैठे भक्त

भक्तों की भीड़ से गुलजार वृंदावन में भक्तों की टोली का रुख केवल ठा. बांकेबिहारी की ओर था। सुबह मंदिर खुलने से पहले हजारों भक्तों की भीड़ का दबाव मंदिर के बाहर बन गया और जैसे ही मंदिर के पट खुले एकसाथ भक्तों का हुजूम दर्शन को पहुंचे। स्वर्ण-रजत हिंडोला में विराजित आराध्य बांकेबिहारी की छवि का दर्शन कर भक्त सुधबुध खो बैठे। अपलक आराध्य की इस अद्भुत छवि का दर्शन भक्तों को मुग्ध कर गया। पुलिस और प्रशासन की दुरस्त व्यवस्था व श्रद्धालुओं की भीड़ में उम्मीद से कम भीड़ के कारण गलियों में न तो भीड़ का दबाव देखने को मिला और न ही आपाधापी का माहौल।

तड़के ही डेरा जमा लिया

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में शनिवार की सुबह हरियाली तीज पर कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला। सुबह 5 बजे से ही देश दुनिया से आए श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर डेरा डाल लिया। श्रद्धालुओं की भीड़ को बढ़ते देख सेवायतों ने जल्दी दर्शन खोलने का निर्णय लिया और छह बजे मंदिर के पट खोल दिए। मंदिर के जगमोहन में बेशकीमती स्वर्ण रजत हिंडोले में हरे परिधान और हीरे जवाहरात धारण कर आराध्य बांकेबिहारी झोटे ले रहे थे तो भक्तो की आस्था का ज्वार भी बढ़ता नजर आया। बांकेबिहारी के जयकारे और सावन की मल्हार के स्वर वातावरण में गूंज रहे थे।

शहर की हर सड़क पर भक्तों का रेला

हरियाली तीज पर शनिवार की भोर से ही तीर्थ नगरी की हर सड़क पर भक्तों का रेला ही नजर आ रहा था। शहर के बाहर बनी पार्किंग पर अपने वाहन खड़े कर श्रद्धालुओं का रेला बांकेबिहारी मंदिर की ओर बढ़ रहा था। शहर में चप्पे चप्पे पर तैनात पुलिस फोर्स श्रद्धलुओं की सुरक्षा व्यवस्था में लगी थी। कुछ श्रद्धालु ठहरने के उद्देश्य से अपना सामान लेकर आए। इनके वाहनों को भी जब एंट्री न मिली, तो सामान लेकर पैदल ही गंतव्य की ओर पहुंचने लगे।

वन-वे रूट से गुजरे श्रद्धालु

ठा. बांकेबिहारी मंदिर पहुंचने के लिए प्रशासन ने शहर के एंट्री पाइंटों से ही बैरीकेडिंग करके श्रद्धालुओं को एंट्री दी गई। जिस रास्ते श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़े, लौटकर उस रास्ते पर नहीं आए। जुगलघाट मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं ने गेट संख्या दो से प्रवेश किया तो उन्हें गेट संख्या 1 से बाहर निकाला। जबकि विद्यापीठ, किशोरपुरा की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को गेट संख्या तीन से प्रवेश देकर गेट संख्या चार से बाहर निकाला।

प्रशासन की अपील पर सहमत हुए सेवायत

हरियाली तीज पर शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद थी। ऐसे में प्रशासन ने सेवाधिकारियों संग बैठक कर जल्द बैठक करने की अपील की। मंदिर सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया प्रशासन की अपील पर मंदिर के पट सुबह छह बजे खोल दिए गए। जिसका लाभ श्रद्धालुओं को बहुत मिला।

सुखसेज पर सुलाया गया

तीज पर दिनभर बेशकीमती स्वर्ण-रजत हिंडोले में बैठ भक्तों को दर्शन देकर थके लाढ़ले बांकेबिहारी को रात में सुखसेज पर सुलाया गया। गुलाबी रंग में रंगे सनील के विस्तरों से बनी सेज पर हीरे-मोती की झालरों से सजावट की गई थी। रात में ठाकुरजी को भूख न लगे, इसका भी ख्याल रखा गया और सुबह उठने पर जरूरत के मुताबिक चांदी की कंघी भी ठाकुरजी की सुखसेज के समीप रखी गई। इससे पहले बेरीवाल परिवार की महिलाओं ने ठाकुरजी के बेशकीमती स्वर्ण-रजत हिंडोले के हर भाग को अलग-अलग उतारकर उन्हें रुई में पैक करके उनके बाक्स में रखा।

तोषखाने में रखवाया कीमती झूला

प्रबंधन ने इस बेशकीमती झूले को एकबार फिर मंदिर के तोषखाने में रखवा दिया। ठा. बांकेबिहारी मंदिर में हरियाली तीज पर साल में एक दिन ही ठा. बांकेबिहारीजी बेशकीमती स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। दिनभर में दर्शन देने के बाद थे आराध्य बांकेबिहारीजी की रात को सेवायतों ने इत्र से मालिश की और फिर उन्हें सुखसेज पर विश्राम करवाया। मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया बिहारीजी श्रद्धालुओं को झूले में दर्शन देने के उपरांत थक जाते हैं। उन्हें आराम देने के लिए पूरे साल में एक दिन सुख सेज पर ले जाया जाता है। यहां सुख सेज के समीप चांदी के स्टूल पर आराध्य के लिए पान का बीड़ा, रजत कलश में पानी, रजत कंघी, आदमकद रजत आइना एवं लड्डू रखे गए। ताकि ठाकुरजी को रात को भूख लगे तो लड्डू का भोग लगा सकें।

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