मथुरा पानी की टंकी गिरने से हादसा; NDRF टीम ने मशीन से चेक की मलबे में धड़कन, घर-घर पूछे लोग, फिर ऑपरेशन शुरू
Mathura Water Tank Collapse News रविवार शाम करीब 5.30 बजे वर्षा के दौरान मथुरा-वृन्दावन नगर निगम क्षेत्रांतर्गत बीएसए कॉलेज रोड स्थित कृष्ण विहार कॉलोनी में पानी की टंकी गिर गई थी। इस घटना में 15 लोग घायल हुए जिनमें से दो महिलाओं को चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया था। एनडीआरएफ की टीम गाजियाबाद से यहां पहुंची और उन्होंने ऑपरेशन शुरू किया है।
जितेंद्र गुप्ता l जागरण मथुरा: रविवार की शाम वर्षा के बीच धराशायी हुई पानी की टंकी ने तबाही मचा दी। हर तरफ चीखपुकार और अफरातफरी का नजारा था। मलबे में दबे लोगों में से दो महिलाओं की मौत की खबर के बाद दहशत बढ़ गई। हादसे के चार घंटे तक मलबे में लोगों के दबे होने की आशंका जोर पकड़ती रही।
रात आठ बजे गाजियाबाद से पहुंची एनडीआरएफ टीम ने मलबे में मशीन डालकर दिल की धड़कनों को चेक करना शुरू किया। वहीं दूसरी टीम घर-घर जाकर परिवार के लापता लोगों के बारे में पूछती रही। मलबे में किसी के न दबे होने की आशंका खत्म होने के बाद राहत कार्य शुरू हुआ। 18 घंटे तक चले राहत कार्य में एक तिहाई मलबा ही उठाया जा सका है। इसे पूरी तरह साफ करने में तीन दिन लग जाएंगे।
रविवार शाम साढ़े पांच बजे टंकी गिरने के बाद आठ बजे नगर निगम, प्रशासन, अग्निशमन के अधिकारी मौके पर आ गए थे। डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह एवं एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने सेना के साथ गाजियाबाद से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को मदद के लिए बुलाया।
गाजियाबाद से पहुंची टीम
रात आठ बजे गाजियाबाद की 32 जवानों की एनडीआरएफ टीम पहुंच गई। रात नौ बजे सेना के एक दर्जन जवान आ गए। मलबे में कुछ लोगों के दबे होने की आशंका थी। एनडीआरएफ लाइफ डिटेक्टर टाइप वन मशीन से मलबे की जांच शुरू की गई।
संबंधित खबरेंः मथुरा पानी की टंकी हादसा; 25 साल की लाइफ, तीन वर्ष में गिर गई, पहले गिरा 'भ्रष्टाचार का पिलर' फिर ढहा पूरा ढांचा...
दिल की धड़कन सुनने की मशीन से जांच
एनडीआरएफ इंस्पेक्टर राजू यादव ने बताया, मशीन 400 मीटर रेंज में किसी के भी जीवित होने पर दिल की धड़कन को सुनकर आवाज करने लगती है। कई बार मशीन को मलबे में डाला गया, लेकिन कोई भी हलचल नहीं हुई। इससे यह तय हो गया कि मलबे में कोई जीवित नहीं है। पता चला कि जमीन में भूमिगत पानी का टैंक भी है।
रात दस बजे शुरू हुआ काम
सीएफओ एनपी सिंह ने पहले पानी की निकासी शुरू करवाई। इसके बाद रात 10 बजे मलबा हटाने का काम शुरू हुआ। रात से सोमवार शाम तक पूरे दिन राहत कार्य चलता रहा। इसके लिए तीन शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई। आठ जेसीबी मशीनें मलबे को उठाकर ट्रैक्टर-ट्राली में लोड करती रहीं। दोपहर में बादल घिरे लेकिन थोड़ी देर में ही फिर से धूप निकल आई। बताया जा रहा है कि टंकी का पूरा हटाने में तीन दिन का समय लगेगा।
तीन दर्जन हाईमास्ट लाइटें लगाईं
हादसे के बाद सुरक्षा की दृष्टि से कृष्ण विहार कालोनी की विभाग द्वारा क्षेत्र की बिजली बंद कर दी गई थी। अंधेरा होने के बाद पुलिस ने ड्रैगन लाइटें मंगवाई। इनकी रोशनी राहत कार्य के लिए नाकाफी थीं। इसके बाद नगर निगम ने तीन दर्जन हाईमास्ट लाइटें लगवाईं। इसके चलते राहत कार्य शुरू होने में देरी हुई। रात 10 बजे काम शुरू हो सका।
संकरी गलियां और लोहे के जाल ने बढ़ाई मुश्किल
कालोनी की संकरी गलियां और टंकी में लगे लोहे के जाल से राहत कार्य करने में कर्मियों को काफी परेशानियां हुईं। 30 घंटे में आठ जेसीबी से टंकी के बाहरी हिस्से के मलबे को हटाया जा सका। कर्मचारियों की टीम सरियों के जाल को कटर और वेल्डिंग मशीन से काटने में लगी है। एसपी सिटी डा. अरविंद कुमार ने बताया, मलबा बहुत ज्यादा है। इसे साफ करने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है।
टंकी के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री के सैंपल लिए गए हैं। ये मुख्यालय भेजे जाएंगे। इन्हें दिल्ली या कानुपर आइआइटी में से कहा भेजा जाएगा इसआरके श्रीवास्तव, एक्सईएन जल निगम नगरीयका निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा।
मंडल अधीक्षण अभियंता ने कब्जे में लीं फाइलें
रविवार को हुए टंकी हादसे के मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है। जल निगम नगरीय निर्माण मंडल के अधीक्षण अभियंता रमेश चंद्र सोमवार को सुबह ही भूतेश्वर स्थित जल निगम कार्यालय पहुंच गए। उन्होंने पेयजल टंकी परियोजना की सभी फाइल निकलवाने के साथ संबंधित दस्तावेजों को कब्जे में ले लिया।
एस्टीमेट और इस संबंध में किस स्तर पर जांच की गई, संबंधी दस्तावेज संकलित कर लिए हैं। इन्हें उच्चाधिकारियों एवं जांच कमेटी को उपलब्ध कराया जाएगा। पेयजल टंकी गिरने के मामले की जांच के लिए विभागीय जांच भी कराई जाएगी। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर जांच अधिकारी नामित किए जाएंगे। ये अधिकारी तकनीकी जांच करेंगे।