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Holi 2023: राधारानी के महल में आज बरसेंगे लड्डू, उड़ेगा अबीर-गुलाल, पांडा नृत्य देखने को उमड़ेंगे श्रद्धालु

Holi 2023 पांडे लीला के संग उड़ाया जाएगा अबीर गुलाल। अनोखी होली का गवाह बनने के लिए उमड़ेगा जन सैलाब। प्रसाद का लड्डू पाने के लिए हर कोई रहता है उत्साहित। लड्डुओं की वर्षा और पांडा का नृत्य करता है श्रद्धालुओं को मनमोहित।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Mon, 27 Feb 2023 07:11 AM (IST)
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Holi 2023: राधारानी के मंदिर में आज होगी लड्डू होली। File Picture
संवाद सूत्र, बरसाना-मथुरा। राधारानी के मंदिर में सोमवार को लड्डू होली खेली जाएगी। इसमें दस टन लड्डू लुटाए जाएंगे। पांडे लीला के संग-संग गुलाल अबीर उड़ाया जाएगा। इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। लठामार होली से एक दिन पहले होने वाली लड्डू होली से पहले ही मंदिर परिसर व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। परिसर को सजाया जा रहा है। अबीर-गुलाल मंदिर के बालकनी में रखा गया है। शाम को लड्डू होली खेली जाएगी। 10 टन लड्डू लुटाए जाएंगे।

होली का आमंत्रण लेकर नंदगांव जाएंगी सखी

सेवायत किशोरी गोस्वामी ने बताया, श्रीजी मंदिर से होली का आमंत्रण लेकर राधा दासी सखी नंदगांव जाएंगी। इसके बाद होली के न्यौता स्वीकार कर लिए जाने की खबर देने के लिए नंदगांव का पांडा आएगा। जो राधारानी को बताएगा कि कान्हा अपने ग्वाल बाल के साथ होली खेलने आ रहे हैं। इसी खुशी में राधारानी लड्डुओं की वर्षा करेंगे और पांडा नृत्य करेगा। इस अद्भुत होली में शामिल होने के लिए हजारों लोग मंदिर में एकत्र होंगे। उनके ऊपर अबीर गुलाल उड़ाया जाएगा। प्रसाद रूप में लड्डू बरसाए जाएंगे। बबलू हलवाई ने बताया, करीब 10 टन बेसन के बूंदी के लड्डू तैयार किए जा रहे हैं। इनकी पैकिंग की जा रही है।

लड्डू होली की तैयारी कर ली गई है। करीब दस कुंतल गुलाल अबीर मंगाया गया है। मंदिर को सजाया जा रहा है। परिसर में भीड़ को नियंत्रण करने के लिए बेरिकेडिंग कराई गई है। सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं।-संजय गोस्वामी एडवोकेट, मंदिर रिसीवर

नहीं आता नंदगांव का पांडा

परंपरानुसार कान्हा की ओर से होली की स्वीकृति का संदेशा लाने वाला पांडा करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले नंदगांव से आता था। एक बार मध्य प्रदेश की रीवां रियासत के महाराजा लड्डू होली देखने आए थे। महाराजा पांडा के नृत्य पर भाव विभोर हो गए। उन्होंने अपने समस्त राजसी जेवर पांडा को भेंट कर दिए। इतने पर भी महाराजा का मन नहीं भरा तो पांडा को सोने के सिक्के भेंट किए। उनको पांडा उठा न सका। अगली बार आने का प्रण लेकर महाराजा लौट गए।

चली आ रही परंपरा

बरसाना मंदिर का पुजारी धनवर्षा से इतना चमत्कृत हुआ कि अगली साल उसने नंदगांव से पांडा नहीं बुलाया। स्वयं पांडा का रूप धर कर नाचना शुरू कर दिया। पुजारी का दुर्भाग्य यह रहा कि महाराजा फिर होली देखने नहीं आए। अब मंदिर का पुजारी ही पांडा बनकर इस अवसर पर नृत्य करता चला आ रहा है। 

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