Move to Jagran APP

आओ बच्चों आपका स्वागत है..

11 माह बाद सोमवार को प्राथमिक स्कूल खुले तो हर ओर खुशियां बिखर गइ

By JagranEdited By: Updated: Tue, 02 Mar 2021 05:31 AM (IST)
आओ बच्चों आपका स्वागत है..
आओ बच्चों आपका स्वागत है..

संवाद सहयोगी, मथुरा : 11 माह बाद सोमवार को प्राथमिक स्कूल खुले तो हर ओर खुशियां बिखर गईं। बच्चे स्कूल पहुंचे। उनके चेहरे पर मुस्कान दिखी। स्कूल तो कोरोनाकाल के पहले भी खुलते थे, लेकिन सोमवार को नजारा ही अलग था। कहीं हवन हुआ, तो कहीं केक काटा गया। बच्चों की अगवानी वैदिक मंत्रों के बीच माथे पर टीका लगाकर की गई, तो वह भी गदगद हो गए।

बीते वर्ष कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च को ही स्कूल बंद कर दिए गए थे। 11 माह बाद सोमवार को सरकार के आदेश पर प्राथमिक स्कूल खुले। स्कूलों का जो आंगन सूना था, बच्चों के शोर से गूंज उठा। स्कूल खुलने की खुशियां यूं ही नहीं थीं, इसके लिए बाकायदा स्कूलों में पहले ही सजावट की गई। कहीं गुब्बारे लगे, तो कहीं रंगोली सजाई। प्राथमिक विद्यालय गोसना में बीएसए वीरपाल सिंह, खंड शिक्षाधिकारी जाकिर हुसैन ने खुद बच्चों का स्वागत फूल देकर किया। यहां स्कूल में पुस्तकालय का उद्घाटन भी किया गया।

श्रद्धानंद प्राथमिक पाठशाला झींगुरपुरा में जब बच्चे स्कूल पहुंचे तो प्रधानाध्यापक अनीता मुद्गल हाथों में थाल लिए उनका टीका करने को इंतजार कर रही थीं। डैंपियर नगर प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा मित्र पूनम शर्मा ने तिलक लगा अगवानी की। कोतवाली मार्ग स्थित बाल मुकुंद प्राथमिक विद्यालय तो नजारा ही बिल्कुल अलग था। यहां बकायदा केक काटकर खुशियां साझा की गईं। प्राथमिक विद्यालय भिदौनी, सुरीर में हवन किया गया। हालांकि पहले दिन महज चालीस फीसद ही छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचे। पहला दिन पढ़ाई से इतर साथियों से मिलने-मिलाने और खेलने-कूदने में ही बीत गया।

उधर, सीबीएसई से संबद्ध प्राथमिक स्कूलों में भी सोमवार को रौनक लौटी। सुबह अभिभावक बच्चों को स्कूल छोड़ने गए। बच्चे मास्क लगाकर पहुंचे, तो स्कूल के गेट पर ही उनके हाथ सैनिटाइज कराए गए। जो बच्चे मास्क लगाकर नहीं पहुंचे, उन्हें स्कूल की ओर से मास्क दिए गए। सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में करीब 35 फीसद ही बच्चे पहुंचे। बाक्स रसोई में बनी दाल-रोटी, मन से खाया 11 माह बाद स्कूल खुले, तो पहले दिन मिड डे मील में दाल-रोटी बनी। बच्चों ने इतने दिन बाद साथ बैठकर स्कूल में खाना खाया, तो उसका आनंद ही अलग था। सभी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बना। क्या कहते हैं छात्र-छात्रा

स्कूल में पढ़ने के लिए अच्छा वातावरण मिलता है। शिक्षकों से आसानी से पूछा जा सकता है। घर पर परेशानी आने पर बताने वाला कोई नहीं था। आज स्कूल आकर बहुत अच्छा लगा।

दीप्ति-कक्षा 5, प्राथमिक पाठशाला पैंठ बाजार सुरीर। स्कूल में पढ़ने का मन बहुत था, लेकिन स्कूल नहीं खुल रहे थे। आज स्कूल खुले तो खुश हूं। दोस्तों से मिलकर बहुत अच्छा लगा।

शिवा-कक्षा 1, प्राथमिक पाठशाला पैंठ बाजार सुरीर।

------------------------

मोबाइल पर पढ़ने में ज्यादा समझ नहीं आता है। कभी-कभी इंटरनेट न आने के कारण भी परेशानी आती थी। अब शिक्षकों से आसानी से सवाल पूछ सकेंगे।

डाली-कक्षा 5,श्रद्धानंद प्राथमिक पाठशाला, झींगुरपुरा।

----------------------------

शिक्षकों ने पहले ही बताया दिया था कि मास्क लगाकर आना है। कोविड-19 महामारी से भी अवगत कराया था। स्कूल सुरक्षा के साथ आए हैं।

खुशी-कक्षा 5,प्राथमिक पाठशाला,डैंपियर नगर

-------------------------

स्कूल में पढ़ना है और सुरक्षा का ध्यान रखना हैं। बीमारी को फैलने से रोकना सभी की जिम्मेदारी है। पढ़ते और खेलते समय शारीरिक दूरी का ध्यान रखना है।

अनमोल-कक्षा 5, श्रद्धानंद प्राथमिक पाठशाला, झींगुरपुरा।

-----------------------------

स्कूल आने के लिए एक दिन पहले ही तैयारी कर ली थी। ड्रेस और मास्क निकालकर तैयार कर लिए थे। सुबह स्कूल आने की जल्दी थी। स्कूल आकर अच्छा लग रहा है।

साहिल- कक्षा 1,प्राथमिक पाठशाला, डैंपियर नगर बाक्स

1358 प्राथमिक विद्यालय हैं जिले में।

90 हजार छात्र-छात्राएं इन स्कूलों में अध्ययनरत हैं।

106 प्राथमिक विद्यालय सीबीएसई से संबद्ध हैं।