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Banke Bihari Mandir: रिमझिम फुहारों संग हिंडोले में झूले ठाकुर बांकेबिहारी, झलक पाने के लिए उमड़े श्रद्धालु

Banke Bihari Mandir के जगमोहन में बेशकीमती स्वर्ण रजत हिंडोले में हरे परिधान और हीरे जवाहरात धारण कर आराध्य बांकेबिहारी झोटे ले रहे थे तो भक्तों की आस्था का ज्वार भी बढ़ता नजर आया। बांकेबिहारी के जयकारे और सावन की मल्हार के स्वर वातावरण में गूंज रहे थे। हरियाली तीज को देखते हुए सेवायतों ने मंदिर के कपात तय समय से पहले ही खोल दिए थे।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 07 Aug 2024 08:07 PM (IST)
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हरियाली तीज पर स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजे ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़। - फोटो: जागरण।

जागरण संवाददाता, मथुरा। आसमान में उमड़ते-घुमड़ते काले बादल और रिमझिम फुहारों के बीच लाड़ले बांकेबिहारी ने स्वर्ण-रजत हिंडोले पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए तो आस्था का समंदर मंदिर में उमड़ने लगा। हिंडोले में विराजित ठाकुर बांकेबिहारी की एक झलक पाने को मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटी।

श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए सेवायतों ने भी हरियाली तीज पर बुधवार को तय समय से डेढ़ घंटे पहले मंदिर के पट खोल दिए। हिंडोले में आराध्य की छवि निहारते ही श्रद्धालु सुधबुध खो बैठे। हरे परिधान में स्वर्ण शृंगार कर ठाकुर बांकेबिहारी ने महारास की मुद्रा में दर्शन दिए तो मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा।

सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर डेरा डाल दिया। भीड़ बढ़ते देख सेवायतों ने सुबह सवा छह बजे मंदिर के पट खोल दिए।

झूलन चलो हिंडोला बृषभानु नंदनी को...राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा, झुक आए बदरा, झुकी आए बदरा..

बुधवार को इस भजन की पंक्तियां रिमझिम वर्षा के दौरान हरियाली तीज के पर्व पर बरसाना में सुनने को मिलीं। लाड़ली महल में बृषभानु नंदनी ने अपने नंदलाल के साथ मोरपंख से सुसज्जित हरी पोशाक धारण कर स्वर्ण हिंडोले में झूला झूला। ब्रह्मांचल पर्वत पर छाई हरी छठा के बीच स्थित लाड़ली जी मंदिर का दृश्य मनोरम रहा।

सुबह आठ बजे सेवायतों ने राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को गर्भगृह से बाहर जगमोहन में स्थित सोने-चांदी से जड़ित स्वर्ण हिंडोले में विराजमान कराया। मोरपंख से सुसज्जित हरे वस्त्र की पोशाक धारण कर मनमोहनी शृंगार से प्रिया-प्रियतम की झांकी आलौकिक व अद्भुत नजर आ रही थी।

सेवायतों ने छप्पन व्यंजनों से भोग लगाया। शाम पांच बजे राधारानी की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा को मंदिर के गर्भगृह से नीचे परिसर में बनी संगमरमर की सफेद छतरी में लाया गया। जहां से उन्होंने भक्तों को दर्शन दिए।