Radha Kund Snan 2023: यूपी का ऐसा कुंड जहां स्नान करने से मिलता है संतान सुख, आज रात 12 बजे डुबकी लगाएंगे निसंतान दंपती
Radha Kund Snan 2023 कान्हा के हाथों बछड़े का वध करने से उन्हें गोहत्या का पाप लग गया। प्रायश्चित को श्रीकृष्ण ने बांसुरी से कुंड बनवाया और तीर्थों का जल यहां एकत्रित किया। राधारानी ने भी अपने कंगन से कुंड खोदा और तीर्थों का जल एकत्र किया। श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि जो भी निसंतान दंपती अहोई अष्टमी की रात यहां स्नान करेगा उसे सालभर में संतान की प्राप्ति होगी।
रसिक शर्मा, गोवर्धन/मथुरा। आंसुओं से भीगी आंखों में सूनी गोद का दर्द, संतान के वरदान को फैला आंचल, दुनिया भर की चिकित्सा से निराश दंपती मन्नत के इस सागर में आधी रात्रि में विश्वास के गोते लगाने आते हैं। किसी की आंखें खुशी में तो किसी की वेदना में भीगती हैं।
संतान को गोद में लिए आभार जताने वाले दंपती की सूनी आंखें विश्वास से चमक उठती हैं। पांच नवंबर को अहोई अष्टमी है। इस दिन व्रत रखकर दंपती आधी रात को राधाकुंड में संतान प्राप्ति को गोते लगाएंगे। राधाकुंड भी अपनी सुंदरता पर इठलाता नजर आएगा।
संतान प्राप्ति की है मान्यता
धार्मिक मान्यता है अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में आधी रात स्नान करने वाले दंपती को संतान की प्राप्ति होती है। स्नान के उपरांत एक पसंदीदा फल छोड़ने का विधान है तो पेठा फल का दान भी परंपरा में शामिल है। तमाम देशी और विदेशी दंपती यहां आकर अपना आंचल फैलाएंगे।
वहीं संतान की सुख प्राप्त करने वाले दंपती इस रात राधारानी का आभार जताने के लिए भी स्नान करेंगे। पंडित रामेश्वर वशिष्ठ ने बताया, मान्यता है कि निसंतान दंपती कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि राधाकुंड में स्नान करते हैं तो जल्द ही उनके घर बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं।
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भगवान को लगा था गोहत्या का पाप
श्रीकृष्ण ने दिया था राधारानी को वरदान राधाकुंड अरिष्टासुर की नगरी अरीठ वन थी। अरिष्टासुर बलवान व तेज दहाड़ वाला राक्षस था। उसकी दहाड़ से आसपास के नगरों में गर्भवती के गर्भ गिर जाते थे। गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर ने बछड़े का रूप रखकर भगवान श्रीकृष्ण को मारने की कोशिश की थी। कान्हा के हाथों बछड़े का वध करने से उन्हें गोहत्या का पाप लग गया।
प्रायश्चित के लिए श्रीकृष्ण ने बांसुरी से कुंड बनवाया और तीर्थों का जल यहां एकत्रित किया। इसी तरह राधारानी ने भी अपने कंगन से कुंड खोदा और तीर्थों का जल एकत्र किया। जब दोनों कुंड भर गए तो कृष्ण और राधा ने रास किया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी निसंतान दंपती अहोई अष्टमी की रात यहां स्नान करेगा, उसे सालभर के भीतर संतान की प्राप्ति होगी। इसका उल्लेख ब्रह्मा पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड में है।
अनूठी भक्ति का अद्भुत विश्वास
दुनिया भर की चिकित्सा से निराश दंपती जब जल स्वरूपा राधारानी के दरबार में अपना आंचल फैलाते हैं तो दरबार सजाए बैठी राधारानी अपना आशीष भरा हाथ उनके सर पर फेरती हैं। यह विश्वास उन सूनी आंखों में चमक बिखेर देता है, जब बगल में बैठे दंपती अपनी संतान के साथ कृपा का आभार प्रकट करने को गोते लगाते हैं।
यह विश्वास ही है, जो हर साल दंपती की संख्या में इजाफा कर देता है। यह स्नान राधाकुंड में पांच नवंबर को रात 12 बजे होगा। तमाम भक्त शाम होते ही घाटों पर बैठकर इस घड़ी का इंतजार करते हैं।