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हे बांकेबिहारी! इस बार चुनौती होगी झुलसाने वाली गर्मी, कम होगी पैदावार, पूरे साल का लेखाजोखा सुनेंगे ठाकुरजी

Banke Bihari Mandir Vrindavan ठाकुर बांकेबिहारी सृष्टि के रचियता हैं उन्हें सबकुछ पता है। लेकिन परंपरा है कि निभानी ही पड़ेगी। तो नव संवत्सर की प्रतिपदा मंगलवार को संवत का फलादेश भी ठाकुरजी को सुनाया जाएगा। इस परंपरा का निर्वहन सदियों से हो रहा है। मंगलवार को जब नवसंवत्सर होगा तो ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पुरोहित आचार्य छैलबिहारी मिश्र ठाकुरजी को इस वर्ष का यही फलादेश पढ़कर सुनाकर परंपरा निभाएंगे।

By Vipin Parashar Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 08 Apr 2024 05:13 PM (IST)
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बांकेबिहारी मंदिर में नवसंवत्सर में सुनाया जाएगा पूरे साल का लेखा जोखा।
संवाद सहयोगी, वृंदावन। हे बांकेबिहारी, इस बार पृथ्वी का तापमान बढ़कर गंभीर चुनौतियां पैदा करेगा। झुलसादेने वाली गर्म हवाओं से आदमी, पशु-पक्षी, फल-फूल, वनस्पतियां, पेड़, पौधे सभी कुंल्हला जाएंगे। भगवान भाष्कर अग्निवर्षा करेंगे।

चोर, डकैतों का आतंक होगा। बादल हो घिरेंगे। लेकिन, बिना बरसात के छंट जाएंगे। खेती को भी बड़ा नुकसान होगा और मनुष्य में पित्त संबंधी व छूआ छूत जैसी बीमारियों उत्पन्न होंगी।

पूरे साल का लेखाजोखा सुनाएंगे

सनातनी नववर्ष के पहले दिन मंगलवार को ठाकुर बांकेबिहारीजी के सामने पूरे साल का लेखाजोखा (फलादेश) सुनाएंगे आचार्य छैलबिहारी मिश्र। पंचांग का अध्ययन कर उन्होंने फलोदश तैयार कर लिया है। आचार्य के अनुसार इस बार संवत में राजा मंगल और मंत्री शनि है। इसबार गर्मी का प्रकोप भारी रहेगा। बारिश कम होगी। फसलें भी पानी की कमी के कारण बर्बाद होंगी। यद्यपि कई पश्चिमी क्षेत्र में फसलें सामान्य होंगी। गर्मी के प्रकोप से हालात बदतर हो सकते हैं। अग्निकांड, विस्फोट की भी अधिक संभावना है।

खनिज पदार्थाें का भंडार प्राप्त होगा

देश के मध्य भाग में अधिक बरसात से खेती को क्षति पहुंचेगी। पश्चिमी प्रदेशों में घी इत्यादि का भाव सस्ता चलेगा। दक्षिण भारत में धनु लग्न में वर्ष का प्रवेश शुभफलकारी है। यहां सूर्य रीयल स्टेट भू-सम्पत्ति के मालिकों तथा व्यवसायियों के लिये विशेष लाभकारी साबित होगा। खनिज पदार्थो एवं धातु का कोई भंडार प्राप्त हो सकता है। सूर्य देश के राजा (प्रधानमंत्री) अधिकारी सत्ताधीश राजपुरुष एवं न्यायाधीश का कारक ग्रह होता है अतः इनकी भूमिका का प्रभाव जनता एवं देश पर पड़ेगा।

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शुक्र भी चतुर्थ स्थान में उच्च राशि का

शुक्र भी चतुर्थ स्थान में उच्च राशि का है। अतः कला, नृत्य, संगीत, सिनेमा, थियेटर, रंगमंच के क्षेत्र में उन्नति होगी। चतुर्थ भाव में चंद्रमा भी स्थित है। अतः सिंचाई के साधन बांध, नहर, खनिज से उत्पन्न धातुयें, इन क्षेत्रों के विकास-प्रसार का कार्य किया जायेगा। बुध पंचम स्थान में स्थित है। इसलिये शिक्षा व्यवस्था पर सरकार ध्यान देने के लिये बाध्य हो जायेगी। तृतीय भाव में मंगल शनि की युति उस पर भी शनि का स्वगृही होना अत्यंत शुभ फलकारी है। देश की सैन्य-शक्ति का अभूतपूर्व विस्तार होगा तथा भारतीय सैन्य शक्ति विश्व के किसी भी सैन्य शक्ति विशेष कर शत्रुओं पर बहुत भारी पड़ेगी।

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सैन्यशक्ति में अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र का विस्तार होगा। राहु-केतु नये टैक्स लगवा कर जनता के जेब पर भारी खर्च डाल देंगे। मेषार्क कुंडली जल्लग्न भी वार्षिक फलादेश के लिय बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसमें पंचम भाव में सूर्य गुरु की युति शिक्षा के क्षेत्र में नये-नये आयाम उपस्थित करेगी। भारतीय शोध-छात्रों द्वारा नये-आविष्कार से दुनिया भारतीय मेधा को महत्वपूर्ण स्थान देगी।

चंद्रमा नारी शक्ति का उत्थान कराएंगे

सप्तम भाव का चंद्रमा नारी शक्ति का उत्थान कराएंगे तथा महिलाओं की भागीदारी शासन प्रशासन से लेकर प्रायः हर क्षेत्र में बढ़ेगी। वर्षा एवं खेती तथा खाद्यान्नों के उत्पादन की दृष्टि से यह वर्ष गम्भीर चुनौतियों का सामना करेगा। या तो सुखा ही पड़ जायेगा अथवा अत्यधिक वर्षा से बाढ़ आ जायेगी एवं फसलों को क्षति पहुंचेगी।

साढ़े पांच सौ साल पुरानी है परंपरा

आचार्य छैलबिहारी मिश्र बताते हैं ठाकुरजी को पांचांग सुनाने की परंपरा साढ़े पांच सौ वर्ष पुरानी है। खुद स्वामी हरिदास ने उनके परिवार को ये जिम्मेदारी दी थी। वर्ष 1986 तक दादा गिर्राज मिश्र, इसके बाद पिता आचार्य सोहनलाल मिश्र ठाकुरजी को फलादेश सुनाते थे। 2014 से ये परंपरा वे खुद निभा रहे हैं।

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