Krishna Janmabhoomi Case: चार वर्ष पहले सुनवाई योग्य न मान खारिज हुआ था वाद, अब मिली विजय
मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद के स्वामित्व को लेकर चल रहे सिविल वादों की सुनवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत दाखिल मस्जिद पक्ष की अर्जियों को खारिज कर दिया। इनमें विभिन्न कानूनों के तहत सिविल वादों की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी।
विनीत मिश्र, जागरण, मथुरा। करीब चार वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद अंतत: जीत मिली। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 में सबसे पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में वाद दायर किया। सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय से वाद सुनवाई योग्य न होने का तर्क देकर खारिज कर दिया गया। अपील हुई, सुनवाई आगे बढ़ी।
इसके बाद सभी मुकदमों की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहुंच गई। जो वाद पूर्व में खारिज हुआ, वह पोषणीय माना गया। श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच हुए हुए समझौते पर सन्नाटा सितंबर 2020 में टूटा। लखनऊ की रंजना अग्निहोत्री ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन के माध्यम से सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में वाद दायर किया।
इसमें कहा गया था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 1968 में हुआ समझौता गलत था। इसे रद करते हुए भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाए। समझौते के करीब 52 वर्ष के बाद अचानक वाद दायर होने से हलचल तेज हुई। इसे जन्मभूमि को मुक्त कराने के आंदोलन की पहली सीढ़ी के रूप में देखा जाने लगा।
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मुकदमा दायर होने के पांचवें दिन 30 सितंबर को कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वाद सुनवाई योग्य ही नहीं है। न्यायालय के फैसले से निराश होने के बजाय रंजना अग्निहोत्री के अधिवक्ता ने फिर से तैयारी शुरू कर दी। 15 अक्टूबर 2020 को जिला जज के न्यायालय में अपील की गई।
वाद चलता रहा और इस बीच एक के बाद एक 18 वाद दायर हुए। इसी बीच रंजना अग्निहोत्री हाई कोर्ट पहुंचीं और 26 मई 2023 को सभी वाद सुनवाई के लिए हाई कोर्ट स्थानांतरित हो गए। हाई कोर्ट में 15 माह तक हुई सुनवाई के बाद आखिर जीत मिली। जिस वाद को खारिज किया गया, वही पोषणीय माना गया है।
कमेटी पक्ष बार-बार कहता रहा सुनवाई योग्य नहीं वाद हाई कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़े वादों को पोषणीयता को लेकर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी एक ही बात कहती है कि कोई भी वाद सुनवाई योग्य नहीं हैं। तर्क दिए कि पूजा स्थल अधिनियम-1991 कहता है कि 15 अगस्त 1947 को जो पूजा स्थल अधिनियम जैसा था, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। 1968 में हुए समझौते के इतने साल बाद वाद दायर करना भी कानून के बाहर है।
भूमि जन्मभूमि ट्रस्ट की, समझौता सेवा संघ ने किया श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच विवाद ही वर्ष 1968 में हुए समझौते को लेकर है। सभी वादों में कहा किया है 13.37 एकड़ भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम है। इसी भूमि पर 1669-70 में औरंगजेब ने एक हिस्से में शाही मस्जिद ईदगाह बनाया।श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट 1951 में गठित हुआ। 1968 में ट्रस्ट के कार्यों को देख रही संस्था श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 10 बिंदुओं पर समझौता किया। इसी समझौते के विरोध में वाद दायर किए गए हैं।
कहा गया है कि जब भूमि ट्रस्ट के नाम है, तो सेवा संघ को समझौता करने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में समझौता रद किया जाए। सेवा संघ तो केवल जन्मस्थान की व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए थी। जिसका कालांतर में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान नाम हो गया।दायर हुए 18 वादश्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में स्थानीय न्यायालय में 18 वाद दायर हुए। बाद में सभी वाद सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिए गए। 26 सितंबर 2020 को पहला वाद दायर हुआ और अंतिम वाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने 11 अगस्त 2023 को दायर किया। पूरी भूमि का स्वामित्व श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है, इसलिए उसने अपनी भूमि वापस मांगी।
वादी का नाम- कब दायर हुआ 1. रंजना अग्निहोत्री, अधिवक्ता लखनऊ-25 सितंबर 2020 2. मनीष यादव, अध्यक्ष नारायणी सेना-15 दिसंबर 2020 3. महेंद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता मथुरा-23 दिसंबर 2020 4. पवन शास्त्री, सेवायत, प्राचीन केशवदेव मंदिर-2 फरवरी 2021 5. दिनेश चंद्र शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता-2 मार्च 2021 6. अनिल त्रिपाठी, उपाध्यक्ष अभा हिंदू महासभा-31 मार्च 2021
7. जितेंद्र सिंह विसेन, किसान-7 सितंबर 2021 8. गोपाल गिरि महाराज, महंत-24-सितंबर 2021 9. विष्णु गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू सेना- 8 दिसंबर 2022 10. शैलेंद्र सिंह, अधिवक्ता लखनऊ- 20 फरवरी 2021 11. दिनेश शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता- 13 सितंबर 2022 12. महेंद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता- 23 दिसंबर 2022 13. आशुतोष पांडेय, पीठाधीश्वर सिद्धपीठ माता शाकुंभरी 2 जनवरी 2023
14. अजय प्रताप सिंह, अधिवक्ता- 12 अप्रैल 2023 15. नरेश यादव, कारोबारी-22 मई 2023 16. हरिशंकर जैन,अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट 23 मई 2023 17. सुरेंद्र गुप्ता,अधिवक्ता आगरा-10अगस्त 2023 18. ओम प्रकाश सिंघल,ट्रस्टी श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट-11 अगस्त 2023137 वर्ष तक चले नौ मुकदमों में हर बार जीता मंदिर पक्ष श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच पहले भी 137 वर्षों तक मुकदमे चले। इन वर्षों में दायर नौ मुकदमों में हर बार मंदिर पक्ष की ही जीत हुई। पहला मुकदमा 15 मार्च 1832 में और नौवां मुकदमा 1965 में किया गया था। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच समझौता हो गया। इसके बाद 1965 में मुंसिफ मजिस्ट्रेट के यहां चल रहे मुकदमे का निर्णय 1969 में आया, तब भी मंदिर पक्ष ही जीता।
इसे भी पढ़ें-अगस्त और सितंबर में जमकर बरसेंगे बादल, सामान्य से अधिक होगी वर्षावादी रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि हमारा मुकदमा तर्कसंगत था। हमने ईमानदारी से लड़ाई लड़ी। हाई कोर्ट ने शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सभी तर्कों को खारिज करते हुए फैसला दिया। आज का फैसला न्याय की जीत है। अब बहुत जल्द ही अपने तर्क और साक्ष्यों से वाद जीतेंगे।
शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने कहा कि हाई कोर्ट का निर्णय न्यायसंगत नहीं है। सभी वादों की सुनवाई मथुरा न्यायालय में कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर है, जिसमें पांच अगस्त को सुनवाई है। इसी बीच हाई कोर्ट ने फैसला दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
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