भक्तों की आस्था पर लगेगा 'ग्रहण', इस बार शरदपूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में नहीं होंगे ठाकुरजी के दर्शन
Banke Bihari Mandir News In Hindi इस साल चंद्रग्रहण ने भक्तों की आस्था को चोट पहुंचाई है। शरद पूर्णिमा पर पड़ रहे चंद्रग्रहण के कारण दोपहर को ही सभी मंदिरों में सूतककाल के चले पट बंद हो जाएंगे और रात में हर मंदिर के पट बंद रहने पर शरद पूर्णिमा के दिव्य दर्शन नहीं मिल सकेंगे। दर्शन के समय में भी बदलाव किया है।
संवाद सहयोगी, वृंदावन/मथुरा। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास किया था। मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात श्रीकृष्ण गोपियों के साथ वृंदावन के निधिवन में रासलीला रचाते हैं।
चंद्रमा की रोशनी में अमृत बरसने की है मान्यता
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है, मान्यता है इस रात चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है। यही कारण है कि ठाकुर बांकेबिहारी समेत सभी मंदिरों में शरद पूर्णिमा की रात ठाकुरजी महरास की मुद्रा में वंशी बजाते हुए चंद्रमा की रोशनी में भक्तों को दर्शन देते हैं। लेकिन, इस साल पड़ रहे चंद्रग्रहण के कारण इस दिव्य दर्शन का लाभ भक्तों को नहीं मिल सकेगा।
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शरद पूर्णिमा पर पड़ रहा है चंद्र ग्रहण
शरदपूर्णिमा पर साल में एक ही दिन ठाकुर बांकेबिहारीजी मुरली बजाते हुए महारास की मुद्रा में जगमोहन में बैठ चंद्रमा की धवल चांदनी में भक्तों को दर्शन देते हैं। लेकिन, इस बार 28 अक्टूबर को पड़ रही शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण दोपहर बाद 3.30 बजे मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। तो चंद्रमा की धवल चांदनी में दर्शन करने की इच्छा भक्तों की पूरी नहीं हो सकेगी।
ठाकुर बांकेबिहारी समेत तीर्थनगरी के हर मंदिर, आश्रम और घरों में चंद्रमा की धवल चांदनी में ठाकुरजी को श्वेत धवल पोशाक में महारास की मुद्रा में विराजित करके दर्शन होते हैं। ठाकुरजी के सामने खीर रखी जाती है, इस खीर पर सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा की रोशनी जब खीर पर पड़ती है, तो अमृत समान हो जाती है।
आयुर्वेद में भी इसके लाभ बताए गए हैं। चंद्रमा की रोशनी में रखी गई ये खीर दमा रोगियों के लिए अमृत समान होती है।