नगर में पोखरियों पर अतिक्रमण कर बने आलीशान भवनों पर प्रशासन की भृकुटी तन गई है। मदापुर समसपुर में मुख्य मार्ग से तनिक हटकर पोखरी को पाटकर बने दो मंजिला भवन को प्रशासन ने मंगलवार को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया। दरअसल नगर के रेलवे स्टेशन में एक लकड़ी का टाल है। इसके पीछे एक पोखरी है। इसके समीप ही टाल स्वामी की भूमिधरी जमीन है।
संवाद सूत्र, घोसी (मऊ)। नगर में पोखरियों पर अतिक्रमण कर बने आलीशान भवनों पर प्रशासन की भृकुटी तन गई है। मदापुर समसपुर में मुख्य मार्ग से तनिक हटकर पोखरी को पाटकर बने दो मंजिला भवन को प्रशासन ने मंगलवार को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया।
दरअसल नगर के रेलवे स्टेशन में एक लकड़ी का टाल है। इसके पीछे एक पोखरी है। इसके समीप ही टाल स्वामी की भूमिधरी जमीन है। इसकी आड़ में टाल स्वामी ने कई वर्ष पूर्व धीरे-धीरे पोखरी भूमि पर अतिक्रमण करना प्रारंभ कर दिया।
7 वर्ष पूर्व हुआ था निर्माण
प्रशासन की चुप्पी से शह मिली तो लगभग सात वर्ष पूर्व भवन निर्माण प्रारंभ कर दिया। लेखपाल पंकज चौहान ने वर्ष 2018 में अतिक्रमण करने वाले चारों भाइयों रईस, जावेद, अबरार व अंसार को मौखिक रूप से मना किया पर कोई प्रभाव न पड़ा। बाद में लेखपाल ने पोखरी के 100 कड़ी क्षेत्रफल को अतिक्रमित कर भवन बना लेने के बाबत तहसीलदार के समक्ष आख्या प्रस्तुत किया।
तत्कालीन तहसीलदार के आदेशानुसार छह सितंबर 2021 को तहसीलदार न्यायिक के न्यायालय में चारों भाइयों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत अलग-अलग वाद दायर हुआ। न्यायिक तहसीलदार (तहसीलदार) डा. धर्मेंद्र कुमार पांडेय ने 30 अक्टूबर 2023 को जावेद अहमद, अबरार अहमद व रईस अहमद के मुकदमे में जबकि 14 नवंबर 2023 को अंसार अहमद के प्रकरण में बेदखली का आदेश दिया। इस बाबत भवन पर नोटिस चस्पा की गई।
16 दिसंबर को अदालत ने दिया था खाली करने का आदेश
न्यायालय ने निर्धारित तिथि 16 दिसंबर 2023 तक स्वत: अतिक्रमण समाप्त कर पोखरी को मुक्त करने का आदेश दिया। इस तिथि के बीत जाने के बाद सोमवार को तहसीलदार डा. धर्मेंद्र कुमार पांडेय ने अतिक्रमित स्थल को देखा।
मंगलवार को उपजिलाधिकारी सुमित कुमार सिंह, तहसीलदार डा. धर्मेंद्र कुमार पांडेय व नायब तहसीलदार निशांत मिश्रा पुलिस व पीएसी बल के साथ मौके पर बुलडोजर लेकर पहुंचे। कई घंटे के प्रयास कर लगभग 70 फीट लंबाई व 40 फीट चाैड़ाई में बने भवन को जमींदोज किया गया।
अभी कई मामले हैं लंबित
पोखरियों के इस नगर में एक दो नहीं वरन हर मोहल्ले में दो-चार पोखरियों पर अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रमण के लगभग 10 मामले विचाराधीन हैं।
सुनियोजित तरीके से होता है अतिक्रमण
नगर में भूमिधरी या भवन के समीप स्थित पोखरियों पर सुनियोजित तरीके से अतिक्रमण होता है। भवन के समीप पोखरी में कूड़ा-करकट डाला जाता है। फिर भवन निर्माण के दौरान मलबा को इसमें गिराया जाता है। फिर रात में मिट्टी डालकर सहन में मिलाने के बाद अस्थाई निर्माण होता है। यह सिलसिला अनवरत चलता है। इसके कुछ वर्ष बाद पोखरी में भवन खड़ा हो जाता है।
पोखरियों पर या शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया जाना काफी गंभीर मामला है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत बेदखली के पारित आदेशों पर कार्रवाई होनी तय है। इससे इतर शासन के दिशा-निर्देशों का भी अनुपालन होगा।
- सुमित कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी घोसी।
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