Janmashtami 2023 Mathura: जन्माष्टमी की पावन बेला पर जन्मे कृष्ण मुरारी, लगे जयकारे- ब्रज में आज कन्हैया पधारे
ठीक 12 बजे लीलाधर के चलित श्रीविग्रह को भागवत भवन लाया गया। कान्हा की मोहक छवि देख श्रद्धालु खुद को रोक नहीं सके और जयकारे लगाने लगे। रजत कमल पुष्प पर विराजे आराध्य का कामधेनु गाय के प्रतीक से दुग्धाभिषेक किया गया। नटवर नागर के जन्मोत्सव के लाखों श्रद्धालु साक्षी बने। अजन्मे के जन्म पर मंत्रोच्चारण के बीच शंखनाद हुआ तो मानो ब्रज की लता-पता भी झूम उठीं।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Fri, 08 Sep 2023 12:55 AM (IST)
मथुरा [विनीत मिश्र]: श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा। श्रद्धा से सराबोर श्रद्धालुओं के कंठ से यही पंक्तियां बार-बार निकल रही थीं। बीच-बीच में हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जैसे उद्घोष, उल्लास की तरंगों का ज्वार ला रहे थे। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कान्हा की नगरी में जैसे बैकुंठ उतर आया हो।
द्वापर में जब कान्हा का जन्म हुआ, तो घनघोर काली रात थी। तब कंस की कारा में वसुदेव और देवकी ही थे। गुरुवार को लाला के जन्म पर दृश्य बदला था। जन्म स्थान पर अंधकार नहीं, रंग बिरंगी रोशनियां और पुष्पों की सजावट थी। श्रद्धालुओं की लंबी कतार थी, जो मुरली मनोहर के जन्मोत्सव का आनंद ले रही थी। नटवर नागर के जन्मोत्सव के लाखों श्रद्धालु साक्षी बने। अजन्मे के जन्म पर मंत्रोच्चारण के बीच शंखनाद हुआ, तो मानो ब्रज की लता-पता भी झूम उठीं।
देवकीनंदन के जन्मोत्सव पर मानो ब्रज का कण-कण धन्य हो गया। कान्हा के 'आंगन' जन्मस्थान पर गुरुवार सुबह साढ़े पांच बजे मंगला आरती के बाद आठ बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक व पुष्पार्चन हुआ।
दिन चढ़ता रहा और भीड़ बढ़ती रही
भागवत भवन में युगल सरकार ने इस बार चंद्रयान-3 की सफलता को समर्पित 'सोमनाथ' पुष्प बंगले में विराजमान होकर प्रज्ञान प्रभास पोशाक धारण कर दर्शन दिए तो श्रद्धालु अद्भुत छवि को अपलक निहारते रहे। दिन चढ़ता रहा और भीड़ बढ़ती रही। हर चेहरे पर कान्हा की एक झलक पाने की उत्सुकता थी। जैसे-जैसे रात गहराती गई, उल्लास बढ़ता गया।
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11.59 बजते ही प्राकट्य दर्शन के लिए बंद हुए पट
रात में जन्म स्थान परिसर में सुगंधित द्रव्य का छिड़काव हुआ। घड़ी की सुई ने 11 बजने का इशारा किया तो श्री गणेश, नवग्रह स्थापना के साथ पूजन शुरू हुआ। 11.55 बजे तक कमल पुष्प एवं तुलसीदल से सहस्त्रार्चन हुआ। अब 12 बजने में बस पांच मिनट बाकी थे। हर श्रद्धालु कान्हा के आगमन को लेकर आतुर था। 11.59 बजते ही प्राकट्य दर्शन के लिए युगल सरकार के पट बंद हो गए। इस एक मिनट के पल में अधीर श्रद्धालुओं को लगा मानो घंटों बीत रहे हों।
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