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कान्हा की नगरी होगी राजनीति का नया केंद्र, कभी कांग्रेस और रालोद का हुआ करता था गढ़; अब भाजपा का कब्जा

अब कान्हा की नगरी बन रही राजनीति का नया केंद्र विकास का मुद्दा भी चुनाव में आगे-रालोद के साथ गोलबंदी से विपक्ष को भाजपा ने दी नई राजनीतिक चुनौतीफोटो नंबर-काशी अयोध्या के बाद अब मथुरा की बारी...। मथुरा कभी कांग्रेस और रालोद का मजबूत गढ़ हुआ करता था लेकिन 2014 के बाद तस्वीर बदल गई अब पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

By vineet Kumar Mishra Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 07 Mar 2024 11:14 AM (IST)
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कान्हा की नगरी होगी राजनीति का नया केंद्र
विनीत मिश्र, मथुरा। काशी विश्वनाथ में भव्य और दिव्य धाम बनने और अयोध्या में भव्य मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद राजनीतिक गलियारे में ये नारा तेजी से गूंज रहा है। बीते कुछ वर्षों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भाजपा, सपा और कांग्रेस के यहां बड़े  आयोजनों ने काफी कुछ संकेत दिया। या यूं कहें कि कान्हा का ब्रज अब राजनीति का नया केंद्र बन गया है।

करीब साढ़े तीन वर्ष पहले जब श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मामला न्यायालय पहुंचा, तब राजनीतिक माहौल भी सरगर्म हुआ। एक बार फिर कृष्ण को भव्य और दिव्य धाम दिलाने की आवाज बुलंद हुई। राजनीतिक बयानबाजी के केंद्र में कान्हा और उनका ब्रज आ गया। कभी कांग्रेस और रालोद का मजबूत गढ़ रहे मथुरा में अब कमल दल का कब्जा है।

राजनीति के केंद्र में रहेगा कृष्ण का जन्मस्थान

कृष्ण और उनका जन्मस्थान अब राजनीति के केंद्र में रहेगा, ये बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाला के धाम पर उनके दर्शन कर संकेत भी दिया। मोदी पहले प्रधानमंत्री बने, जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचे। ब्रज रज उत्सव में आए पीएम मोदी ने ये साफ कहा भी कि अब कृष्ण के दर्शन बहुत भव्य और दिव्य होंगे। उनके इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ भी तलाशे गए। बीते वर्षों में ब्रज के विकास की नई गाथा लिखी गई।

रालोद से गठबंधन में भी भाजपा ने ये सीट अपने पास रख और मजबूती दिखाई। मथुरा के राजनीतिक परिदृश्य पर विनीत मिश्र की रिपोर्ट।

गुजरात के जाम नगर निवासी मनसुख भाई करीब 15 वर्ष बाद कान्हा की नगरी में आए हैं। ट्रेन से उतरे, तो रेलवे स्टेशन की चमक-दमक देख काफी देर तक निहारते रहे। सब कुछ बदला-बदला सा है। साधारण सा दिखने वाला जंक्शन रेलवे स्टेशन आज कृष्ण और राधा की तस्वीरों से अटा है, लिफ्ट और वातानुकूलित प्रतीक्षालय भी है।

इस तस्वीर ने मनसुख भाई का ध्यान खींचा, मुंह से निकला यहां तो सब कुछ बदल गया। दरअसल, प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद ही मथुरा राजनीति के केंद्र में आने लगा।

अगस्त 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश ब्रजतीर्थ विकास परिषद का गठन किया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के दस किमी की परिधि में आने वाले क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने के साथ ही गोवर्धन, वृंदावन, गोकुल, महावन, बरसाना, बलदेव को भी तीर्थघोषित किया गया।

ये राजनीतिक रूप से खुद को मजबूत करने की दिशा में भाजपा की पहल थी। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को प्रत्याशी बनाया और रालोद मुखिया जयंत चौधरी को हराकर सीट जीती। 2017 के चुनाव में पांच में से चार विधानसभा सीटें भाजपा ने जीतीं, तो 2022 में पांचों उसकी झोली में आ गईं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल में सीएम योगी खुद 30 से अधिक बार मथुरा आए। जन्मस्थान में सबसे अधिक बार दर्शन करने वाले पहले सीएम योगी हैं। जाट बाहुल्य मथुरा में भाजपा खुद को एक रणनीति के तहत मजबूत कर रही है। जाट समाज से चौधरी लक्ष्मी नारायण को लगातार दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया। फिर तीन बार सांसद रहे चौधरी तेजवीर सिंह को राज्यसभा सदस्य बनाया।

ठाकुर समाज के ओमप्रकाश सिंह को विधान परिषद भेजा। पिछड़े वर्ग के भुवन भूषण कमल को राष्ट्रीय पिछ़ड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया। पिछले चुनावों में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रहे रालोद से गठबंधन के बाद भाजपा यहां और मजबूत हुई है। प्रमुख चेहरे के रूप में तीसरी बार फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को मैदान में उतारा।

रालोद ने लोकसभा सीट जरूर भाजपा को दी, लेकिन विधान परिषद की सीट पर अपने करीबी मथुरा के योगेश नौहवार को प्रत्याशी बना दिया। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि रालोद यहां अपनी जड़ें अभी कमजोर नहीं करना चाहती। यहां आइएनडीआइए से रालोद के अलग होने के बाद विपक्ष कमजोर हुआ है। सपा कभी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं जीती और कांग्रेस 2004 के बाद कमजोर होती गई।

कांग्रेस के खाते में आइएनडीआइए से ये सीट गई है। जाहिर है, भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्ष को मजबूत और नई रणनीति पर काम करना होगा। 

विकास की नई गाथा लिख रही कान्हा की मथुरा

ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन ही इसलिए किया गया कि यहां सुनियोजित तरीके से विकास हो। वर्ष 2017 के बाद तेजी से यहां विकास का पहिया घूमा। घाटों का सुंदरीकरण होने के साथ ही 2021 में हुए कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक को भव्यता देने से नया संदेश भी गया।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लाइट एंड साउंड शो के जरिए कान्हा की लीलाएं श्रद्धालुओं को दिखाई गईं, तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को बीते सात वर्षों में बहुत ही भव्य रूप दिया गया। बरसाना की लठामार होली को राजकीय दर्जा मिला तो गोवर्धन के विश्व प्रसिद्ध मुड़िया मेले को भी नई पहचान मिली। विकास की नई गति से आर्थिकी भी दौड़ने लगी।

बीते वर्ष करीब छह करोड़ श्रद्धालु ब्रज में आए। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के लिए सरकार ने पांच एकड़ में बनाने का प्रस्ताव दिया, इसके लिए जमीन अधिगृहण को डेढ़ सौ करोड़़ रुपये भी स्वीकृत कर दिए। यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे वृंदावन-राया के बीच बनने वाले हेरिटेज सिटी विकास की नई गाथा लिखेगी।

यमुना में पर्यटन बढ़ाने को क्रूज का संचालन जल्द शुरू होगा। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग के एक हिस्से के चौड़ीकरण और सुंदरीकरण की तीन हजार करोड़ रुपये की योजना भी पास हुई।

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