पूर्वांचल में बाढ़ का कहर: सरयू नदी के उफान से मऊ के दर्जनों गांव प्रभावित, नाव ही एकमात्र विकल्प
उत्तर प्रदेश में मानसून के बाद से ही पूर्वांचल समेत कुछ जिलों में नदी के जलस्तर बढ़ गए हैं। पिछले एक महीने से पूर्वांचल की सभी नदियां उफान पर हैं। इसी क्रम में मऊ जिले के मधुबन क्षेत्र में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। आवागमन ठप हो गया है। दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं।
संवाद सूत्र, मधुबन ( मऊ)। क्षेत्र के देवारा से होकर गुजरने वाली सरयू नदी का जलस्तर खतरा के निशान 66.31 मीटर को पार करते हुए 66.50 मीटर पर जाकर ठहर गया है। खतरा के निशान से 19 सेमी ऊपर होने की वजह से चक्कीमुसाडोही टापू हो गया है। वहीं देवारा में भी आवागमन ठप हो गया है।
हालांकि ट्रैक्टर ट्राली के भरोसे कुछ ग्रामीण जोखिम उठाकर आने जाने का काम कर रहे हैं। जलस्तर बढ़ने से चक्कीमुसाडोही के रिहायशी मंडई में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं परिषदीय विद्यालय, ग्राम सचिवालय व पेयजल के लिए निर्मित वाटर हेड टैंक का परिसर भी बाढ़ की चपेट में आ गया है।
नाव ही एकमात्र विकल्प
चक्कीमुसाडोही के ग्रामीणों के लिए आने जाने के लिए नाव ही सिर्फ विकल्प बनकर रह गया है। वहीं विंदटोलिया, मनमनकापुरा, नुरुल्लाहपुर नई बस्ती, सिसवा, नकिहहवा, जरलहवा, कुड़ियां, खैरा, बैरिकंटा आदि दर्जनों पुरवे बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर गए हैं। हालांकि अभी आबादी के अंदर पानी न जाने से बाढ़ पीड़ितों का विस्थापन नहीं हो रहा है।ग्रामीणों का कहना है कि अगर जलस्तर घटा तो राहत मिलेगी लेकिन जलस्तर बढ़ा तो राहत शिविर में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
रिंग बांध में रिसाव को रोकने के लिए हुई पैचिंग
जलस्तर बढ़ने के साथ ही मिश्रौली गजियापुर रिंग बांध में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी रिसाव की संभावना को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा बांध में मिट्टी भरी बोरी से पैचिंग की गई है।यह भी पढ़ें- UP Flood: मऊ में बाढ़ ने मचाई तबाही, निचले इलाकों में घुसा सरयू का पानी; स्कूल-कालेज बंद
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