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Papaya Farming: वैज्ञानिक विधि से पपीते की खेती कर किसान हो रहे मालामाल, बस इन बातों का रखना होगा ख्याल

Papaya Farming फरवरी माह का दूसरा पखवारा चल रहा है। मार्च-अप्रैल माह पपीता लगाने के लिए काफी उपयुक्त होता है। ऐेसे में जनपद के किसान अपने खेतों में पपीता लगाने के लिए खेतों की तैयारी शुरू कर दें। खासकर अप्रैल माह के दौरान लगाए गए पपीते के पेड़ों में विषाणु जनित एवं फफूद जनित बीमारियों के लगने का खतरा काफी कम रहता है।

By Jaiprakash Nishad Edited By: Abhishek Pandey Updated: Fri, 23 Feb 2024 04:11 PM (IST)
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वैज्ञानिक विधि से पपीते की खेती कर किसान हो रहे मालामाल, बस इन बातों का रखना होगा ख्याल
जागरण संवाददाता, मऊ। फरवरी माह का दूसरा पखवारा चल रहा है। मार्च-अप्रैल माह पपीता लगाने के लिए काफी उपयुक्त होता है। ऐेसे में जनपद के किसान अपने खेतों में पपीता लगाने के लिए खेतों की तैयारी शुरू कर दें। खासकर अप्रैल माह के दौरान लगाए गए पपीते के पेड़ों में विषाणु जनित एवं फफूद जनित बीमारियों के लगने का खतरा काफी कम रहता है।

अलका प्रभात, आकाश सूर्या, रेड लेडी, वाशिंगटन, कुर्ग हनीड्यू, पूसा जायंट, पूसा डिलीशियस, पूसा ड्वार्फ आदि सभी प्रजातियां काफी अच्छी होती हैं। इनमें से रेड लेडी पपीता की सबसे प्रचलित प्रजाति है।

वैज्ञानिक विधि से करें पपीते की खेती

कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डा. विनय कुमार सिंह ने बताया कि पपीता लगाने का यह उपयुक्त समय है। किसान अपने खेतों में वैज्ञानिक विधि से पपीते की खेती कर बेहतर उत्पादन और लाभ दोनों प्राप्त कर सकते हैं।

वैज्ञानिक डा. जितेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जनपद में पपीते की कुल खेती 25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। इस खेती में कुल 150 टन पपीते का उत्पादन होता है।

जनपद में पपीता की उत्पादकता लगभग दो टन प्रति हेक्टेयर है। किसान अगर वैज्ञानिकों के द्वारा समय-समय पर बताए गए सुझाव को अपनाकर पपीते की खेती करते हैं तो वे निश्चित रूप से पपीते को खेती से उच्च स्तरीय उत्पादन और मुनाफा दोनों प्राप्त कर सकते हैं।

बागवानी लगाने से पूर्व ऐसे करें खेत की तैयारी

पपीता लगाने के लिए किसान सबसे पहले ऐसे खेत का चयन करें। इसमें बरसात का पानी बिल्कुल भी नहीं लगना चाहिए। खेत का चयन करने के बाद किसान रोटावेटर या कल्टीवेटर से खेत की जोताई दो से तीन बार करके उसे खरपतवारओं से मुक्त कर दें। इसके बाद खेत में पर्याप्त मात्रा में सभी तरह के उर्वरकों को मिलाने के बाद एक बार पुनः उसकी जोताई कर दें। इसके बाद 18 बाई 18 मीटर की दूरी पर 60 बाई 60 बाई 60 सेंटीमीटर के आकार का गड्ढा तैयार कर उसमें पपीता लगा दें।

रोपाई के पंद्रह दिन पूर्व करें गड्ढे की खोदाई

किसान पपीता से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए पपीता लगाने के 15 दिन पूर्व ही अपने खेतों को तैयार कर उसमें गड्ढा खोदने का कार्य पूरा करें। गड्ढे में 15 दिन धूप और हवा लगने दें। बरसात शुरू होने के पूर्व प्रति गड्ढे के ऊपर की भुरभुरी मिट्टी में 20 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, एक किलोग्राम नीम की खली, एक किलोग्राम चूर्ण तथा 5 से 10 ग्राम कार्बोफ्यूरान मिलाकर गड्ढे को अच्छी तरह भर दें। इसके बाद नर्सरी के पपीते के पौधों की खरीदारी कर उसमें पी पपीता लगा दें। गड्ढे में लगाए गए पौधे की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर होना बेहतर रहेगा।

पपीते की सफल बागवानी के लिए गहरी और उपजाऊ, सामान्य पीएच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी अत्यधिक उपयुक्त मानी जाती है। इसकी बागवानी के लिए भूमि में जल निकास का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि जलजमाव पपीते के पौधों को सूखा देता है। पपीता एक उष्णकटिबंधीय फल है। प्रदेश की खेती उत्तर प्रदेश की समशीतोष्ण जलवा में भी सफलतापूर्वक की जाती है। - डा. विनय कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी।

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