Mathura Accident: एक गलती और चली गई 5 लोगों की जान, शवों को देख मची चीख-पुकार; हर आंख से निकला आंसू
बिहार के महिला-पुरुष समेत 35 मजदूरों से भरी पिकअप गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे ट्रैक्टर-ट्राली को बचाने में बिजली के खंभे से टकरा गई थी। इसके बाद तार टूटकर पिकअप को छूते समय सड़क पर जा गिरा। करंट का झटका लगने पर मजदूर पिकअप से कूदे। इसी दौरान चालक ने तेजी से पिकअप को बैक किया। हादसे में दो बच्चियों समेत पांच की मृत्यु हो गई।
जागरण संवाददाता, मथुरा। पिकअप से हुए हादसे में हर ओर चित्कार मच गई। शवों को देख अपनों की चीख निकली, तो घायलों की कराह ने हर आंख से आंसू बहा दिए। बिजली के खंभे से टकराने के बाद टूटा तार पहले पिकअप पर गिरा और फिर दूर सड़क पर। करंट ने झटका दिया और लोग पिकअप से कूद गए। उन्हें क्या पता था कि वह बचने के लिए कूद रहे हैं, लेकिन पिकअप उन पर ही चढ़ जाएगा। यदि तार पिकअप पर ही पड़ा रहता तो कई और जानें भी जान सकती थीं। पिकअप में 35 लोग सवार थे।
बिहार के महिला-पुरुष समेत 35 मजदूरों से भरी पिकअप गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे ट्रैक्टर-ट्राली को बचाने में बिजली के खंभे से टकरा गई थी। इसके बाद तार टूटकर पिकअप को छूते समय सड़क पर जा गिरा। करंट का झटका लगने पर मजदूर पिकअप से कूदे। इसी दौरान चालक ने तेजी से पिकअप को बैक किया। हादसे में कई मजदूर कुचल गई। इसमें दो बच्चियों समेत पांच की मृत्यु हो गई। हादसे में पत्नी गौरी और बेटी कोमल को खोने वाले घायल सुखवेंद्र ने बताया, पिकअप चालक शराब के नशे में था।
अलीगढ़ से जब वह वाहन में बैठे तो वह तेज रफ्तार में लहराते हुए चला रहा था। पिकअप में बैठे सभी तेज रफ्तार से डरे-सहमे थे। सामने से पिकअप को आता देख ट्रैक्टर-ट्राली के चालक ने चिल्लाते हुए आवाज लगाई। लेकिन पिकअप के चालक ने नियंत्रण खो दिया और बिजली के खंभे से टकरा गई। सुखवेंद्र ने बताया, हादसा होते ही उन्हें बस इतना दिखाई दिया कि खंभे से टक्कर के बाद बिजली का तार टूटकर पिकअप पर गि गया। वह लोहे का पाइप पकड़े थे। करंट का झटका उन्हें लगा। इसके बाद वह पिकअप से कूद गए और फिर आंखों के आगे अंधेरा छा गया, तो पत्नी और बच्ची की मृत्यु हो चुकी थी। चीख-पुकार सुनकर सभी के कलेजा बैठ सा गया।
500 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी पर आए थे मजदूर
घायल सुखवेंद्र ने बताया, गांव के ठेकेदार पिंटू ने ईंट-भट्ठा में काम दिलाने के लिए भेजा था। गांव के आसपास पड़ोस के कई परिवार एक वर्ष तक काम के लिए निकले थे। 500 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी की बात हुई थी। सुखवेंद्र ने बताया, वह पहली बार गांव से बाहर काम पर निकले थे। पता नहीं था कि हादसा हो जाएगा और पत्नी व एक बेटी को खो देंगे। सुखवेंद्र के पांच बेटियां थीं। चार बेटियों के सिर से मां का साया उठ गया।
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