जहां भगवान ने खाई मिट़्टी, वहां आज भी लगता है मिट्टी के पेड़ों का भोग; ब्रह्माण बिहारी के दर्शन करते हैं श्रद्धालु
Mathura News मिट्टी के पेड़ों का भोग इस मंदिर में आज भी लगता है। इस भोग को ग्रहण कर भक्त धन्य हो जाते हैं। भगवान ब्रह्मांड बिहारी के दर्शन करने को श्रद्धाल देश-दुनिया से आते हैं। यमुना किनारे स्थित मंदिर भक्तों का मन मोह लेता है। घाटों की सुंदरता भक्ति में चार-चांद लगाती है। यमुना से मिट्टी लाकर पेड़े बनाए जाते हैं।
जागरण संवाददाता, मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में जहां मिट्टी खाई थी, वह स्थान महावन क्षेत्र में ब्रह्मांड घाट हैं। मैया यशोदा को यहां भगवान के मुख में ब्रह्मांड के दर्शन हुए थे। यहां स्थित ब्रह्मांड बिहारी मंदिर में आज भी भगवान को मिट्टी के पेड़ों का भोग लगता है।
ब्रज में पग-पग पर कान्हा-राधाजी के लीला स्थल हैं। इन स्थलों के दर्शन कर श्रद्धालु धन्य होते हैं। हर स्थल का धार्मिक महत्व है। भगवान को कहीं पेड़े, कहीं माखन-मिश्री, कहीं मिठाई का भोग लगाया जाता है। लेकिन ब्रह्मांड घाट पर मिट्टी के पेड़ों का भोग लगाया जाता है। यशोदा मैया को यहां ब्रह्मांड के दर्शन हुए थे। भगवान की यह लीला अलौकिक और महत्वपूर्ण है।
मैया यशाेदा ने देखा मुख
भगवान ने यहां गोप-बालकों के साथ खेलते हुए मिट्टी खाई थी। मैया यशोदा ने इस बारे में बलराम से पूछा। बलराम ने भी कन्हैया के मिट्टी खाने की बात कही। मैया ने भगवान से मिट्टी खाने के बारे में पूछा। मैया ने कन्हैया से मुख खोलने को कहा। भगवान के मुख को देखने पर मैया स्तब्ध रह गईं। अनगिनत ब्रह्मांड, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि दिखाई दिए। मैया यशोदा आंखें बंद कर सोचने लगीं कि वह क्या देख रही हैं। आंखें खोलने पर कन्हैया उनकी गोद में बैठे थे। मैया यशोदा ने घर आकर ब्राह्मणों को बुलाया, स्वस्ति वाचन कराया। ब्राह्मणों को गोदान और दक्षिणा दी। तभी से इस जगह को ब्रह्मांड घाट कहा जाता है। ब्रह्मांड दिखाने के कारण इस मंदिर का नाम ब्रह्मांड बिहारी पड़ गया।ये भी पढ़ेंः इंतजार खत्म, अब यमुना की लहरों के बीच क्रूज से सफर का आनंद; 450 सौ रुपये किराए में 45 मिनट की सैर
ये भी पढ़ेंः Shri Krishna Janmashtami: बांकेबिहारी मंदिर में आज से तीन दिन चलेगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव
बचपन में चखी थी मिट्टी
यहां भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में मिट्टी खाई थी, इसलिए यहां भगवान को लगने वाला भोग मिट्टी का होता है। श्रद्धालु यहां से मिट्टी के पेड़ों को भोग के रूप में लेकर जाते हैं। स्वजन को वितरित करते हैं। पुजारी राजू ने बताया कि यहां पर भगवान ने मिट्टी खाई थी। मैया यशोदा ने मुख खुलवाया तो उनको ब्रह्मांड के दर्शन हुए। इस कारण नाम ब्रह्मांड घाट पड़ा। भगवान को मिट्टी के पेड़ों का भोग लगाया जाता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।