बंदरों के बाद यूपी के इस शहर में चूहाें का आतंक, बांकेबिहारी मंदिर की जमीन कर दी खाेखली!, प्रबंधन परेशान
Mathura News In Hindi बंदरों के बाद चूहे परेशानी का सबब बन रहे हैं। यूं तो चूहे हर जगह होते हैं। लेकिन बांके बिहारी मंदिर और उसके आसपास चूहों की संख्या में अचानक खासी वृद्धि हो गई है और अब ये नुकसान करने लगे हैं। मंदिर की साफ−सफाई के दौरान मिट्टी निकलती है। भोग और प्रसाद के चलते इनकी संख्या बढ़ रही है।
संवाद सहयोगी, वृंदावन: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में चूहों ने ऐसा कारनामा कर दिया, जिसके कारण सेवायतों में खलबली मची है। चूहों के आतंक से न केवल जमीन को ही नुकसान हो रहा है। बल्कि मंदिर में भोग-प्रसाद को भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
इतना ही नहीं ठाकुरजी के गर्भगृह में रात में जलने वाले दीपक को भी इसलिए बुझाकर रखा जाता है, कि कहीं जलते दीपक को चूहे गिरा न दें और कोई अनहोनी घटना न घट जाए। सेवायतों का मानना है कि जिस तरह से मंदिर के कोने और दीवारों के नीचे मिट्टी को चूहे निकाल रहे हैं, उससे जमीन खोखली हो रही है।
बंदर ले जाते थै चश्मा, पर्स और मोबाइल
वृंदावन में अब तक बंदरों की बड़ी समस्या थी। चश्मा, मोबाइल, पर्स ले जाने में बंदरों को महारथ हासिल है। जब तक व्यक्ति समझ सके बंदर अपने हुनर को अंजाम दे डालते हैं। बंदरों की समस्या का निस्तारण हुआ नहीं कि अब यहां चूहे समस्या बन गए।
कोनों में लगता है मिट्टी का ढेर
मंदिर के सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया चूहों की संख्या हजारों में है। मंदिर बंद होने के बाद चूहे घूमते दिख जाएंगे। इसके कारण गर्भ गृह में जलता दीपक छोड़ नहीं छोड़ पा रहे हैं। बताया चूहे जमीन खोखली कर रहे हैं। आए दिन कोनों में मिट्टी का ढेर लगा मिल जाता है।
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प्रतिदिन दोपहर और शाम को सफाई होती है तो चूहों द्वारा निकाली गई मिट्टी को हटा दिया जाता है। गोस्वामी ने गेट संख्या 2 के पास एक कोने में चूहों द्वारा खोदी गई मिट्टी को पड़ा दिखाया। विदित हो कोविडकाल में मंदिर का फर्श का काम भी किया गया था।
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भोग, प्रसाद और खाने के समान से बढ़े चूहे
श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया कि चूहे बहुत हो गए हैं। जो पूरे मंदिर परिसर में घूमते हैं। ठाकुरजी को अर्पित भोग प्रसाद चूहे भोग, प्रसाद और अन्य खाने पीने की वस्तुओं को खा जाते हैं। नुकसान भी कर रहे हैं। मंदिर के आसपास के इलाके को चूहों ने खोद रखा है।
'चूहों से नुकसान लगातार हो रहा है। पहले भी मंदिर चबूतरे को खोखला कर दिया था, जिसकी मरम्मत करवाई गई। मंदिर में चूहे हैं। चूहों को मार नहीं सकते, उन्हें पकड़ने के लिए पिंजड़े रखवाए गए हैं। पकड़कर उन्हें यमुना किनारे छोड़ा जाता है। कई बार कम हो जाते हैं, फिर बढ़ जाते हैं। मंदिर में मौजूद चूहों को कभी मारा नहीं जाता, वह गणेशजी के वाहन के रूप में हैं।' -उमेश सारस्वत, प्रबंधक।