Diwali 2024: राजा के वेश में दर्शन देंगे ठाकुरजी, दीपावली पर वृंदावन में अनोखी परंपरा; चौसर खेलकर मनेगा दीपोत्सव
ब्रज की दीवाली निराली है वृंदावन में दीपोत्सव का उल्लास दीपदान के साथ मनाया जाता है। बांकेबिहारी समेत सभी मंदिरों में ठाकुरजी राजा के वेश में भक्तों को दर्शन देंगे। राधावल्लभ मंदिर में ठाकुर राधा वल्लभलाल चौसर खेल कर दिवाली मनाएंगे। सेवायत राधावल्लभीय संप्रदाय के रसिक संतों द्वारा लिखे पदों का गायन भी करेंगे। बांकेबिहारी मंदिर में 31 को दीपावली मनेगी।
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। दीपों का पर्व दीपावली पर हर जगह लक्ष्मी-गणेश का पूजन होता है, भारत में इस दिन अलग अलग परंपराओं का निर्वहन होता है। लेकिन, ब्रज की परंपरा निराली है, यहां भगवान राधा कृष्ण की नगरी वृंदावन में दीपोत्सव का उल्लास दीपदान कर मनाया जाता है।
बांकेबिहारी समेत सभी मंदिरों में ठाकुरजी राजा के वेश में भक्तों को दर्शन देंगे। भगवान कृष्ण के मुरली अवतार श्रीहित हरिवंश महाप्रभु के सेवित ठाकुर राधा वल्लभलाल इस दिन चौसर खेल कर दीपावली मनाएंगे। मंदिर में भगवान के सामने राधा कृष्ण के स्वरूप में सेवायत चौसर में पासे फेंककर घंटों हार-जीत का खेल खेलते हैं।
दीपावली पर ही होते हैं चांदी की हटरी के दर्शन
राधावल्लभ मंदिर में ठाकुरजी महाराजा के रूप में (चांदी की हटरी कोठी नुमा सिंहासन) में दीपावली पर दर्शन देंगे। परंपरा के अनुसार मंदिर सेवायत ठाकुरजी और राधारानी का प्रतिनिधित्व करते हुए चौसर पर चाल चलेंगे। यह भी परंपरा रही है कि अब तक चौसर के इस खेल में जीत राधारानी की होती है। ठाकुरजी के चौसर खेल के दर्शन को देश-दुनिया के श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर आनंद उठाएंगे। इस दौरान मंदिर सेवायत राधावल्लभीय संप्रदाय के रसिक संतों द्वारा लिखे पदों का गायन भी करेंगे।चौसर खेलने की है परंपरा
मंदिर सेवायत हित मनमोहन गोस्वामी ने बताया दीपावली पर चौसर खेलने की परंपरा की शुरुआत श्रीहित हरिवंश महाप्रभु के ज्येष्ठ पुत्र श्रीहित वनचंद्र गोस्वामी ने शुरू की थी। तभी से परंपरा का निर्वहन मंदिर सेवायतों द्वारा किया जा रहा है।
400 वर्षों से चल रही परंपरा
प्राचीन अवधारणा है दीपावली की रात जुआ खेलने की। इसी के चलते 16वीं सदी के राधा वल्लभ मंदिर में तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई। दिवाली की रात राधा वल्लभ लाल चांदी की हटरी में राजशाही अंदाज में विराजेंगे और फिर उनके समक्ष शुरू होगा शह और मात का खेल।बांकेबिहारी की प्रतीकात्मक तस्वीर।
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