नवरात्रि में सुभासपा के मुकाबले नया दल लेगा आकार, महेंद्र राजभर ने शुरू किया पूर्वांचल और अन्य जिलों का दौरा
सुभासपा के बागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर के नेतृत्व में पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। इधर मऊ जनपद से शुरू हुई बगावत पूर्वांचल के अन्य जिलों तक पहुंच गई है। खुद महेंद्र राजभर पूर्वांचल के दौरे पर रहकर बगावती पदाधिकारियों से रायशुमारी कर रहे हैं।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 08:09 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुकाबले नए दल का गठन नवरात्रि में हो जाएगा। बगावती पदाधिकारियों ने सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से राजनीतिक बदला लेने का मन बना लिया है। सुभासपा के बागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर के नेतृत्व में पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। इधर मऊ जनपद से शुरू हुई बगावत पूर्वांचल के अन्य जिलों तक पहुंच गई है। खुद महेंद्र राजभर पूर्वांचल के दौरे पर रहकर बगावती पदाधिकारियों से रायशुमारी कर रहे हैं। बीते विधानसभा चुनाव में माफिया मुख्तार अंसारी की इंट्री ने बगावत की भूमि तैयार कर दी। इसका नतीजा रहा कि बीते एक सप्ताह में 113 पदाधिकारियों ने त्यागपत्र दे दिया है।
वर्ष 1996 से 2012 तक लगातार चार विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट से माफिया मुख्तार अंसारी को एकतरफा जीत मिलती रही। पहली बार 2017 के चुनाव में सुभासपा-भाजपा का गठबंधन हुआ और मऊ सदर विधानसभा सुभासपा के खाते में गई। गठबंधन प्रत्याशी सुभासपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जमीनी कार्यकर्ता महेंद्र राजभर को प्रत्याशी बनाया गया। पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भुजौटी में आयोजित चुनावी रैली में प्रत्याशी महेंद्र राजभर को ‘कटप्पा’ की संज्ञा दी।
प्रधानमंत्री ने मंच से एलान किया कि ‘कटप्पा’ ही बाहुबली का अंत करेगा
प्रधानमंत्री ने मंच से एलान किया कि ‘कटप्पा’ ही बाहुबली का अंत करेगा। प्रधानमंत्री की रैली के बाद जनपद में चुनावी फिजा बदल गई और भाजपा में पहली बार उत्साह दिखा। परिणाम रहा कि माफिया मुख्तार अंसारी को पहली बार भगवा व पीले झंडे ने कड़ी टक्कर दी। नजदीकी मुकाबले में 8,698 मतों से सुभासपा को हार मिली। तबसे लगातार महेंद्र राजभर सदर विधानसभा सीट पर सक्रिय रहे और अगले चुनाव की तैयारी कर रहे थे कि अचानक विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी की झोली में सदर विधानसभा की सीट डाल दी।
मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुभासपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। विधानसभा चुनाव में महेंद्र की सक्रियता कम रही। तबसे अंदरखाने कयास लगाए जाने लगे थे कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। मन में दबी यह टीस छह माह बीतते-बीतते बाहर आ गई और पूर्वांचल में अति पिछड़ों, दलितों की पार्टी कहीं जाने वाली सुभासपा में बड़ा विस्फोट हो गया।
27 अक्टूबर 2002 को गठित दल में दो फाड़
पांच सितंबर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पर स्वहित का बड़ा आरोप लगाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ त्याग पत्र दे दिया। बस इसके बाद पार्टी छोड़ने का सिलसिला सा चल निकला। लगातार रोजाना पार्टी के पदाधिकारी त्याग पत्र दे रहे हैं। इससे 27 अक्टूबर 2002 को गठित दल में दो फाड़ हो गई है। अब तक 113 पार्टी कार्यकर्ता इस्तीफा दे चुके हैं। इससे जहां पार्टी बैकफुट पर आ गई है तो आगामी नगरपालिका व पंचायतों के चुनाव में इसका दुरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।
सुभासपा में अब कार्यकर्ताओं की जगह धनपशुओं व माफियाओं को तरजीह दी जा रही हैसुभासपा में अब कार्यकर्ताओं की जगह धनपशुओं व माफियाओं को तरजीह दी जा रही है। इससे दिन-रात पार्टी के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहा है। यही कारण रहा कि पार्टी से बड़ी संख्या में लोग त्यागपत्र दे रहे हैं। पूर्वांचल के अन्य जनपदों में बड़ी तादाद में उपेक्षित कार्यकर्ता त्यागपत्र दे रहे हैं। नवरात्रि में नए दल का एलान किया जाएगा। पूरे पूर्वांचल में दौरा कर उपेक्षित लोगों से रायशुमारी चल रही है।- महेंद्र राजभर, निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभासपा।
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