Radha Ashtami 2024 ब्रजभूमि के बरसाना में स्थित मान मंदिर में एक गुफा है। इस गुफा में राधा रानी कृष्ण से रूठकर छिप गई थीं। इस शिला पर आज भी उनकी आकृति और हाथ का पंजा दिखाई देता है। मान्यता है कि इस शिला को गौर से देखने पर उसमें राधारानी की छवि और हाथ का पंजा दिखाई देता है।
किशन चौहान, बरसाना।
वैसे तो ब्रजभूमि का कण कण ही राधाकृष्ण की दिव्य लीलाओं की गवाही देता है। लेकिन राधारानी के निज धाम बरसाना में उनके लीलाओं के अनेकों चिह्न आज भी मौजूद हैं। कृष्ण द्वारा चंद्रमा से बृषभानु दुलारी के सौंदर्य की तुलना उन्हें बहुत बुरी लगी और वो रूठकर एक शिला के पीछे जाकर छिप गई थीं।
मान मंदिर पर स्थित उक्त गुफा में आज भी वो शिला मौजूद है। जहां बृषभानु नंदनी छिपकर बैठ गई थीं। इस शिला पर आज भी उनकी आकृति व हाथ का पंजा दिखाई देता है।
श्रीकृष्ण से छिपकर बैठ गई थी राधा रानी
ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित मान मंदिर के बारे में बहुत से लोगों ने सुना व जाना होगा, क्योंकि ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा इसी मंदिर पर निवास करते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि मान मंदिर में एक गुफा भी मौजूद है। उक्त गुफा में वो प्राचीन शिला स्थित है जहां राधारानी कृष्ण से रूठकर छिपकर बैठ गई थी।
मान्यता है कि एक बार बृषभानु नंदनी ने 16 श्रृंगार करके जब भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मैं कैसी लग रही हूं,तो कृष्ण ने राधारानी के सौंदर्य की तुलना चंद्रमा से कर दी। ये उन्हें बुरा लगा। क्योंकि चंद्रमा में दाग है। इसी बात को लेकर राधारानी एक शिला के पीछे जाकर छिपकर बैठ गई थीं। श्रीकृष्ण के घंटों अनुनय व विनय करने के बाद उन्होंने गुस्सा छोड़ा।
हजारों वर्ष बाद आज भी वो शिला मान मंदिर में स्थित गुफा में मौजूद है।
दिखाई देता है आकृति और हाथ का पंजा
माना जाता है कि इस शिला को गौर से देखने पर उसमें राधारानी की छवि व हाथ का पंजा दिखाई देता है। आज से 60 साल पहले ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा ने इसी गुफा में बैठकर करीब 30 वर्षों तक राधारानी की आराधना की थी। आज भी उक्त शिला पर राधारानी के लिए खेल-खिलौने व भोग लगाए जाते हैं।
संत रमेश बाबा ने बताया कि कई बार आराधना के दौरान घुंघरू व किसी बालिका के पुकारने की अनुभूति उन्हें होती है। मानो ऐसा लगता था कि कोई आसपास घूम रहा है।
ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित मान मंदिर वहीं प्राचीन स्थल है। जहां राधाकृष्ण की मान लीला हुई थी। कृष्ण द्वारा चंद्रमा से राधारानी के सौंदर्य की तुलना करने पर वो मान करके इसी स्थान पर बैठ गई थीं। आज भी इस दिव्य शीला में राधारानी की आकृति दिखाई पड़ती है।
-सुनील सिंह, सचिव मान मंदिर बरसाना।
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