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Ghosi By Election Result News: दारा सिंह को घोसी वालों ने क्यों नकारा? सपा ने जनता पर कर दिया था गजब का जादू

Ghosi Bypoll Interesting Fact घोसी उपचुनाव में जनता ने सपा के सुधाकर सिंह को सिरोधार कर लिया। वहीं दल बदल कर भाजपा में गए दारा सिंह को हार का सामना करना पड़ा। घोसी उपचुनाव अपने आप में रोमांचकारी रहा लेकिन इसके रहस्य भी रोमांचक हैं। जानिए ऐसा क्या कारण रहा कि सीएम योगी समेत कई दिग्गजों के प्रयास के बावजूद इस सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा?

By Shivam YadavEdited By: Shivam YadavUpdated: Sat, 09 Sep 2023 07:32 AM (IST)
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उत्तर प्रदेश विधानसभा की घोसी सीट पर हुआ उपचुनाव काफी रोमांचकारी रहा।
मऊ, जागरण ऑनलाइन डेस्क: Ghosi By Election Latest News : जबरदस्त प्रचार और जोरदार चुनाव… उत्तर प्रदेश विधानसभा की घोसी सीट पर हुआ उपचुनाव काफी रोमांचकारी रहा। घोसी उपचुनाव का परिणाम लोकसभा चुनाव को प्रभावित करे या न करे, लेकिन इतना जरूर है कि घोसी वासियों ने अपने उस नेता को नकार दिया, जिसे पिछले आम चुनाव 2022 में सिरोधार किया था। इससे भी रोचक घोसी उपचुनाव में यह रहा कि मैदान में उतरे 6 उम्मीदवारों को नोटा ने ही हरा दिया। इन 6 उम्मीदवारों समेत 8 उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई है।

घोसी उपचुनाव में जीत दर्ज करवाकर समाजवादी पार्टी एक बार फिर गर्मजोशी में दिख रही है और आगामी चुनावों में विजयी होने से सुखद उम्मीदें लगाए हुए है। अब सवाल ये है कि जिस उपचुनाव में सरकार से लेकर संगठन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी हो, उस उपचुनाव में वे विजयी क्यों नहीं हुए? और क्या कारण रहा कि घोसी उपचुनाव में दारा सिंह को घोसी के मतदाताओं ने ‘न’ कह दिया? आइए जानते हैं इसका कारण-

जनता को रास नहीं आया दारा सिंह का दलबदल

मतदान से पहले, भाजपा के प्रचार कार्यक्रम में पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं ने जोर आजमाया। यहां तक कि सरकार से सीएम योगी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समेत अन्य मंत्री-नेताओं ने जोर भरा, लेकिन घोसी की जनता की नाराजगी दारा सिंह से थी। 

दारा सिंह विधानसभा चुनाव 2022 में सपा से विधायक बने थे, लेकिन अपनी राजनीतिक छवि चमकाने के मोह में उन्होंने जनता को उपचुनाव में धकेल दिया। यह कारण दारा सिंह की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है।

सपा का प्रचार और प्रहार दोनों प्रबल

बेशक, भाजपा की ओर से कोई काेर-कसर न छोड़ी गई हो, लेकिन उपचुनाव को सीएम योगी और पीएम मोदी के चेहरे के बलबूते जीतने का प्लान भाजपा के लिए गलत साबित हुआ। वहीं, सपा की ओर से स्थानीय नेताओं के बलबूते जोर आजमाया गया। 

सपा की ओर शिवपाल सिंह भी प्रचार अभियान में उतरे, डोर-टू-डोर कैंपेन किया, जिससे सपा स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने में सफल रही। इसके अलावा, दारा सिंह की दलबदल छवि को सपा ने अच्छी तरह से लोगों के बीच भुनाया।

सुधाकर के बलबूते जनता को जीता

सपाइयों ने चुनाव प्रचार में सुधाकर को संघर्षों का नेता बताया। इस कारण यादव-मुस्लिम वोट के साथ सवर्ण वोट भी सपा के पाले में आ गए। इसके अलावा, अनुसूचित मतदाताओं के साथ विशेष बैठकों का दौर चलाकर सपा जनता को अपनी ओर करने में सफल रही।

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