Holi 2023: वृंदावन श्रीधाम में होली का उत्सव, कुंज गलिन में होरी खेलें बिहारी, अंग-अंग रंग दियौ लगाय
गौरा चली ससुराल बरसे अबीर-गुलाल। बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब। गुलाल और टेसू के रंग में सराबोर श्रद्धालुओं का तन-मन झूमने लगा। होली खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर बरसाना की कुंज गलिन में होली खेल रहे नंदलाल रसिया पर श्रद्धालु अपने को झूमने से रोक नहीं सके।
मथुरा, जागरण टीम, (अवधेश माहेश्वरी)। वृंदावन श्रीधाम में सारे वर्ष उत्सव है। प्रतिदिन रास है। कण-कण में रस है। रंगभरनी एकादशी पर रंगों का मदहोश करने वाला रस छलक रहा है। मन प्रिय जू बांकेबिहारी की धरा पर होली को मचल रहा है। रंग बरसे तो बदरा लाल दिखने लगे। होली पर गुलाल की सुगंध चारों ओर फैल गई।
बांकेबिहारी से होली खेलने पहुंचे श्रद्धालु
बरसाने और नंदगांव की होली लीला के बाद श्रद्धालुओं का मन बांकेबिहारी से होली खेलने का है। ऐसे में सब शुक्रवार को श्रीधाम की ओर मुड़ गए। मैंने अपने जीवन के किसी उत्सव में ऐसी भीड़ नहीं देखी। गुरुवार रात 12 बजे से शुक्रवार शाम सात बजे तक 60 फीट चौड़े और 12 किमी लंबे परिक्रमा मार्ग में लगातार लोग चल रहे हैं। ऐसे सटकर कि तिल रखने की जगह नहीं। सुबह वृंदावन के हर मंदिर में रंग बरसने के बाद शाम को फिर बिहारी होली खेलने वाले हैं। ऐसे में बांकेबिहारी मंदिर के बाहर गलियों में डेढ़-डेढ़ किमी लंबी कतारें लगी हैं।
ब्रज के हर उत्सव का अनोखा रंग
कोई मणिपुर से श्रद्धा की मणि लेकर आया है, तो कोई काशी से मसान की होली की तरंग छोड़कर। शाम 4:30 बजते ही बांके बिहारी होली खेलने को तैयार हैं। पहले ताक-झांक करते हैं। चेहरा दिखा पर्दे की ओट लेते हैं। भक्त पुकार लगाते हैं तो, बिहारी बाहर आते हैं। रंग-गुलाल संग फूल ऐसे बरसते हैं कि फर्श पर जैसे मोटे गद्दे से सेज सजा दी हो। गुलाल से सबके गाल गुलाबी दिखने लगते हैं, फिर भी यह बरस रहा है। काशी से आए पीयूष कहते हैं, होली तो मसाने की भी देखी पर ऐसा उत्सव नहीं।
वृंदावन की नीतू सिंह कहती हैं, यह इसलिए कि यह रास की धरा है। दिन ढलने तक बिहारी जी मंदिर की ओर मिलने वाली 16 गलियों के फर्श का रंग लाल हो चुका है। वह शायद कह रही हैं कि कान्हा 16 सिंगार करे बैठी राधा से ऐसे होली खेले कि उनका अंग-अंग रंग दिया। इस लीला से वह बता रहे हैं कि जीवन में कोई भी कार्य डूबकर ऐसे करो कि सफलता के रंग जीवन को रंगीन बना दें।