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UP Politics: मुलायम सिंह की जमीन पर भाजपा ‘बाहरी’ पर लगा सकती है दांव, चर्चा में हैं ये प्रमुख नाम

Lok Sabha Election 2024 BJP मुलायम की जमीन पर भाजपा का ‘बाहरी’ दांव। ‘चरण सिंह के संकल्प को मोदी ने पूरा किया’। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी परंतु 2022 के उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के निधन से उपजी सहानुभूति लहर में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 11 Feb 2024 11:42 AM (IST)
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Lok Sabha Election: मुलायम की जमीन पर भाजपा का ‘बाहरी’ दांव
दिलीप शर्मा, मैनपुरी। बीते 10 चुनाव में मैनपुरी संसदीय सीट पर अपराजित समाजवादी पार्टी को टक्कर देने के लिए भाजपा इस बार बाहरी पर दांव खेल सकती है। चर्चाओं में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोट, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित कई नाम चल रहे हैं। इनमें केशव का नाम सबसे आगे है।

बीते विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसी तरह अखिलेश यादव के सामने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया था।

साल 2019 में भाजपा जिन सीटों पर पराजित हुई, उनमें मैनपुरी लोकसभा सीट भी शमिल है। देश में 400 पार का नारा दे रही भाजपा प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के प्रयास में है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है। भाजपा को जातीय समीकरणों की गोलबंदी में इससे मदद मिल सकती है। सपा से डिंपल यादव के सामने महिला प्रत्याशी के रूप में कंगना रनोट का नाम भी चर्चा में है। बाहुबली डीपी यादव के नाम भी बताए जा रहे हैं।

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भाजपा सीट पर जल्द होगी घाेषणा

राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाने वाले डीपी यादव पूर्व में सपा, बसपा और भाजपा में रह चुके हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि मैनपुरी सीट पर जल्द प्रत्याशी की घोषणा होगी। पार्टी की प्रक्रिया के अनुसार प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। प्रत्याशी का नाम हाईकमान स्तर से तय किया जाएगा।

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ये है मतदाताओं का आंकड़ा

साढ़े 17 लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में सपा की मजबूती की वजह यादव मतों की बहुलता को माना जाता है। पिछड़ा वर्ग के मतदाता करीब 55 प्रतिशत से अधिक हैं, इनमें से यादव मतदाता करीब 35 प्रतिशत हैं। इसके बाद शाक्य मतदाता हैं। इनकी संख्या ढाई लाख के आसपास है।

सवर्णों का आंकड़ा कुल मतों में 25 प्रतिशत तक है। इनमें क्षत्रिय और ब्राह्मण मतों की भागीदारी अधिक है। इतने ही दलित मतदाता हैं। अल्पसंख्यक मतदाता लगभग पांच प्रतिशत हैं।

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