Weather Update: मथुरा में भीषण ठंड से कांपे लोग, पारा पांच डिग्री सेल्सियस पहुंचा, सर्दी के चलते स्कूलों का बदला समय
ठंड ने बिगाड़े हालात पारा पांच डिग्री सेल्सियस पहुंचा। सुबह-शाम कोहरा हवा के आगे बेअसर रही धूप। बाजार भी देरी से खुले। अधिकांश दुकानों पर लोगों ने ठंड से राहत के लिए हीटर जला रखे थे। तमाम लोग लकड़ी-कोयला जलाकर आग पर ताप रहे थे। पशु-पक्षी भी ठंड से ठिठुरते नजर आए। पशुपालकों ने अपने पशुओं को ठंड से बचाने के लिए बोरों से ओढ़ा दिया था।
जागरण संवाददाता, मथुरा। ठंड से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पारा प्रतिदिन नीचे गिर रहा है। मंगलवार को तापमान पांच डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। शीतलहर ने शरीर कंपा दिया तो गलन ने बेहाल कर दिया। सुबह और शाम को छोड़िए।
दिन में भी गलन के कारण सड़क पर निकलना मुश्किल हो गया। सुबह हल्का कोहरा रहा, लेकिन दस बजे तक मौसम साफ हो गया, शाम को कोहरा तो नहीं रहा, लेकिन गलन और शीतलहर बढ़ गई।
मंगलवार सुबह अधिकतम तापमान 15 और न्यूनतम पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह कोहरा छाया रहा, लेकिन दस बजे तक मौसम साफ हो गया। हल्की धूप निकली, लेकिन शीतलहर के आगे बेदम रही। शाम तीन बजे से ठंड फिर बढ़ गई। शीतलहर ने शाम को ही लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर दिया। हाल यह था कि गर्म कपड़ों से लैस होने के बाद भी लोगों के हाड़ कांप रहे थे।
दोपहिया सवार एवं बसों आदि में सफर करने वाले ठंड से आहत दिखे। भीषण होती ठंड के चलते जनजीवन प्रभावित रहा।
सुबह दस बजे से होगा समय
मथुरा में सर्दी के कारण विद्यालयों का समय बदला गया है। विद्यालयों का समय सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक रहेगा। जिला विद्यालय निरीक्षक भास्कर मिश्र ने बताया कि सर्दी के कारण विद्यालयों का समय सुबह दस बजे तक कर दिया गया है।
पशुओं की मौत
संवाद सूत्र, सुरीर। शीत का कहर अब इंसान ही नहीं पशुओं पर भी भारी पड़ रहा है। पिछले तीन-चार दिन में बेसहारा गोवंश समेत एक दर्जन पशुओं की मौत हो गई है। पशुपालकों का कहना है कि गिरे तापमान से जहां दूध उत्पादन प्रभावित हुआ है। सर्दी की चपेट में आने पशु बीमार हो रहे हैं। सुरीर और आसपास के गांवों में सर्दी की चपेट में आने से बेसहारा गोवंशी समेत एक दर्जन से अधिक पशुओं की मृत्यु हो गई हैं।
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पशु चिकित्सा केंद्र पर तैनात चिकित्सक प्रमोद उपाध्याय का कहना है कि पशुओं को इन दिनों सर्दी से बचाकर रखना चाहिए। पशु बांधने वाले स्थानों पर हवा को रोकने के समुचित इंतजाम किए जाने चाहिए और ताजा पानी पिलाना चाहिए। पशुओं का पाचन तंत्र को सही रखने के लिए रात का भीगा चारा सुबह नहीं खिलाना चाहिए।