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Ram Mandir आंदोलन की कहानी, एक कारसेवक की जुबानी; डायनामाइट लेकर ढांचा गिराने पहुंचे, टाडा कानून में पांच वर्ष जेल में काटी

Ram Manidr News Mathura Latest News In Hindi चौकीदारी की नौकरी करने वाले सुरेश जब धर्म गुरुओं को सुनते थे तो उन पर भी जुनून चढ़ा और वे अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के लिए निकले थे। लेकिन पकड़ गए। अब गुमनामी की जिंदगी जी रहे सुरेश बघेल कहते हैं कि प्रभु राम अपनी अयोध्या में विराजमान हो रहे हैं इससे ज्यादा खुशी भला मेरे लिए क्या हो सकती है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 16 Jan 2024 01:51 PM (IST)
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Mathura News: डायनामाइट लेकर ढांचा गिराने पहुंच गए थे सुरेश

जागरण टीम, विपिन पाराशर, वृंदावनl राम मंदिर आंदोलन में कान्हा की नगरी के कई कारसेवकों ने भाग लिया, लेकिन एक कारसेवक ऐसे थे, जो विवादित ढांचे को गिराने के लिए डायनामाइट लेकर अयोध्या पहुंच गए। इनका नाम है सुरेश बघेल। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। टाडा कानून के तहत पांच वर्ष तक जेल काटी।

सुरक्षाबलों ने किया था गिरफ्तार

गौरानगर कालोनी में पत्नी व तीन बच्चों के साथ रहने वाले सुरेश बघेल ने प्रण किया था कि भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर विवादित ढांचा हमें हटाना है। ये संकल्प लेकर वह डायनामाइट लेकर आठ दिसंबर 1990 को अयोध्या पहुंचे। जन्मस्थान के पास पहुंचने से पहले ही सुरक्षाबलों ने उन्हें घेर लिया। उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, पुलिस ने दस दिन तक रिमांड पर लेकर पूछताछ की। इसके बाद टाडा और रासुका कानून के तहत वह जेल गए।

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मुकदमा चला और फिर पांच वर्ष की सजा के साथ चार हजार रुपये का जुर्माना लगा। 36 माह तक जेल काटी। वर्ष 2000 में उन्हें हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जमानत दे दी। इसके बाद मुकदमे का क्या हुआ, उन्हें पता नहीं है।

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सुरेश बताते हैं कि जब राम मंदिर आंदोलन चल रहा था। वह उस वक्त वृंदावन के राम कृष्ण मिशन चैरिटेबल हास्पिटल में चौकीदार थे। जब संत महंत और विहिप नेताओं के भाषण सुनते तो उनका भी मन रामकाज में लगने का करता। आखिर एक दिन उन्होंने ठान लिया कि अब वह अयोध्या में ढांचा ढहाएंगे। इस बीच शिवसेना के कार्यकर्ता बन गए। एक दिन घर से बिना किसी को बताए अयोध्या के लिए निकल गए।

एक परिचित से डायनामाइट का जुगाड़ किया। अयोध्या तक पहुंच गए। लेकिन जन्मभूमि पहुंचने से पहले ही पुलिस ने दबोच लिया। परिवार को तब पता चला जब वह गिरफ्तार हुए और स्वजन को जानकारी पुलिस ने दी। 36 माह तक जेल में रहे तो परिवार को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

गिरफ्तारी से लेकर जमानत होने तक कुछ रामभक्त उनसे मिलने जेल गए, उनकी मदद भी की। वह कहते हैं कि भगवान राम अपने मंदिर में विराजित होंगे, ये क्षण देखने को आंखें तरस रही थीं। अब जब सोचता हूं कि राम अपने मंदिर में विराजेंगे, तो आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह कहते हैं कि राम को उनके मंदिर में विराजमान कराने के लिए ही तो हमने जेल काटी।