Move to Jagran APP

फिजिकल एजूकेशन के नाम पर दे रहे थे आतंक फैलाने की ट्रेनिग

विस्फोटक सामग्री बनाने और प्रयोग कराने का देते थे प्रशिक्षण लोगों को भड़काने के लिए बांटते थे पर्चे विदेश से करा रहे थे फंडिग

By JagranEdited By: Updated: Sun, 04 Apr 2021 06:26 AM (IST)
Hero Image
फिजिकल एजूकेशन के नाम पर दे रहे थे आतंक फैलाने की ट्रेनिग

जागरण संवाददाता, मथुरा: पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) की स्टूडेंट विग कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) के सदस्य फिजिकल एजूकेशन देने की आड़ में बम बनाना और चलाने की ट्रेनिंग दे रहे थे। इसके लिए उन्हें विदेश से फंड भी मिल रहा था। यही नहीं वह लोगो को भड़काने को पर्चे भी बांटते थे।

एसटीएफ ने आरोप पत्र में कहा है कि पीएफआइ की केरल शाखा के कमांडर अंसद बदरुद्दीन और उसका साथी फिरोज खान देश भर में भ्रमण करके संगठन के युवकों को फिजिकल एजूकेशन के नाम पर विस्फोटक सामग्री बनाने, उसके इस्तेमाल करने के साथ चाकू, तलवार और पिस्टल चलाने का भी प्रशिक्षण देते थे। एसटीएफ ने इनको आतंकी गिरोह का सदस्य बताते हुए सांप्रदायिक और वर्ग संघर्ष के दौरान हिसा कराने के भी आरोप लगाए हैं। इसके लिए सीएफआइ का राष्ट्रीय महासचिव केए राऊफ शरीफ अपने खाते में विदेश से धनराशि मंगा रहा था। जांच में केए राऊफ शरीफ के बैंक खाते में एक करोड़, 35 लाख 715 रुपये मिले थे। इसमें से 47 लाख रुपये की फंडिग विदेशों से हुई थी। मुहम्मद आलम संगठन को वाहन उपलब्ध कराता था। केए राऊफ शरीफ से अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। हाथरस कांड की आड़ में अतीकुर्रहमान, सिद्दीकी कप्पन और मसूद अहमद दंगा भड़काने को आलम के साथ हाथरस जा रहे थे। भड़काऊ पर्चे आरोपितों से बरामद किए जाने का जिक्र आरोप पत्र में किया गया है। - पांच अक्टूबर 2020 को अतीकुर्रहमान, सिद्दीकी कप्पन और मसूद अहमद और मोहम्मद आलम को पकड़ा गया।

- 12 दिसंबर 2020 को तिरुअनंतपुरम एयरपोर्ट से ईडी ने केए राऊफ को गिरफ्तार किया।

-14 फरवरी को केए राऊफ को बी वारंट पर केरल से एसटीएफ पकड़कर मथुरा लाई और कोर्ट में तलब किया।

- 16 फरवरी, 2021 को लखनऊ में विस्फोटक सामग्री के साथ अंसद बदरुद्दीन और फिरोज खान को पकड़ा गया।

-18 फरवरी को केए राऊफ को एसटीएफ ने पांच दिन के पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया ।

राज्य सरकार से अनुमति लेकर दाखिल की चार्जशीट

एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक आरके मिश्रा ने बताया कि यूएपीए लगाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे में चार्जशीट दाखिल करने से पहले सरकार से अनुमति ली गई थी। लखनऊ भेजा था रेडियोग्राम

मथुरा: लखनऊ जेल में बंद अंसद बदरुद्दीन और उसके साथी फिरोज खान को अदालत में पेश किए जाने को एक अप्रैल को रेडियोग्राम संदेश भेजा गया था। यह लखनऊ जेल को नहीं मिला। इसके बाद इनकी पेशी वर्चुअल करानी पड़ी। 10 मार्च को अंसद बदरुद्दीन और फिरोज खान को एसटीएफ ने दो दिन के रिमांड पर लिया था।

सुरक्षा के बीच लाए गए

सभी आरोपितों को सुबह 10 बजे ही कड़ी सुरक्षा में जेल से लाया गया। हवालात से बंद बाडी की गाड़ी में कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए। कोर्ट परिसर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। पीएसी के अलावा थाना सदर बाजार का भी फोर्स लगाया गया। नहीं हो सकी मुलाकात

आरोपित मोहम्मद आलम से मुलाकात करने के लिए उसकी सास और पत्नी भी कोर्ट आईं। मगर, सुरक्षा का घेरा इतना कड़ा था कि किसी को आरोपितों से नहीं मिलने दिया गया। दोनों कोर्ट में पेश होने से लेकर जेल जाने तक बाहर ही खड़ी रहीं। क्या है धारा 75

मथुरा: किसी आरोपित को पूर्व में दोष सिद्ध पाए जाने पर आइपीसी की धारा 75 लगाई जाती है। इन आरोपितों को दोष सिद्ध नहीं पाया गया है, इसलिए धारा हटा दी गई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।