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UP News: पांच घटाओं के शृंगार में दर्शन देंगे गिरिराजजी, एकादशी-रक्षाबंधन तक गोवर्धन के दानघाटी मंदिर में आयोजन

Mathura News शृंगार पोशाक परदे और प्रसाद में एक ही रंग का प्रयोग गिरिराजजी के घटाओं के दर्शन की परिभाषा है। सावन के महीने में पांच दिन विभिन्न घटाओं का यह विशेष शृंगार होता है। एकादशी से रक्षाबंधन तक दानघाटी गिरिराजजी मंदिर पर यह खूबसूरती भक्तों को बरबस ही आकर्षित करती है। कलियों को प्रभु के शृंगार में शामिल किया जाएगा।

By Kashim Khan Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 12 Aug 2024 02:08 PM (IST)
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गोवर्धन स्थित दानघाटी मंदिर में विराजमान गिरिराजजी का शृंगार करते सेवायत मथुरा दास कौशिक लाला पंडित। फोटोजागरण

संवाद सूत्र, जागरण, गोवर्धन: ब्रज मंडल में प्रभु को रिझाने के लिए भक्त विशेष आयोजन कर उत्सव मनाते हैं। इसलिए ब्रजभूमि को नित्य उत्सव भूमि भी कहा जाता है। सावन के महीने में गिरिराजजी अपने भक्तों को पांच दिन विभिन्न घटाओं में दर्शन होंगे। 

एकादशी के दिन गुरुवार से रक्षाबंधन तक दानघाटी मंदिर में पांच दिन तक घटा दर्शन का आयोजन किया जाएगा। सेवायत मथुरा दास कौशिक लाला पंडित ने बताया गोवर्धन महाराज के शृंगार के लिए घटाएं सजाई जाएंगी। गिरिराजजी के साथ मंदिर परिसर भी एक ही रंग में रंगा होगा। रंग विशेष के पर्दे, पोशाक, जेवरात के साथ ठोड़ी पर सजा लाल रंग का हीरा प्रभु की झांकी को एकटक निहारने पर मजबूर करेगा।

गिरिराजजी के अद्वितीय शृंगार के लिए जेवरात का प्रयोग कर झांकी को अद्भुत बनाने का प्रयास किया जाता है। घटाओं के शृंगार में एकादशी को हरे रंग की तो पूर्णिमा को सफेद रंग की घटाएं सजाई जाएंगी। विभिन्न प्रजातियों के पुष्पों से प्रभु का शृंगार और उनके स्थल को खूबसूरती दी जाएगी। हालांकि सावन महीना होने के कारण हरियाली का प्रयोग रोजाना किया जाएगा।

गिरिराजजी महाराज।

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यूं होते हैं घटा के दर्शन

सेवायत मथुरा दास कौशिक ने बताया विशेष श्रंगार में पांच चुनिंदा हरा, केशरिया, लाल, सफेद और काला रंग का प्रयोग किया जाता है।

  • घटा दर्शन में जब पीले रंग के विशेष दर्शन होते हैं तो इसमें गिरिराजजी पीले हरे रंग की पोशाक धारण करते हैं तो स्वर्ण मुकुट के साथ पीली कलियां और पुष्प पीली घटा हसास कराते हैं।
  • मस्तक पर सजा कस्तूरी तिलक और गालों पर चंदन भी पीले रंग का होता है।
  • प्रभु के प्रसाद में पीले रंग की वस्तुओं को वरीयता दी जाती है, यहां तक कि दूध को भी केशर डालकर पीले रंग में परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • शृंगार में घटा अनुसार ही उसी रंग के जेवरात प्रयोग में लाए जाते हैं। पुष्प महल में भी खास रंग का प्रयोग होगा, मानो ब्रज वसुंधरा एक ही रंग में रंग गई हो।
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