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Shri Krishna Janambhoomi Case: जामा मस्जिद ही है बेगम साहिबा की मस्जिद, जिसका टला सर्वे, अब 25 मई अहम तारीख

वादी ने हाई कोर्ट के आदेश न्यायालय को सौंपे। वादी ने बताया कि न्यायालय ने अगली तिथि 25 मई तय की है। उस दिन निर्णय भी आ सकता है या न्यायालय कुछ बिंदुओं पर सुनवाई भी कर सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 07 May 2023 07:37 AM (IST)
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Shri Krishna Janam bhoomi Case: बेगम साहिबा मस्जिद के सर्वे पर निर्णय टला, 25 मई को आ सकता है निर्णय

मथुरा, जागरण संवाददाता। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में शनिवार को आगरा स्थित बेगम साहिबा मस्जिद के सर्वे की मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक न्यायालय का निर्णय टल गया। वादी पक्ष ने न्यायालय में कुछ दस्तावेज और हाई कोर्ट के कुछ अन्य मामलों में दिए गए आदेश की प्रति सौंपी। अगली तिथि 25 मई को नियत की गई है।

मंदिर को तोड़कर आगरा में दबाने का दावा

अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दायर वाद में कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर स्थित ठाकुर केशवराय (केशवदेव) मंदिर को तोड़कर उनके श्रीविग्रह मुगल बादशाह अकबर ने आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में दबवा दिए थे। इसलिए बेगम साहिबा मस्जिद का पुरातत्व विभाग से सर्वे कराकर श्रीविग्रह को श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में भेजा जाए। इस मामले में पुरातत्व विभाग को प्रतिवादी बनाया गया है।

पुस्तक के अंश भी दिए

पुरातत्व विभाग ने न्यायालय से कहा था कि मस्जिद आगरा में है, इसलिए यहां की न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। पूर्व में दोनों पक्षों को न्यायालय ने सुना था, इसके बाद शनिवार को निर्णय की संभावना जताई जा रही थी। वादी पक्ष ने शनिवार को न्यायालय से कहा कि ये मामला उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, क्योंकि श्रीविग्रह मथुरा के जन्मस्थान से गए हैं। इसलिए न्यायालय को सर्वे का अधिकार है। इसके अलावा न्यायालय में फ्रांसीसी लेखक फ्रांकोइस गुटियर की पुस्तक औरंगजेब इकोनोक्लेजम का अंश भी प्रस्तुत किया। इसमें इस बात का जिक्र है कि औरंगजेब ने मस्जिद की सीढ़ियों में श्रीविग्रह दबवाए। ऐसे मामलों में हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में किए गए कुछ आदेशों की प्रति भी न्यायालय में सौंपी।

जामा मस्जिद ही है बेगम साहिबा की मस्जिद

श्रीकृष्ण जन्म स्थान मामले से जुड़े वाद में बेगम साहिबा की मस्जिद चर्चा में है। जामा मस्जिद ही बेगम साहिबा की मस्जिद है। इसका निर्माण शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन जहांआरा ने वर्ष 1644 से 1648 के मध्य कराया था। हर वर्ष 20वें रमजान को जहांआरा का उर्स मस्जिद में मनाया जाता है।

बेगम साहिबा जहांआरा को कहते थे

इतिहासविद् राजकिशोर राजे बताते हैं कि जामा मस्जिद ही बेगम साहिबा द्वारा बनवाई गई मस्जिद है। जहांआरा को बेगम साहिबा कहा जाता था। इतिहासकार आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक “मुगलकालीन भारत’, इतिहासकार एसआर शर्मा ने पुस्तक “भारत में मुगल साम्राज्य’ और “मआसिर-ए-आलमगीरी’ में मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे प्रतिमाओं के दबाएं जाने का उल्लेख है।