Ghosi Loksabha Seat result: मोदी और योगी का फैक्टर नहीं आया काम, प्रत्याशी को लेकर नाक-भौं सिकोड़ते रहे समर्थक
घोसी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ फैक्टर काम नहीं आया। एनडीए ने जिस प्रत्याशी पर भरोसा जताया उससे समर्थक खुश नहीं थे। संगठन के अंदर से बाहर तक प्रत्याशी बदलने या भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ाने के स्वर मुखर होने लगे लेकिन एनडीए के रणनीतिकार मौन रहे। ऐसा नहीं कि जनता मोदी-योगी से नाराज थी।
सूर्यकांत त्रिपाठी, मऊ। पूरे देश की निगाहें घोसी लोकसभा चुनाव पर कई कारणों से लगी रहीं। एक तो इस कारण से कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की हर सीट पर किसी भी दल के साथ मिलकर जीत की गारंटी देने वाले सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर का बेटा डॉ.अरविंद राजभर एनडीए प्रत्याशी के रूप में स्वयं चुनाव लड़ा था।
दूसरा, इस कारण भी कि कई दशक बाद माफिया डॉन व पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मृत्यु व आतंक के अंत के बाद यह पहला चुनाव हो रहा था। घोसी विधानसभा उपचुनाव में आम जन की नजर से उतर चुके प्रत्याशी को भेजकर हश्र देखने के बावजूद लोकसभा चुनाव में उससे सबक लेने की बजाय फिर कुछ वैसी ही गलती दोहराने की वजह से घोसी में मोदी व योगी का फैक्टर नहीं चल पाया।
एनडीए के प्रत्याशी को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता तो कार्यकर्ता मतदाता व शुभचिंतक भी नाक-भौं सिकोड़ने लगे। संगठन के अंदर से बाहर तक प्रत्याशी बदलने या भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ाने के स्वर मुखर होने लगे, लेकिन एनडीए के रणनीतिकार मौन रहे। मोदी लहर में वर्ष 2014 में एक बार सांसद का चुनाव जीते हरिनारायण राजभर का कार्यकाल भी जनता में जोश और उत्साह नहीं भर पाया।
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घोसी संसदीय सीट से कई बार सांसद व विकास पुरुष के नाम से विख्यात रहे कल्पनाथ राय के निधन के बाद वर्ष 1999 से लगातार यह सीट सपा और बसपा के ही पाले में झूलती रही। पिछले सांसद को चुनने की गलती व हार के बावजूद जिले में हुए धड़ाधड़ विकास कार्यों से प्रभावित होकर जनता ने अबकी बार भाजपा को वोट देने का मन भी बनाया तो प्रत्याशी ही जन आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं मिला।
सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की दलबदल नीति व जुबानी तीरों से अलग-अलग लोग आहत होते रहे और जनमत बेहतरीन प्रत्याशी की ओर खिसकता गया। चाहकर भी मतदाता भाजपा को वोट नहीं कर पाए और दूरियां बनाए रखे।
यही नहीं पीएम नरेन्द्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ की जनसभा में अपार जनसमूह जरूर उमड़ा, लेकिन वोट के नाम पर गले के नीचे बात उतरी नहीं। ऐसा नहीं कि जनता मोदी-योगी से नाराज थी। सब कुछ के बावजूद सुभासपा प्रत्याशी उनके गले नहीं उतर रहा था।यह भी पढ़ें: क्या यूपी की इस सीट पर नहीं चलेगा BJP का जादू? झोंकी हर ताकत, पीएम-सीएम की सभा भी नहीं आ रही काम
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