Shri Krishna Janmabhoomi Case: क्या है पूरा विवाद, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच 1968 के समझौते की पूरी कहानी
Shri Krishna Janmabhoomi Case हिंदू पक्ष श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिस पर मथुरा कोर्ट 1 जुलाई को सुनवाई करेगा। हिंदू पक्ष दावा करता है कि यह मस्जिद मंदिर परिसर में बनी है।
जागरण डिजिटल डेस्क। मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद न्यायालय में चल रहा है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर कई याचिकाएं मथुरा कोर्ट में डाली गई हैं। इन सभी याचिकाओं पर एक जुलाई को सुनवाई होने वाली है। वाराणसी की तरह मथुरा विवाद भी काफी दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुगलकाल में हुआ था। हिंदू पक्ष और वादी पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल पर बने मंदिर को तोड़कर ईदगाह मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद 13.37 एकड़ जमीन पर बनी है, जिसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की बात कही गई है।
लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही ईदगाह को हटाकर पूरी 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम है जबकि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान (तब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ) ने शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से 1968 में समझौता किया था। जमीन ट्रस्ट के नाम होने पर संस्थान को समझौता करने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में यह समझौता रद्द किया जाए और पूरी जमीन ट्रस्ट को दी जाए।
जानें क्या है समझौता
1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) और शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी के बीच जमीन को लेकर एक समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन पर है, वो उसी तरह कायम रहेगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान वहीं है, जहां पर प्राचीन केशवराय मंदिर था। इनका ये भी दावा है कि वर्ष 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन हुआ, जिसने मुस्लिम पक्ष से गलत समझौता कर लिया।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का यह कहना
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता जीबी निगम का कहना है कि जिला जज की अदालत में वादी पक्ष को वाद के रूप में रिवीजन नहीं दाखिल करना था बल्कि अपील दाखिल करनी थी। पहले अपील दाखिल की गई लेकिन उसे रिवीजन में कन्वर्ट कर दिया गया, यह न्याय संगत नहीं है, इसलिए यह बात चलने योग्य नहीं है।
शाही मस्जिद ईदगाह का पक्ष
शाही मस्जिद ईदगाह के अधिवक्ता नीरज शर्मा का कहना है कि वादी पक्ष ने पहले निचली अदालत में वाद दायर किया था लेकिन वहां से यह कहकर बाद खारिज किया गया था कि वादी पक्ष को वाद दायर करने का अधिकार नहीं है। निचली अदालत में दायर बाद में कुछ मामलों में न्यायालय के आदेश का हवाला दिया गया था। उसमें आदेश की कॉपी नहीं लगाई गई, केवल टाइप कर आदेश लगाया है जो यह मान्य नहीं है। वर्शिप एक्ट 1951 के तहत भी यह वाद चलने लायक नहीं है, समझौता 1968 में हुआ था, इतने दिन वादी पक्ष कहां रहा। समझौता कितने वर्षों के बाद दायर करने का कोई औचित्य नहीं है, यह इसलिए यह बात खारिज किया जाए।
लखनऊ की अधिवक्ता ने दायर किया वाद
सितंबर 2021 में सबसे पहले लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर किया। उन्होंने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर कर ईदगाह की जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की। साथ ही उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते रद करने की मांग की थी। यहां से वाद खारिज होने के बाद जिला जज की अदालत में अपील की गई। बाद में इसे रिवीजन में तब्दील किया गया।
- कब-कब हुआ है वाद दायर
- दिसंबर 2020 में मनीष यादव ने भगवान के भक्तों के रूप में वाद दायर किया। उन्होंने मांग कि ईदगाह हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंप दी जाए।
- दिसंबर 2020 में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह आदि ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया। इसमें ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन ठाकुर केशव देव महाराज को सौंपने की मांग की थी।
- फरवरी 2021 में पवन शास्त्री ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाकर पूरी जमीन केशव ठाकुर केशव देव को सौंपने की मांग की है जन्मस्थान परिसर में ही ठाकुर केशव देव का मंदिर है।
- मार्च 2021 में अखिल भारत हिंदू महासभा के अनिल त्रिपाठी ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाकर परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है।
- मार्च 2021 में अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने भी सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में वाद दायर किया। ईदगाह को हटाकर सिर्फ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की।
- अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान से शाही मस्जिद को हटाकर इसे अतिक्रमण मुक्त करने की मांग की।
- पंकज सिंह, जितेंद्र सिंह और गोपाल गिरी ने भी अलग-अलग वाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद हटाने की मांग की।