Mathura JanamBhoomi Case: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को फिर जारी होगा नोटिस, अगली सुनवाई 8 दिसंबर को
Mathura JanamBhoomi Case अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा के वाद पर बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई हुई। मथुरा कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ दोबारा जारी किया है नोटिस।
मथुरा, जागरण टीम। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा के वाद पर बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई हुई। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने इस वाद में पहले पोषणीयता पर सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। बुधवार को प्रतिवादी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उपस्थित नहीं हुआ। वादी पक्ष ने उस पर जान-बूझकर उपस्थित न होने का आरोप लगाया। न्यायालय ने फिर से नोटिस जारी करने के निर्देश दिए और अगली सुनवाई के लिए आठ दिसंबर की तिथि नियत की।
दिनेश शर्मा ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने की मांग की थी। पिछले दिनों शाही मस्जिद ईदगाह ने प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि ये वाद चलने लायक नहीं है, इसलिए पहले इसकी पोषणीयता पर सुनवाई की जाए। बुधवार को वादी पक्ष को इस पर अपनी आपत्ति दाखिल करनी थी। वादी पक्ष के अधिवक्ता देवकी नंदन शर्मा ने कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड जान-बूझकर उपस्थित नहीं होना है, वह वाद को टालना चाहता है। इस पर न्यायालय ने वक्फ बोर्ड को दोबारा नोटिस जारी करने के निर्देश दिए
कल हुई थी मनीष यादव के वाद पर सुनवाई
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में मंगलवार को लखनऊ निवासी मनीष यादव के वाद पर सुनवाई हुई। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने पहले वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की मांग की थी। इस पर वादी पक्ष ने अपना पक्ष रखा। न्यायालय को बताया गया कि किस तरीके से ठाकुर केशवदेव के मंदिर को तोड़ा गया और उसके ऊपर शाही मस्जिद ईदगाह बनाया गया। कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम मंदिर मामले में ये कहा था कि कोई धर्मस्थल यदि तोड़ा जाता है, तो उसकी जमीन किसी दूसरे की नहीं हो जाती। इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तिथि नियत की गई है। मनीष यादव ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने की मांग की है। इस पर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने कहा कि वाद चलने लायक नहीं है। इसलिए पहले इसकी पोषणीयता पर सुनवाई हो। इस पर मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई हुई। वादी पक्ष से दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुरजीत सिंह और स्थानीय अधिवक्ता देवकीनंदन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने न्यायालय को बताया कि कब-कब यहां ठाकुर केशवदेव का मंदिर बना था और कब-कब आतताइयों ने उसे तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि औरंगजेब ने ठाकुर केशवदेव का मंदिर तोड़कर उस पर ईदगाह बनाई। उन्होंने ये भी बताया कि वाराणसी के पटनीमल ने ये जमीन नीलामी में ली और फिर उनके वारिसों से ये जमीन जुगुल किशोर बिड़ला ने ली। इसके बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना था। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई जमीन किसी मंदिर या देवी देवता की है, तो उसे तोड़ने के बाद किसी और की नहीं हो जाएगी। इसलिए ये वाद पूरी तरह चलने लायक है। प्रतिवादी पक्ष के नीरज शर्मा ने कहा कि इस तरह का कोई दस्तावेज न्यायालय में नहीं लगाया गया है। वादी पक्ष पहले मुकदमें जमीन की सीमाएं खोले और ये बताए कि जो 13.37 एकड़ जमीन वह बता रहे हैं, वह है कहां। करीब सवा घंटे की सुनवाई के बाद न्यायालय ने वादी को आगे की बहस के लिए 16 नवंबर की तिथि तय की है। अधिवक्ता दीपक देवकीनंद शर्मा ने बताया कि वादी पक्ष आगे अन्य बिंदुओं पर अपनी बात रखेगा।