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Ghosi Bypoll: परतंत्र भारत में भी था घोसी विधानसभा का अस्तित्व, ऐतिहासिक-धार्मिक दृष्टि से बेहद अहम है यह सीट

Ghosi By Election 2023 वर्ष 2009 में हुए परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का मूल स्वरूप तनिक बदल गया है। उत्तर पूर्व में कोरौली से लेकर दोहरीघाट उत्तर पश्चिम में बड़रांव से लेकर चिउंटीडांड़ तक एवं उत्तर में हेमई कुसुम्हा एवं दोहरीघाट क्षेत्र हट गए जबकि पूरब में बनअवध क्षेत्र दक्षिण में कोपागंज क्षेत्र एवं पूर्व दक्षिण में हथिनी तक इससे जुड़ गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 25 Aug 2023 05:30 AM (IST)
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ऐसा है घोसी विधानसभा का अस्तित्व, ऐतिहासिक-धार्मिक दृष्टि से बेहद अहम है यह सीट

घोसी (मऊ), अरविंद राय। घोसी विधानसभ क्षेत्र का इतिहास काफी पुराना है। जिले की यह एकमात्र विधानसभा है जिसका अस्तित्व परतंत्र भारत से ही है। वर्ष 1935 में ब्रिटिश संद ने भारतीयों को प्रांतीय शासन का अधिकार दिया। इसके चलते 1937 में संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में अंतरिम सरकार के गठन को चुनाव हुआ। आजमगढ़ जनपद में महज दो विधानसभा क्षेत्र बने थे। एक क्षेत्र आजमगढ़ जबकि दूसरा घोसी बना। घोसी में वर्तमान घोसी, सगड़ी व मधुबन (पूर्व में नत्थूपुर) क्षेत्र सम्मिलित था। पं. अलगू राय शास्त्री कांग्रेस के जबकि नरसिंह राय शर्मा एडवोकेट ब्रिटिश समर्थित प्रत्याशी थे। पंडित अलगू राय शास्त्री इस निर्वाचन में विजेता रहे। गोविंद वल्लभ सरकार में उनको मंत्री पद दिया गया।

नाम वही पर बदल गया क्षेत्र

वर्ष 2009 में हुए परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का मूल स्वरूप तनिक बदल गया है। उत्तर पूर्व में कोरौली से लेकर दोहरीघाट, उत्तर पश्चिम में बड़रांव से लेकर चिउंटीडांड़ तक एवं उत्तर में हेमई, कुसुम्हा एवं दोहरीघाट क्षेत्र हट गए जबकि पूरब में बनअवध क्षेत्र, दक्षिण में कोपागंज क्षेत्र एवं पूर्व दक्षिण में हथिनी तक इससे जुड़ गए हैं।

यह हैं ऐतिहासिक स्थल

घोसी कोट, चौबेपुर कोट, सीताकुंड, नरोखर (नृपति पुष्कर) जलाशय, सैयद बाबा की मजार, रसड़ी हनुमान मंदिर, नईन माई स्थान, नौसेमर बारहदुअरिया मंदिर आदि।

गंगा-यमुनी है तहजीब

पकड़ी ताल में कहीं कलरव करते विदेशी पक्षी, राजा नहुष के काल का गवाह सीताकुंड, नौसेमर के पावन सरयू तट के बारहदुअरिया मंदिर, दो सभ्यताओं को समेटे घोसी कोट एवं सिराजे हिंद से खुद को जोड़ती नहुषी राजनीतिक, ऐतिहासिक, धाामिक व सांस्कृतिक रूप से बेहद उर्वर है। घोसी की गंगा जमुनी तहजीब इसे अन्य क्षेत्रों से अलग करती है।

विधानसभा की हस्तियां

हनुमान गढी प्रयागराज के महंथ शांतानंद गिरी (अमिला), पं. ठाकुरदयाल मिश्र, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं संविधान निर्माऋी सभा के सदस्य पं. अलगू राय शास्त्री, सेनानी जयबहादुर सिंह, सेनानी पं. रामविलास पांडेय, सेनानी एवं पूर्व मंत्री झारखंडेय राय, विकास पुरूष कल्पनाथ राय, दिल्ली के गर्वनर रहे मारकंडेय सिंह, राष्ट्रीय तबला वादक चंदन विश्वकर्मा, बिरहा गायक बेचन राजभर एवं भजन गायक बलवंत सिंह, चित्रकार एवं प्रोफेसर सुनील विश्वकर्मा एवं लक्ष्मण गोंड़, मारीशस सरकार से पुरस्कार प्राप्त प्रमोद राय प्रेमी।