Move to Jagran APP

Govardhan Puja 2023: दीपावली के बाद कब होगी गोवर्धन पूजा, जानिए सही दिन और समय; ब्रज में खास होता है भगवान को अर्पित अन्नकूट का प्रसाद

Govardhan Puja 2023 ब्रज में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। दीपोत्सव पर्व में अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का विशेष स्थान है। इस बार 14 नवंबर को होगी गोवर्धन पूजा जतीपुरा गिरिराजजी को 13 नवंबर को होगा अन्नकूट समर्पित। भगवान श्रीकृष्ण ने सर्व प्रथम गिरिराजजी की पूजा कर अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। गोवर्धन पर्वत और गिरिराजजी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।

By Manoj KumarEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sat, 11 Nov 2023 08:16 AM (IST)
Hero Image
Govardhan Puja: इस बार 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी।
जागरण संवाददाता, (रसिक शर्मा) गोवर्धन/मथुरा। अकल्पनीय दिव्यता, अदभुत आस्था, अद्वितीय श्रद्धा। गोवर्धन पर्वत यानी गिरिराजजी की महिमा को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता। इसी बजह से 21 किमी में विराजमान गिरिराजजी को सब देवों का देव भी कहा जाता है।

पूरी दुनिया दीपावली पर दीपों के उत्सव में डूब जाती है। लेकिन ब्रजभूमि तो गोवर्धन पूजा को महत्व देता है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, हालांकि इस बार अन्नकूट महोत्सव एक दिन बाद 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। इसमें मौसमी सब्जियों, मिष्ठान और पकवानों के मिश्रण से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।

इस बार 14 को है पूजा

14 नवंबर को गोवर्धन पूजा अन्नकूट के दिन सर्वप्रथम गिरिराज प्रभु का दूध और पंचामृत अभिषेक होगा। सुबह करीब चार बजे गिरिराज शिलाओं पर दूध की धार शुरू होती है जोकि देर रात तक रुकने का नाम नहीं लेती। गोवर्धन पूजा महोत्सव ब्रजभूमि में दूध की नालियां बहती हैं, वाली कहावत को चरितार्थ करती है।

दोपहर ढलते ही प्रभु का स्वर्णिम श्रंगार बरबस ही भक्तों को अपलक निहारने पर विवश कर देता है। इसके उपरांत प्रभु को अन्नकूट का भोग समर्पित होगा। इसमें कई तरह की सब्जियां, मिष्ठान, कड़ी, चावल, बाजरा, रोटी, पूआ, पूरी, पकौड़ी, खीर, माखन मिश्री आदि होते हैं। गोवर्धन गिरिराज जी के साथ अग्नि, वृक्ष, जलदेवता, गोमाता सभी देवों की आराधना की जाती है।

ये भी पढ़ेंः Agra News: इंजीनियर अलीशेर ने धाेखाधड़ी में लगाया शातिर दिमाग, बुजुर्ग और महिलाओं के खातों से एक करोड़ रुपये निकाले

धार्मिक इतिहास के झरोखे से गोवर्धन पूजा

समूचे ब्रज मंडल के घर- घर में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट लंबे समय से चली आ रही धार्मिक परंपरा को नया आयाम देगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार करीब पांच हजार वर्ष पूर्व कान्हा ने देवताओं के राजा इंद्र की पूजा छुड़वाकर गिरिराज महाराज की पूजा कराई।

ग्वालों की टोली के संग कान्हा ने दीपावली पर सप्तकोसीय परिक्रमा लगाकर दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की। इंद्र ने मेघ मालाओं को ब्रज भूमि को बहाने का आदेश सुना दिया। मेघों की गर्जना सुन ब्रजवासी घवरा गए। ब्रज वासियों की करुण पुकार सुन सात बरस के कन्हैया ने सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर धारण कर इंद्र का मान मर्दन किया और ब्रज वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया।

ये भी पढ़ेंः UP Weather: यूपी में तेजी से बदला मौसम, लखनऊ में रुक-रुक कर बार‍िश, कई शहरों सुबह से छाये बादल, ठंडी हवाओं से ग‍िरा पारा

गिरिराज पूजा में इतना दूध चढ़ाया गया कि ब्रज की नालिया दूध से भर गई। पूजन के पश्चात अन्नकूट का प्रसाद लगाया गया। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है। पूजा का भव्य रूप दानघाटी मंदिर और मुकुट मुखारविंद मंदिर में दिखाई देगा।

इंद्र के कोप से गिरिराजजी की शरण

गिरिराज की पूजा के उपरांत इंद्रदेव ने कुपित होकर मेघ मालाओं को ब्रज को नष्ट करने का आदेश दिया। मेघों ने घोर गर्जना के साथ बरसात की। सात वर्ष के सांवरे ने सात दिन सात रात तक गोवर्धन पर्वत को बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर धारण कर बृजभूमि और ब्रजवासियों की रक्षा की थी।

विश्व प्रसिद्ध हैं गिरिराजजी मंदिर

गिरिराज पर्वत की प्रत्येक छोटी-बड़ी शिलाओं को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है। तलहटी के प्रमुख मंदिरों में गिरिराज प्रभु का वैभव यशोगान करता नजर आ रहा है। मानसी गंगा के तट पर मुकुट मुखारविंद मंदिर, दानघाटी मंदिर और जतीपुरा का मुखारविंद मंदिर हैं। हरदेव मंदिर भी अन्नकूट लीला को जीवंत करेगा।

सनातन संस्कृति पर झूमने विदेशी भक्त

हजारों विदेशी भक्त भारतीय परिधान -पहन कर प्रभु नाम संकीर्तन के साथ गोवर्धन पूजा करने जाते हैं। सिर पर प्रसाद की टोकरी लिए ये भक्त दुग्धाभिषेक के उपरांत अन्नकूट प्रसाद गिरिराज प्रभु को समर्पित करते हैं। ये भक्त राधाकुंड मार्ग स्थित गौड़ीय मठ पर एकत्रित होकर पूजा स्थल पर पहुंचते हैं।

14 नवंबर को ब्रजभूमि में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की धूम रहेगी। मुकुट मुखारविंद मंदिर और दानाघाटी मंदिर में 14 नवंबर को तो जतीपुरा मुखारविंद मंदिर सेवायत सुनील पुरोहित के अनुसार दीपावली के अगले दिन यानी 13 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा।

अदभुत लीला का गवाह था गोकुलनाथ जी मंदिर

द्वापर युगीन परंपरा को जीवंत करता जतीपुरा स्थित गोकुल नाथ जी का मंदिर अन्नकूट की अद्भुत लीला का साक्षी रहा है। मंदिर के प्रांगण में चावलों का ढेर लगाया जाता था। चावलों के चारों ओर कढ़ी, खीर आदि की मटकी रखी होती हैं। छत से ग्वाला चावलों के ढेर पर कूदता है। और फिर शुरू हो जाती है अन्नकूट प्रसाद की लूटमार। हालांकि ये लीला अब इतिहास बन गई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।